औषधीय पौधों की खेती से गांव के आर्थिक विकास की कोशिश कर रहे किसान तुलसी प्रकाश

उत्तराखंड के तुलसी प्रकाश ने औषधीय पौधों की खेती से अपनी तक़दीर बदली। जानें उनके अनुभव और इस व्यवसाय के फ़ायदे।

औषधीय पौधों की खेती Cultivation of medicinal plants

औषधीय और संगन्ध पौधों की बढ़ती उपयोगिता के ने इसकी मांग भी बढ़ाई है। दवाओं से लेकर सौंदर्य प्रसाधनों तक में इनका उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में बहुत से किसान इन पौधों की खेती करके अपनी तक़दीर बदल रहे हैं। ऐसे ही एक किसान हैं तुलसी प्रकाश। उत्तराखंड के चंपावत जिले के रहने वाले तुलसी प्रकाश बागवान काश्तकार और प्रगतिशील किसान हैं। कैसे उन्होंने की औषधीय पौधों की खेती (Cultivation of medicinal plants) की शुरुआत और क्या है इसके पीछे उनका मक़सद? आइए, जानते हैं।

12वीं की पढ़ाई के बाद शुरू किया काम

तुलसी प्रकाश अपने इलाके में संगन्ध और औषधीय पौधों की खेती करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने 12वीं की पढ़ाई के बाद सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती का काम शुरू कर दिया और उन्हें देखकर गांव के दूसरे लोगों ने भी इसकी खेती शुरू कर दी। तुलसी प्रकाश बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगे बढ़ते रहे। अपनी मेहनत और लगने के बूते ही आज वो अपने इलाके में औषधीय पौधों की खेती के मामले में अग्रणी हैं और दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं।

इन पौधों की करते हैं खेती

तुलसी प्रकाश कहते हैं कि उन्होंने जंगल से तेज़पत्ता का पौधा लाकर औषधीय पौधों की खेती (Cultivation of medicinal plants) की शुरुआत की यानी उन्होंने पहली औधषीय फ़सल तेजपत्ता लगाई। फिर जंगल से ही पौधे लाकर उन्होंने अपनी नर्सरी तैयार की। तलुसी प्रसाद कई तरह के पौधे उगा रहे हैं इसमें तेजपत्ता, आंवला, बड़ी इलायची, रीठू, रोज़मेरी, करीपत्ता, लेमन ग्रास, जंगली गेंदा, अश्वगंधा, सर्प गंधा जैसे ढेरों औषधीय और संगन्ध पौधे शामिल हैं।

मुश्किल हालात का सामना

अगर कोई इंसान जीतोड़ मेहनत करता है, तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है और तुलसी प्रकाश इसकी बेहतरीन मिसाल है। उनका कहना है कि जब उन्होंने नर्सरी की शुरुआत की थी, तब हालात आज जैसे नहीं थे, न तो कोई आधुनिक सुविधा थी और न ही पौधों की उपलब्धता। वो खुद जंगलों में जाकर पौधे लेकर आते थे। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है, साथ ही वो बताते हैं कि इस काम में उन्हें पत्नी का भी साथ मिला। पत्नी की मदद से ही वो इतना आगे बढ़ पाए हैं।

चाहते हैं गांव की तरक्की

तुलसी प्रकाश औषधीय पौधों की खेती से अच्छी कमाई तो कर रहे, मगर उनकी तमन्ना सिर्फ़ खुद कमाई करने की नहीं है, बल्कि वो अपने गांव और आसपास के गांव को भी तरक्की की राह पर ले जाना चाहते हैं। उनका कहना है कि अगर सही संसाधन और सरकारी सहयोग मिले तो वो इस इलाके को हर्बल उत्पादों का मुख्य केंद्र बना सकते हैं, उनका मानना है कि औषधीय पौधों की खेती से न सिर्फ़ गांवों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि युवाओं को भी रोज़गार मिलेगा।

