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फ़ैमिली मिलेट (Ragi Millet Farming) जिसे भारत में रागी बाजरा के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में मदुवा कहा जाता है। ये मिलेट की कठोर ताकत मानी जाती है। भारत में रागी मिलेट शुष्क भूमि (शुष्क भूमि) का भी उपयोग किया जाता है।
रागी मिलेट की खेती जंगली और उपनगरीय दोनों स्थानों पर ही पाई जाती है। रागी मिलेट की मुख्य खेती आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा होती है। केरल, कर्नाटक राज्य में इसे मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है।
रागी बाजरा का निर्माण (रागी बाजरा उत्पादन)
पूरे विश्व में रागी मिलेट का 58 फीसदी उत्पादन अकेले भारत में होता है। रागी बाजरा की खेती पूरे साल होती है। इसमें कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है, जो कि पत्थरों के लिए काफी चमत्कारी है। रागी मिलेट बच्चों के लिए सबसे अच्छा घटक माना जाता है, साथ ही इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा सबसे अधिक होती है। नियासिन, रिवोफ्लेविन और थायमीन जैसे एसिड भी रागी मिलेट में भरपूर मात्रा में मिलते हैं।
रागी बाजरा के अलग-अलग नाम (Different Names of Ragi millet)
भारत में चावल मिलेट या रागी मिलेट ( रागी बाजरा ) को तमिल में केलवरुगु या फिर अरियाम, मलयालम में कूवरुगु, प्राचीन काल में रागुलु असामी में मारुबा धान, मारवा बंगाली भाषा में कहा जाता है, वहीं गुजराती में नगली या फिर अरियाम कहा जाता है।
नाचनी कहते हैं कि मराठी में, उड़िया में मंडिया, पंजाबी में मंडल के नाम से जाना जाता है। वैसे इसका वैज्ञानिक नाम एलुसीन कोराकाना (Eleusine Coracana) है।
रागी बाजरा की खेती कैसे करें? (रागी बाजरा की खेती कैसे करें)
रागी मिलेट ( ( Ragi millet ) ) की खेती डोमेट से लेकर खराब उठी ऊपरी मिट्टी तक में बड़ा आराम मिलता है। हालाँकि, बेहतर जल फूल वाली झरझरा या फिर लाइट लाल दोमट या फिर रेतीली दोमट मिट्टी भी रागी मिलेट की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है।
इसकी खेती के लिए अच्छे जल उत्पादकों वाली काली मिट्टी का भी उपयोग किया जा सकता है। कुल समग्र रागी के लिए 4.5 से 8.0 बांस मान वाली मिट्टी सबसे अच्छी है।
कृषि के लिए रागी बाजरा की खेती
रागी बाजरा (रागी बाजरा) की खेती के लिए दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से 34 डिग्री सेल्सियस तक रहना चाहिए। वहीं रात का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस तक अहम होता है। उपिमल बारिश लगभग 100 सेमी की जरूरी है।
भारत में रागी बाजरा की उन्नत किस्मों (भारत में रागी बाजरा की उच्च किस्में)
जसरिलंबी, मदयानगिरि-1, मदयानगिरि-2, डोडा, जेडेसंगा से लेकर जेनुमुद्दा, सीओ-9, सीओ-13, सीओ (रा)-14 और प्रयास-1, पेयूर-1, पेयूर-2, वीएल मंडुआ-101, वीएलमंडुआ -314, वीएलमंडुआ-315, एच-22, वीएलमंडुआ-124, वीएलमंडुआ-149, वीएल मंडुआ204, वीएलमंडुआ-146, के-1, हुलुबेले, करेगिडा, गिद्दा अच्छी निर्माता वाली कलाकार हैं।
रागी मिलेट फसल के लिए भूमि की तैयारी
वर्षा और सिंचित दोनों पर आधारित भूमि तैयार करने के लिए रागी की फसल उगाने की तकनीक अलग-अलग होती है। सबसे पहले ये कि मिट्टी में पौधे को बनाए रखने के लिए वर्षा आधारित 80 सेमी वर्षा वाली फसल के लिए खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई करनी चाहिए।
वहीं अगर भूमि पहले से ही सिंचित है, तो डिफॉल्ट आने पर खेत की अच्छी से जुताई करनी चाहिए।
