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पंजाब के कपास किसानों की जिंदगी में एक नई उम्मीद जगी है, और इसका कारण है कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से लैस कीट निगरानी प्रणाली। यह तकनीक विज्ञान और किसानों का मिलाजुला प्रयास है, जिसने पारंपरिक खेती को नई दिशा दी है। खासकर कपास की फ़सल में कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) जैसे खतरनाक कीटों के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने में यह प्रणाली बेहद प्रभावी साबित हुई है।
कपास की खेती में चुनौतियां (Challenges in Cotton Farming)
कपास की फ़सल पर कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) ने गहरा असर डाला है। इस कीट ने कपास उत्पादन में भारी गिरावट का कारण बना है, जिससे किसानों के लिए फ़सल की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है।
बीटी कपास में कीट प्रतिरोध : कपास में बीटी तकनीक के बावजूद कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) ने प्रतिरोध विकसित किया, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आई।
उत्पादन में भारी गिरावट : कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) के कारण उत्पादन में भारी कमी आई और इसके चलते किसानों को फ़सल की उन्नति में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
फ़सल क्षेत्र में कमी : इस समस्या के चलते किसानों ने कपास के बजाय अन्य फ़सलों की ओर रुख किया, जिससे कपास की खेती का क्षेत्र सिकुड़ने लगा।
2015 में गुजरात और 2017 में महाराष्ट्र में पहली बार कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) के प्रतिरोधक कीटों की पहचान हुई। यह समस्या 2018-19 तक पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक फैल गई। पंजाब में 2022 और राजस्थान में 2023 में इस कीट का प्रकोप और भी गंभीर हो गया। इसके कारण कपास उत्पादकता में भारी गिरावट आई, और किसानों ने धान, तिलहन और दलहन जैसी फ़सलों की ओर रुख करना शुरू कर दिया।
वैज्ञानिक समाधान (Scientific Solutions)
इन चुनौतियों से निपटने के लिए आईसीएआर-सीआईसीआर (ICAR-CICR) ने एक अनूठी तकनीक विकसित की है। यह तकनीक कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) की वास्तविक समय में निगरानी करती है और किसानों को समय पर चेतावनी देती है। इस तकनीक की मुख्य विशेषताएं हैं:
– AI आधारित स्मार्ट फेरोमोन ट्रैप
– रीयल-टाइम निगरानी
– मौसम की जानकारी
– स्वचालित कीट गणना
– 96.2% सटीक पहचान
यह स्मार्ट ट्रैप हर घंटे क्लाउड और पंजीकृत उपयोगकर्ताओं (किसानों और विस्तार अधिकारियों) को लाइव डेटा भेजता है। इसमें मशीन लर्निंग एल्गोरिदम (YOLO) का उपयोग करके कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) के कीटों का पता लगाया जाता है और उनकी गिनती की जाती है।
पंजाब के क्षेत्र में सफलता (Success in the field of Punjab)
इस तकनीक को पंजाब के तीन प्रमुख कपास उत्पादक जिलों (मानसा, बठिंडा और श्री मुक्तसर साहिब) में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया। इन जिलों के 18 गांवों में स्मार्ट ट्रैप स्थापित किए गए। इसके परिणामस्वरूप:
– 28,190 किसानों को सीधी जानकारी मिली
– समय पर चेतावनी और सलाह
– कीट नियंत्रण में मदद
इस तकनीक के कारण कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) का प्रकोप पिछले वर्षों के 30-65% से घटकर 2024-25 में 10% से कम रह गया।
किसानों को फ़ायदा (Benefit to farmers)
कीटनाशक छिड़काव में 38.6% कमी : इस स्मार्ट ट्रैप की मदद से कीटनाशक के छिड़काव में 38.6% की कमी आई, जिससे किसानों को लागत में कमी आई और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
फ़सल नुक़सान 10% से कम : किसानों ने इस प्रणाली से कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) के प्रभाव को नियंत्रित किया, जिससे फ़सल का नुक़सान 10% से भी कम हो गया।
सीधी जानकारी और मोबाइल पर सलाह : किसानों को मोबाइल के माध्यम से सीधी जानकारी और सलाह मिल रही थी, जिससे वे समय पर सही कदम उठा पाए।
किसानों ने इस तकनीक का उपयोग करके न केवल अपनी फ़सल को बचाया, बल्कि अपनी आमदनी भी बढ़ाई।
सफल किसानों की कहानी (Story of successful farmers)
मानसा जिले के खिआली चहियांवाली गांव के श्री जगदेव सिंह और श्री मुक्तसर साहिब जिले के रामगढ़ चुंगा गांव के श्री जगसीर सिंह जैसे किसानों ने इस तकनीक से अपनी फ़सल बचाई और आमदनी बढ़ाई। उनकी सफलता ने दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया।
भविष्य की राह (The path of the future)
अन्य राज्यों में विस्तार : कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित यह तकनीक अन्य राज्यों में भी लागू की जाएगी, जिससे और अधिक किसानों को इसका लाभ मिलेगा।
कम लागत में बेहतर सुरक्षा : इस प्रणाली से किसानों को कम लागत में बेहतर सुरक्षा मिलेगी, जिससे कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा मिलेगी।
युवा पीढ़ी को खेती की ओर आकर्षित करना : यह तकनीक युवा पीढ़ी को कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित कर सकती है, जिससे भविष्य में किसानों की संख्या बढ़ेगी और कृषि में नई क्रांति आएगी।
निष्कर्ष (conclusion)
यह पहल दर्शाती है कि कैसे आधुनिक तकनीक किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) जैसी समस्याओं से निपटने के लिए यह तकनीक न केवल एक समाधान है, बल्कि किसानों के सशक्तिकरण का एक माध्यम भी है।
कृषि का भविष्य (The future of agriculture)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ भारतीय कृषि एक नए युग में प्रवेश कर रही है। यह प्रयोग साबित करता है कि विज्ञान और किसान मिलकर कृषि को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। कॉटन पिंक बॉलवर्म (cotton pink bollworms) जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए यह तकनीक एक मिसाल है, जो न केवल फ़सलों को बचाती है, बल्कि किसानों के जीवन को भी बेहतर बनाती है।
इस तकनीक के माध्यम से किसानों को मिली सफलता न केवल पंजाब, बल्कि पूरे देश के लिए एक नई उम्मीद की किरण है। यह साबित करता है कि आधुनिक तकनीक और पारंपरिक खेती का मेल किसानों के लिए एक नई राह खोल सकता है।
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