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झारखंड के खूबसूरत ज़िले सिमडेगा के छोटे से गांव टोनिया, जहां की मिट्टी से एक बड़ी प्रेरणा निकली है। हम बात कर रहे हैं 25 साल के प्रदीप कुमार की, जिन्होंने अपनी मेहनत और दूरदृष्टि से जैविक खेती को अपनी पहचान बना लिया है।
जैविक धान और आम की खेती
प्रदीप कुमार, जो 1-5 एकड़ की जमीन पर खेती करते हैं, जैविक धान और आम की खेती में न सिर्फ़ नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, बल्कि समाज के लिए एक मिसाल भी पेश कर रहे हैं। उनकी खेती की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये पूरी तरह ऑर्गेनिक है। इसका मतलब है, बिना किसी केमिकल खाद या कीटनाशक के उपयोग के, सिर्फ़ प्राकृतिक तरीकों से फसल उगाना।
जैविक खेती केवल एक तरीका नहीं है, एक ज़िम्मेदारी
प्रदीप बताते हैं कि जैविक खेती केवल एक तरीका नहीं है, ये एक ज़िम्मेदारी है। ये ज़मीन, पर्यावरण और हमारी सेहत के लिए बेहतर है। मैं चाहता हूं कि हर कोई इस ओर कदम बढ़ाए। प्रदीप के खेतों में उगने वाला जैविक धान न सिर्फ़ पोषण से भरपूर है, बल्कि इसका स्वाद भी बेहतरीन है। वहीं, उनके आमों की बात करें, तो ये आम जैविक तरीकों से उगाए जाते हैं, जो न केवल मीठे हैं, बल्कि सेहतमंद भी।
किसानों के लिए बने आदर्श
लेकिन प्रदीप का ये सफ़र आसान नहीं था। झारखंड जैसे इलाके में, जहां संसाधन सीमित होते हैं, जैविक खेती की शुरुआत करना एक चुनौती थी। लेकिन प्रदीप ने न केवल इस चुनौती को स्वीकार किया, बल्कि अपने क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए एक आदर्श बन गए। आज उनकी सालाना आमदनी 1 से 10 लाख रुपये के बीच है। ये सिर्फ़ पैसे की बात नहीं है, बल्कि ये उस मेहनत और लगन का फल है जो उन्होंने अपने खेतों और फसलों में लगाया है।
जैविक खेती आर्थिक रूप से फायदेमंद विकल्प
प्रदीप की सफलता ये सिखाती है कि अगर नीयत साफ़ हो और मेहनत का ज़ज्बा हो, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। प्रदीप कुमार ने दिखा दिया है कि जैविक खेती न सिर्फ़ पर्यावरण के लिए सही है, बल्कि ये एक आर्थिक रूप से फायदेमंद विकल्प भी हो सकती है।
जैविक खेती से छोटी सी ज़मीन पर बड़ा काम
प्रदीप कुमार जैविक खेती के एक ऐसे योद्धा, जिसने अपनी छोटी सी जमीन पर बड़ा काम किया है। ऐसे किसान न केवल हमारे भोजन की गुणवत्ता सुधार रहे हैं, बल्कि धरती के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी को भी याद दिला रहे हैं।