भारत में कृषि गोदामों की समस्या और Agri Warehousing Innovations की आवश्यकता

भारत में Agri Warehousing Innovations से कृषि गोदामों में सुधार हो रहा है, जिससे अनाज की गुणवत्ता बनाए रखी जा रही है और बर्बादी कम हो रही है। यह किसानों के लिए अहम कदम है।

Agri Warehousing Innovations तापमान और आर्द्रता नियंत्रित आधुनिक गोदाम

भारत में कृषि क्षेत्र एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो न केवल देश की अर्थव्यवस्था को समर्थन देता है, बल्कि किसानों के जीवन-यापन का मुख्य साधन भी है। हालांकि, भारतीय कृषि प्रणाली को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें से एक प्रमुख समस्या है अनाज का नुकसान। हर साल लाखों टन अनाज खराब हो जाता है, जिसका मुख्य कारण असंगठित और अविकसित गोदामों की कमी है। लेकिन अब, तकनीकी विकास और नवाचारों ने कृषि गोदामों के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। तापमान और आर्द्रता नियंत्रित आधुनिक गोदाम (Agri Warehousing Innovations) से अनाज की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए, उसकी बर्बादी को कम किया जा सकता है।

कृषि गोदामों की समस्या (Problems of agricultural warehouses)

भारत में कृषि उत्पादों का भंडारण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। किसानों द्वारा उत्पादित फसलों को भंडारण के लिए उचित और आधुनिक गोदामों की कमी के कारण हर साल भारी मात्रा में अनाज बर्बाद हो जाता है। कई कृषि गोदाम पुरानी और असंगठित संरचनाओं में होते हैं, जिनमें न तो उचित तापमान नियंत्रण होता है, न ही आर्द्रता पर निगरानी रखी जाती है। इससे फसल का नुकसान होता है और गुणवत्ता में भी गिरावट आती है। यह समस्या न केवल किसानों के लिए चिंता का कारण है, बल्कि पूरे देश की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

  1. पुरानी और असंगठित गोदाम संरचनाएं

भारत में अधिकांश कृषि गोदाम पुरानी और असंगठित संरचनाओं में स्थित होते हैं, जो आधुनिक भंडारण तकनीकों से काफी हद तक पिछड़े हुए हैं। ये गोदाम कृषि उत्पादों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं से वंचित होते हैं। इनमें तापमान और आर्द्रता नियंत्रित नहीं हो पाती, जिससे अनाज की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इन गोदामों में न केवल अनाज को कीटों और फफूंद से बचाने के लिए उचित प्रबंधन नहीं होता, बल्कि पर्यावरणीय तत्वों के प्रभाव से भी अनाज जल्दी सड़ता है।

2. तापमान और आर्द्रता की समस्या

भारतीय कृषि क्षेत्र में तापमान और आर्द्रता का अनाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से गर्मियों के महीनों में, जब तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो यह गोदामों में रखे गए अनाज की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। उच्च तापमान और नमी के कारण अनाज में फफूंद और कीटों का प्रकोप बढ़ता है, जिससे फसल की गुणवत्ता घटने लगती है और यह जल्दी खराब हो जाती है। इस स्थिति से निपटने के लिए तापमान और आर्द्रता नियंत्रित आधुनिक गोदाम (Agri Warehousing Innovations) आवश्यक हो गए हैं, जो इन समस्याओं का समाधान करते हैं।

  1. कीटों और फफूंद का प्रकोप

भारत में गोदामों में कीटों और फफूंद का प्रकोप एक सामान्य समस्या है। तापमान और आर्द्रता की समस्या के साथ-साथ, असुरक्षित गोदामों में रखे गए अनाज में कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है, जो फसल को बर्बाद कर देते हैं। धान और गेहूं जैसी फसलों में कीटों के हमले से बहुत अधिक नुकसान होता है, और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। यह समस्या विशेष रूप से उन क्षेत्रों में अधिक होती है, जहां गोदामों में पर्याप्त कीट नियंत्रण की व्यवस्था नहीं होती।

