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आज के समय में जब पारंपरिक खेती में लागत बढ़ रही है और मुनाफ़ा घटता जा रहा है, ऐसे में किसान अब औषधीय पौधों की तरफ रुख कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है सर्पगंधा की खेती (Sarpagandha Ki Kheti), जो धीरे-धीरे देश के अलग-अलग हिस्सों में लोकप्रिय हो रही है। सर्पगंधा न केवल औषधीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि इसकी बाज़ार में मांग और कीमत भी अच्छी होती है। ख़ास बात यह है कि इसकी खेती कम पानी और कम देखभाल में भी की जा सकती है। चलिए जानते हैं कैसे होती है इसकी खेती और क्या-क्या फ़ायदे हैं इससे।
सर्पगंधा क्या होता है? (What is Sarpagandha?)
सर्पगंधा एक औषधीय पौधा है, जिसकी जड़ें दवा बनाने में काम आती हैं। इसका इस्तेमाल ज़्यादातर बीपी (ब्लड प्रेशर), तनाव, नींद न आना, दिमागी कमजोरी जैसी बीमारियों की दवा बनाने में किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Rauvolfia serpentina है। इसकी मांग दवा कंपनियों में हमेशा बनी रहती है और यही वजह है कि इसकी खेती से अच्छा मुनाफ़ा मिलता है।
सर्पगंधा की खेती के लिए मौसम कैसा चाहिए? (What kind of weather is required for the cultivation of Sarpagandha?)
इस पौधे को ज़्यादा ठंड या ज़्यादा गर्मी पसंद नहीं होती। हल्का गर्म और नमी वाला मौसम इसके लिए ठीक रहता है। ये ज़्यादा धूप में अच्छा नहीं बढ़ता, इसलिए जहां थोड़ा छाया हो, वहां इसका ग्रोथ अच्छा होता है। अगर आपके इलाके में सालाना 1000 से 1200 मिमी तक बारिश होती है, तो ये खेती वहां खूब अच्छी चलेगी।
सर्पगंधा की खेती के लिए मिट्टी कैसी होनी चाहिए? (What should the soil be like for the cultivation of Sarpagandha?)
सर्पगंधा के लिए मिट्टी बहुत भारी नहीं होनी चाहिए। हल्की से मध्यम दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। बस एक बात ध्यान रखने की है कि खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए, वरना जड़ें सड़ जाएंगी। पीएच यानी खारापन 6 से 7.5 के बीच हो तो और भी अच्छा।
सर्पगंधा की खेती कैसे शुरू करें? (How to start cultivation of Sarpagandha?)
इसकी खेती आप सीधे बीज से कर सकते हैं या पौधे लगाकर। बीज को बोने से पहले एक दिन पानी में भिगो देना चाहिए ताकि अंकुर जल्दी निकलें। आमतौर पर जून-जुलाई में नर्सरी में बीज बो दिए जाते हैं। करीब 45-60 दिन में छोटे-छोटे पौधे तैयार हो जाते हैं, जिन्हें फिर खेत में लगा दिया जाता है।
एक हेक्टेयर खेत में करीब 40,000 से 50,000 पौधे लगाए जाते हैं। पौधे लगाने के समय लाइन से लाइन की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर रखी जाती है, ताकि पौधे खुलकर बढ़ सकें।
सिंचाई और देखभाल कैसे करें? (How to irrigate and care?)
सर्पगंधा की खेती (Sarpagandha Ki Kheti) में बहुत ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। बारिश के मौसम में तो सिंचाई की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। गर्मी में हर 15-20 दिन में एक बार सिंचाई करना ठीक रहता है। ध्यान रखना है कि खेत में पानी ज़्यादा देर तक खड़ा न रहे।
पौधों के आसपास की घास-फूस को समय-समय पर साफ करना ज़रूरी होता है। शुरू के तीन महीने में 2-3 बार निराई-गुड़ाई करनी पड़ती है। अगर कीड़े लगें तो नीम का तेल या गोमूत्र से स्प्रे करें, ये जैविक तरीका है और फ़सल को नुकसान भी नहीं पहुंचाता।
फ़सल की कटाई और जड़ों की प्रोसेसिंग (Harvesting and processing of roots)
सर्पगंधा की फ़सल तैयार होने में करीब डेढ़ से दो साल लगते हैं। जब पौधा अच्छी तरह से बढ़ जाए और जड़ें मोटी हो जाएं, तब कटाई की जाती है। पौधों को जड़ से उखाड़ना होता है, फिर जड़ों को पानी से धोकर अच्छी तरह साफ करना होता है।
जड़ें सुखाने के लिए सीधी धूप में नहीं, बल्कि छाया में सुखाना चाहिए। इससे जड़ों का रंग और दवाओं में असर बना रहता है। सूखने के बाद इन्हें बोरियों या डिब्बों में भरकर साफ-सुथरी जगह पर रख दें।
कितना उत्पादन और कितना मुनाफ़ा? (How much production and how much profit?)
एक हेक्टेयर जमीन से करीब 8 से 9 क्विंटल सूखी जड़ का उत्पादन होता है। बाज़ार में इसकी कीमत ₹450 से ₹700 प्रति किलो तक मिलती है। यानी एक हेक्टेयर से करीब ₹4 लाख से ₹6.30 लाख तक की कमाई हो सकती है।
ये आम फ़सलों से कई गुना ज़्यादा है और इसमें बहुत मेहनत भी नहीं लगती। बस शुरुआत में थोड़ा ध्यान देना होता है, फिर पौधे खुद संभल जाते हैं।
सर्पगंधा की मांग और बाज़ार (Demand and market of Sarpagandha)
सर्पगंधा की डिमांड दवा कंपनियों में बहुत ज़्यादा है। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी इसकी मांग है। इसकी जड़ें खरीदी जाती हैं और फिर उनसे दवाइयां बनाई जाती हैं। इसलिए अगर आप इसकी खेती करते हैं तो बाज़ार की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। बस अच्छी क्वालिटी की जड़ तैयार करें और सही समय पर प्रोसेसिंग करें।
सर्पगंधा की खेती से जुड़ी सलाह (Advice related to cultivation of Sarpagandha)
अगर आप सर्पगंधा की खेती (Sarpagandha Ki Kheti) करना चाहते हैं तो शुरू में 1 बीघा या आधा हेक्टेयर से शुरू करें। जब आपको तरीका समझ आ जाए, तब धीरे-धीरे इसका एरिया बढ़ा सकते हैं। बीज या पौधे खरीदने के लिए किसी विश्वसनीय स्रोत से ही लें। और हां, खेती के साथ थोड़ा रिकॉर्ड रखना भी फ़ायदेमंद रहेगा — जैसे कि कब रोपाई की, कब सिंचाई हुई, वगैरह।
निष्कर्ष (conclusion)
कम मेहनत, कम सिंचाई, बढ़िया मुनाफ़ा और हर वक्त रहने वाली डिमांड — ये सारी बातें सर्पगंधा की खेती (Sarpagandha Ki Kheti) को ख़ास बनाती हैं। अगर आप पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया और मुनाफ़े वाला करना चाहते हैं, तो यह फ़सल आपके लिए सही है। एक बार आप इसे ठीक से समझ गए, तो आगे आपकी कमाई का रास्ता खुद-ब-खुद बन जाएगा।
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