रोड की समस्या

तुलसी प्रकाश बताते हैं कि वो जिस इलाके से हैं वहां सबसे बड़ी समस्या रोड की दिक्कत है। जिससे खेत में तैयार उपज को मंडी तक पहुंचाने में बहुत मुश्किल होती है। वो कहते हैं कि बाज़ार रोड से ढाई-तीन किलोमीटर दूर है, ऐसे में गड्ढे वाले रोड से उन्हें 50 किलो का बोझ लेकर जाना पड़ता है।

मिलता है अच्छा मुनाफ़ा

तुलसी प्रकाश फिलाहल फ़सल उगाने से लेकर मंडी तक का सारा काम खुद ही करते हैं। जहां तक मुनाफ़े का सवाल है, तो उनका कहना है कि बाज़ार में भाव को ऊपर-नीचे होता रहता है, मगर उन्हें फ़सल की अच्छी क़ीमत मिल जाती है। वो कहते हैं कि जिस बाज़ार में दो रुपए ज़्यादा मिलते हैं, फ़सल वहीं बेचते हैं।

फ़सल का रजिस्ट्रेशन

तुलसी प्रकाश का ज़ड़ी बूटी संस्थान चमोली गढ़वाल से रजिस्ट्रेशन हुआ है और वो जिन भी फ़सलों का उत्पादन करते हैं, वो सभी रजिस्टर्ड है।

सरकार से अपील

प्रगतिशील किसान तुलसी प्रकाश किसान ऑफ इंडिया के माध्यम से सरकार से अपील कर रहे हैं कि अगर उनकी मदद दी जाए, तो वो दूसरे किसानों, बेरोज़गार, युवाओं और महिलाओं को भी इस काम से जोड़ना चाहते हैं। अगर सड़क की सुविधा मिल जाए तो वो अपनी उपज से 3 गुना अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही गांव के दूसरे लोगों की भी इस काम में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं वो गांव के 10-20 लोगों को रोज़गार भी दे सकते हैं।

तुलसी प्रकाश अपनी मेहनत से न सिर्फ़ मुनाफ़ा कमा रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन चुके हैं। उनकी कहानी बताती है कि अगर जूनून हो और सही समर्थन मिले तो किसान अपनी ज़मीन से सोना रूपी फ़सल उगा सकता है।

औषधीय और सुगंधित पौधों का इस्तेमाल

औषधीय पौधों की खेती करके औषधीय और सुगंधित पौधों का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं के साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है।

औषधीय पौधों का इस्तेमाल

  • सेहत को दुरुस्त रखने के लिए
  • बीमारियों का इलाज करने के लिए
  • कच्चे या संसाधित रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है
  • अकेले या अन्य पौधों के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है

संगन्ध पौधों का इस्तेमाल

  • सौंदर्य प्रसाधनों में या इत्र बनाने में
  • मसाले बनाने में और दूसरी खाद्य सामग्री में
  • अरोमाथेरेपी के लिए

लोकप्रिय औषधीय पौधे

औषधीय पौधों की खेती (Cultivation of medicinal plants) में कुछ इस प्रकार पौधे हैं : 

नीम- ये बहुत पुराना औषधीय पौधा है जिसका सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है। नीम के पत्तों, फल से लेकर तना सब कुछ इस्तेमाल में आता है। इसमें बेहतरीन एंटीसेप्टिक गुण होता है।

एलोवेरा- बहुगुणी एलोवेरा एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है और ये रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करता है। इसका इस्तेमाल दवाओं के साथ ही सौंदर्य उत्पादों में बहुत होता है, इसलिए इसकी बहुत मांग रहती है।

अश्वगंधा- ये भी एक बेहद प्राचीन जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल प्रजनन क्षमता बढ़ाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और घाव को ठीक करने के लिए किया जाता है। ये कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार है, इसलिए आयुर्वेदिक दवाओं में इसका खूब इस्तेमाल होता है।

लेमन ग्रास- लेमन ग्रास के भी कई स्वास्थ्य लाभ है। इसके पत्तों का इस्तेमाल चाय, सूप, सलाद आदि बनाने में किया जाता है। इसकी भी मांग हमेशा बनी रहती है।

शतावरी- ये खास जड़ी-बूटी महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। कई महिला रोगों के लिए ये रामबाण है।

किसान इन लोकप्रिय औषधीय पौधों की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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