  1. नमी और तापमान के प्रभाव से होने वाली बर्बादी

भारत में, कृषि गोदामों की बड़ी संख्या अस्थायी संरचनाओं में होती है, जो अनाज को सुरक्षित रखने के लिए उपयुक्त नहीं होतीं। खुले में या अस्थायी गोदामों में रखे गए अनाज पर मौसम के उतार-चढ़ाव का प्रभाव सीधा पड़ता है। मानसून के दौरान नमी के कारण अनाज में सड़न और फफूंद की समस्या पैदा हो जाती है, जबकि गर्मी के मौसम में उच्च तापमान के कारण अनाज जल्दी सूख जाता है और उसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है। इस प्रकार, इन अस्थायी गोदामों में भंडारण की स्थिति आदर्श नहीं होती, और इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

  1. कुल मिलाकर नुकसान

भारत में लगभग 10-15% अनाज हर साल गोदामों में भंडारण के दौरान खराब हो जाता है, जिससे लाखों टन अनाज की बर्बादी होती है। यदि हम इस आंकड़े को वित्तीय दृष्टिकोण से देखें, तो यह नुकसान कृषि क्षेत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है। साथ ही, यह खाद्य सुरक्षा पर भी गंभीर असर डालता है, क्योंकि लाखों लोग इस बर्बाद अनाज पर निर्भर होते हैं।

किसानों के लिए, यह सिर्फ वित्तीय नुकसान नहीं होता, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी टूटता है, जब उन्हें पता चलता है कि उनका अनाज खराब हो गया है। इससे उनकी उपज की कीमत भी प्रभावित होती है और वे अपनी मेहनत का उचित मुआवजा नहीं प्राप्त कर पाते।

  1. अस्थिर और असमान भंडारण प्रणालियाँ

भारत में कृषि गोदामों की एक और बड़ी समस्या यह है कि भंडारण सुविधाएं असमान रूप से वितरित हैं। कुछ प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में गोदामों की सुविधाएं बेहतर हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह बेहद खराब या अपर्याप्त हैं। इसके कारण, किसानों को अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए अक्सर लंबी दूरी तक यात्रा करनी पड़ती है। इससे न केवल समय की बर्बादी होती है, बल्कि अतिरिक्त परिवहन लागत भी बढ़ जाती है।

  1. सरकारी और निजी पहल की कमी

भारत में कृषि गोदामों के लिए आवश्यक पूंजी निवेश और तकनीकी नवाचारों के लिए सरकारी और निजी पहल की कमी है। कई सरकारी योजनाएं और योजनाएं किसानों के लिए भंडारण सुविधाओं का निर्माण करने के लिए प्रस्तावित की गई हैं, लेकिन इन योजनाओं का कार्यान्वयन धीमा है, और कई जगहों पर इसका उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। निजी क्षेत्र की कंपनियां भी इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए हिचकिचाती हैं, क्योंकि गोदामों में सुधार के लिए दी जाने वाली सहायता बहुत कम होती है।

समाधान की दिशा: कृषि गोदामों के सुधार के लिए ज़रूरी उपाय 

भारत में कृषि गोदामों की स्थिति सुधारने के लिए कई प्रभावी और समग्र उपाय किए जा सकते हैं, जो न केवल किसानों की मदद करेंगे, बल्कि पूरे देश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देंगे। यहाँ कुछ और समाधान दिए जा रहे हैं, जिन्हें लागू करके हम कृषि गोदामों की समस्या का समाधान कर सकते हैं:

  1. वित्तीय सहायता और लोन की सुविधा

अधिकांश भारतीय किसानों और कृषि उद्यमियों के पास आधुनिक गोदाम बनाने या तकनीकी नवाचारों को लागू करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं होती। इसके लिए, सरकार को किसानों और कृषि व्यवसायियों को न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाने चाहिए। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसान लोन प्राप्त कर सकते हैं, जैसा कि प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना में देखा गया है। इससे किसान आसानी से आधुनिक गोदामों और भंडारण सुविधाओं का निर्माण कर सकते हैं, जो उनकी फसल की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करेंगे।

  1. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल)

कृषि गोदामों के निर्माण और संचालन में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को बढ़ावा दिया जा सकता है। इस मॉडल के तहत, सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर आधुनिक गोदामों की संरचना, संचालन और रख-रखाव की जिम्मेदारी साझा कर सकते हैं। इससे न केवल निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा, बल्कि सरकार की वित्तीय मदद और सब्सिडी भी उपलब्ध हो सकती है। ऐसे उदाहरण पहले भी देखे जा चुके हैं, जैसे अन्नपूर्णा योजना या अन्ना योजना, जहां सरकारी और निजी क्षेत्रों ने मिलकर किसानों के लिए बेहतर गोदामों की सुविधा उपलब्ध कराई।

  1. गोदामों के डिजिटलीकरण और स्मार्ट मॉनिटरिंग

आजकल डिजिटल तकनीक की मदद से गोदामों की निगरानी को अधिक कुशल बनाया जा सकता है। भारत में स्मार्ट गोदामों का डिजिटलीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का इस्तेमाल करके किसानों को बेहतर भंडारण व्यवस्थाएं दी जा सकती हैं। स्मार्ट गोदामों में सेंसर और कैमरों का उपयोग करके तापमान, आर्द्रता, कीटों की स्थिति, और फसल की गुणवत्ता की रियल-टाइम निगरानी की जा सकती है। इससे गोदामों में होने वाली समस्याओं का तुरंत समाधान किया जा सकता है, और अनाज की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है।

प्रेरणा स्रोत: एक उदाहरण के रूप में, पंजाब में “माइक्रो-क्लाइमेट कंट्रोल” तकनीक का सफल प्रयोग किया गया है, जिससे गोदामों में रखे गए अनाज की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग किया जा रहा है, जैसे FPO (Farmer Producer Organizations) और eNAM (electronic National Agriculture Market), जो किसानों को बेहतर भंडारण सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं।

  1. गोदामों में ठंडा भंडारण (Cold Storage) की सुविधा का विस्तार

भारत में बहुत से कृषि उत्पाद जैसे फल, सब्जियां, डेयरी उत्पाद, और मांस ठंडे वातावरण में भंडारण की मांग करते हैं। इन उत्पादों के लिए कोल्ड स्टोरेज तापमान और आर्द्रता नियंत्रित आधुनिक गोदाम (Agri Warehousing Innovations) सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। इसके लिए राज्यों को विशेष कोल्ड चेन प्रणाली स्थापित करनी चाहिए, जहां इन उत्पादों को सुरक्षित और ताजगी बनाए रखने के लिए पर्याप्त तापमान और आर्द्रता बनाए रखी जाए।

प्रेरणा स्रोत: उदाहरण के लिए, पंजाब और महाराष्ट्र में किसानों के लिए कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज का विस्तार किया गया है, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य प्राप्त हुआ है और उनका उत्पाद लंबे समय तक ताजे रहते हैं। इससे किसानों को उच्च कीमतों पर अपनी उपज बेचने का अवसर मिलता है।

  1. भंडारण क्षमता का क्षेत्रीय सुधार (Regional Storage Improvement)

भारत में भंडारण सुविधाएं असमान रूप से वितरित हैं, जो विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती हैं। इसलिए, प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार भंडारण सुविधाओं का निर्माण करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, पश्चिमी भारत में गेहूं और चावल की अधिकता है, जबकि दक्षिण भारत में दलहन और तेल फसलों का उत्पादन अधिक है। प्रत्येक राज्य में इन विशिष्ट उत्पादों के लिए उपयुक्त गोदामों और भंडारण सुविधाओं का निर्माण किया जा सकता है।

इसके लिए राज्य सरकारों को अपनी कृषि नीतियों में सुधार करना होगा और कृषि उत्पादों के भंडारण की जरूरतों को समझकर विभिन्न क्षेत्रों में समुचित सुविधाएं प्रदान करनी होंगी।

  1. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण (Training and Capacity Building)

कृषि गोदामों के उचित संचालन और प्रबंधन के लिए किसानों, गोदाम प्रबंधकों और अन्य संबंधित कर्मचारियों को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। यह प्रशिक्षण गोदामों में भंडारण, तापमान नियंत्रण, आर्द्रता पर निगरानी रखने, कीट नियंत्रण और उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने पर केंद्रित होना चाहिए।

इसके अलावा, किसानों को आधुनिक भंडारण तकनीकों और उपकरणों के बारे में भी जागरूक करना जरूरी है। सरकार और विभिन्न एनजीओ द्वारा प्रशिक्षण कार्यशालाएं और संपर्क केंद्रों की स्थापना की जा सकती है, जहां किसान इन तकनीकों को सीख सकें और उनका सही इस्तेमाल कर सकें।

  1. कृषि गोदामों में सौर ऊर्जा का उपयोग (Solar Energy for Warehouses)

भारत में सौर ऊर्जा की भरपूर संभावना है, और इसे गोदामों में ऊर्जा के स्थायी स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सौर ऊर्जा से संचालित गोदाम न केवल ऊर्जा की बचत करेंगे, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होंगे। उदाहरण के लिए, गुजरात और राजस्थान जैसे सौर ऊर्जा समृद्ध क्षेत्रों में, कृषि गोदामों को सौर ऊर्जा से चलाने के लिए नई पहल की जा सकती है। यह पहल गोदामों के संचालन की लागत को कम करेगी और किसानों को सस्ती और स्थायी ऊर्जा स्रोत उपलब्ध कराएगी।

  1. दूरदराज क्षेत्रों में भंडारण सुविधाओं का विस्तार

भारत के कई दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि उत्पादों को भंडारण के लिए उचित स्थान नहीं मिलता। इसके लिए कृषि भंडारण केंद्रों का विस्तार उन क्षेत्रों में किया जा सकता है, जहां किसान अपनी उपज को बिना किसी नुकसान के सुरक्षित रख सकें। इसके लिए सरकार को विशेष योजनाओं के तहत क्षेत्रीय भंडारण सुविधाएं स्थापित करनी चाहिए। 

तापमान और आर्द्रता नियंत्रित आधुनिक गोदाम (Agri Warehousing Innovations): समस्याओं का समाधान

आजकल, तापमान और आर्द्रता नियंत्रित आधुनिक गोदाम (Agri Warehousing Innovations) ने कृषि गोदामों की समस्याओं का समाधान किया है। स्मार्ट गोदामों और नवीनतम भंडारण तकनीकों से अनाज की गुणवत्ता बनाए रखना अब संभव हो गया है। इस पर चर्चा करते हैं:

  1. स्मार्ट गोदाम (Smart Warehouses)

भारत में स्मार्ट गोदामों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, विशेषकर उन राज्यों में जो कृषि क्षेत्र में प्रमुख हैं, जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र। इन गोदामों में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), सेंसर, और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र के एक गोदाम में तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करने के लिए स्मार्ट सेंसर लगाए गए हैं, जो अनाज की स्थिति का रियल-टाइम डेटा प्रदान करते हैं। इससे न केवल अनाज की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि कीटों और फफूंद के विकास को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

सेंसर द्वारा प्राप्त डेटा के आधार पर, स्वचालित रूप से तापमान और आर्द्रता को समायोजित किया जाता है, जो अनाज के लिए आदर्श भंडारण वातावरण प्रदान करता है। इस तकनीकी नवाचार से किसान अपनी उपज की स्थिति के बारे में सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे अपने अनाज को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं। स्मार्ट गोदामों का फायदा यह है कि यह किसान को उन्नत तकनीकों के माध्यम से अपनी फसल के भंडारण का नियंत्रण प्रदान करता है, और इसके द्वारा होने वाली गुणवत्ता में गिरावट को कम करता है।

  1. स्वचालित भंडारण और पुनः प्राप्ति प्रणाली (Automated Storage and Retrieval Systems)

भारत के कुछ बड़े कृषि उत्पादक क्षेत्रों में स्वचालित भंडारण और पुनः प्राप्ति प्रणालियों का उपयोग बढ़ रहा है। इन प्रणालियों में रोबोट्स और कन्वेयर बेल्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो अनाज को स्वचालित रूप से गोदामों में संग्रहित और पुनः प्राप्त करते हैं। यह तकनीक समय की बचत करती है और गोदाम में अनाज की सुरक्षित भंडारण प्रक्रिया को सुनिश्चित करती है।

उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश में एक अनाज गोदाम में रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है जो अनाज की बोरी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्वचालित रूप से ले जाते हैं। यह प्रणाली न केवल अनाज की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि यह भंडारण प्रक्रिया को भी अधिक कुशल बनाती है। इससे गोदाम में मानव श्रम की आवश्यकता कम होती है, जिससे संचालन लागत भी घटती है।

  1. माइक्रोक्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम (Microclimate Control Systems)

भारत के कई कृषि-प्रधान राज्यों में, जैसे उत्तर भारत के क्षेत्र, जहां गेहूं और चावल का बड़ा उत्पादन होता है, माइक्रोक्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रणाली में गोदाम के अंदर के तापमान, आर्द्रता और वायु प्रवाह को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाता है। इससे न केवल अनाज की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि यह कीटों और फफूंद के विकास को भी नियंत्रित करता है, जो अनाज की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।

राजस्थान में एक कृषि गोदाम में इस प्रणाली का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है, जिसमें अनाज को नमी और उच्च तापमान से बचाने के लिए माइक्रोक्लाइमेट को नियंत्रित किया जाता है। यह प्रणाली विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है जहां अत्यधिक गर्मी और नमी होती है, क्योंकि इन परिस्थितियों में अनाज जल्दी खराब हो सकता है। इस तकनीक से, गोदामों में रखे गए अनाज की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, और किसानों को लंबे समय तक सुरक्षित भंडारण की सुविधा प्राप्त हुई है।

  1. कोल्ड चेन और कूलिंग तकनीक (Cold Chain and Cooling Technology)

भारत में कोल्ड चेन और कूलिंग तकनीक का उपयोग विशेष रूप से फल, सब्जियां, डेयरी उत्पाद, मांस और समुद्री उत्पादों के भंडारण के लिए किया जाता है। कृषि उत्पादों को ठीक से संग्रहीत करने के लिए कोल्ड चेन प्रणाली का महत्व बहुत बढ़ गया है। भारतीय किसान इस तकनीक का उपयोग करके अपनी उपज को बाजार में लंबी दूरी तक सुरक्षित रूप से भेज सकते हैं, जिससे उत्पादों की ताजगी बनी रहती है और उनकी गुणवत्ता संरक्षित रहती है।

पंजाब में एक कोल्ड चेन परियोजना के तहत, किसानों ने अपनी सब्जियों और फलों के भंडारण के लिए तापमान नियंत्रित गोदाम स्थापित किए हैं। इन गोदामों में तापमान को नियंत्रित रखने के लिए कूलिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि उत्पादों की ताजगी बनी रहे। यह तकनीक किसानों को अधिक समय तक अपनी उपज को रखने और उसे उच्च मूल्य पर बेचने की क्षमता प्रदान करती है। इस पहल से, विशेष रूप से छोटे किसानों को लाभ हुआ है, क्योंकि वे अब अपने उत्पादों को सही समय पर और सही कीमत पर बेच सकते हैं।

  1. सौर ऊर्जा आधारित गोदाम (Solar-Powered Warehouses)

भारत में सौर ऊर्जा का उपयोग कृषि क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है, और इसके तहत कई गोदामों में सौर ऊर्जा आधारित कूलिंग और वातावरण नियंत्रण प्रणालियाँ स्थापित की गई हैं। राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में किसानों ने सौर पैनल्स का इस्तेमाल कर अपने गोदामों को पूरी तरह से सस्टेनेबल बना लिया है।

इन गोदामों में न केवल सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न की जाती है, बल्कि इसे गोदामों में तापमान और आर्द्रता नियंत्रण के लिए उपयोग भी किया जाता है। यह तकनीक ऊर्जा की लागत को कम करती है और पर्यावरण के अनुकूल होती है। इस प्रकार के गोदामों के द्वारा किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता और सरकारी योजनाओं ने इन्हें और अधिक प्रभावी बना दिया है। 

निष्कर्ष (conclusion)

भारत में तापमान और आर्द्रता नियंत्रित आधुनिक गोदाम (Agri Warehousing Innovations) का भविष्य अब अधिक आशाजनक है, क्योंकि आधुनिक तकनीकों और नवाचारों के उपयोग से किसानों की समस्याओं का समाधान हो रहा है। तापमान और आर्द्रता नियंत्रित गोदामों के माध्यम से अनाज के नुकसान में भारी कमी आई है और उसकी गुणवत्ता को संरक्षित किया जा रहा है। सरकारी योजनाओं और पहलों से किसानों को इन तकनीकों का लाभ मिल रहा है, जिससे उनके जीवन-यापन में सुधार हो रहा है। इन नवाचारों का अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए तो भारत में कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिल सकती है, और अनाज की बर्बादी में कमी आ सकती है। 

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