रागी मिलेट की तारांकन
फिंगर मिलेट (फिंगर मिलेट) की खेती के लिए जरूरी है बीज के रूप में। आप इन यूनिट का उपयोग कर सकते हैं। फ़्राई बाज़ारा की वर्षा आधारित विधि बहुत ही आम विधि है जिसमें मसालों को छिटका कर खेत में बोया जाता है।
दूसरा तरीका है लाइन में बोया जाना, जिसमें शामिल हैं केन बाजार के बीज को लाइन में बोया जाना।
इस विधि में 22 सेमी से 30 सेमी की दूरी और बेसमेंट के बीच 8 सेमी से 10 सेमी की दूरी बनाएं। मीठे बाजरा के बीज को मिट्टी में लगभग 3 सेमी गहराई में बोना चाहिए।
तीसरा तरीका है ड्रिलिंग करके बीज बोना इसमें ड्रिल का इस्तेमाल करके बीज बोए जाते हैं। बुआई के लिए फर्टिलाइजर ड्रिल बहुत फायदेमंद है।
रागी मिलेट की पौध रोपाई
रागी मिलेट (Ragi Millet) फसल के लिए पौध रोपाई के लिए क्यारियों को बराबर करना और पानी देना बहुत जरूरी है। रोपाई के दौरान चार हफ्ते की आयु वाले पौधों को खेत में लगा देना चाहिए
शुरुआती रबी और ख़रीफ़ सीज़न के लिए, रोपाई 25 x 10 सेमी की दर से की जानी चाहिए। रोपाई से पहले पौधों तो रोग निरोधक करना चाहिए। इसके लिए पौधों के पत्तेदार हिस्से में 0.1 फीसदी कार्बेन्डाजिम घोल डाले।
पौधों की जड़ वाले हिस्से को एज़ोस्पिरिलम के घोल में डुबोएं। वहीं रोपाई के 3 दिन बाद पौधों को पानी देना शुरू करें।
रागी मिलेट की खेती में खरपतवार नियंत्रण
सिंचित फसल में रागी बाजरा में निराई-गुड़ाई करना बहुत जरूरी है। इसकी निराई-गुड़ाई हाथ से की जा सकती है या फिर खेत में खरपतवारनाशी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। हाथों से घास को पौध रोपाई के 9वें और 19वें दिन दो बार देना चाहिए।
रागी फसल में कीट और रोग पर नियंत्रण
बाकी फसलों की तरह ही रागी बाजरा में भी कई तरह के कीट और रोग पौधों को फसल खराब कर देते हैं। रागी में टिड्डा, गुलाबी तना छेदक, पीला एफिड पत्ती मोड़क, बाली कीट, बाली कीट, एफिड्स, सफेद तना छेदक, जड़ एफिड, फिंगर मिलेट लीफ हॉपर, कटवर्म कीट लगते हैं। वहीं ब्लास्ट और मोज़ेक मुख्य रोग हैं।
रागी मिलेट फसल की कटाई
रागी मिलेट ((Ragi Millet)) फसल की बालियां जब पीली भूरी हो जाएं तब इस फसल की कटाई करना शुरू करें। कटी हुई रागी को भूसे से 2-3 दिन के लिए ढक दें। बीज रोपाई के 110 से 120 दिन बाद रागी फसल उत्पादन के लिए तैयार होती है।
रागी मिलेट फसल से कमाई
बता दें कि रागी मिलेट के एक हेक्टेयर के खेत से 25 क्विंटल की पैदावार होती है। रागी का बाज़ार में भाव 2700 प्रति क्विटल या इससे ज्यादा भी होता है, जिससे किसान भाई एक बार की फसल से 60 हज़ार रुपए की कमाई कर सकते है।
फिंगर मिलेट के हेल्थ बेनिफिट्स (Health Benefits of Finger Millet)
रागी मिलेट के हैरान कर देने वाले हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं। जैसे ये वजन कम करने में काफी हेल्प करता है। ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। इसमें कोलेस्ट्रॉल होने की वजह से ये हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
पाचन क्रिया में मदद करता है। फिंगर मिलेट प्रोटीन और अमीनो एसिड का अच्छा स्रोत है। एंटी-एजिंग गुण होने की वजह से ये चेहरे की चमक को बढ़ाता है साथ ही उम्र बढ़ने की प्रॉब्लम को कम करता है।
बुंदेलखंड क्षेत्र में भी रागी मिलेट की खेती
अब उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड क्षेत्र में भी रागी जिसे मडुवा की खेती शुरू हो गई है। ये पहली बार है कि इस क्षेत्र में किसान रागी की फसल लगाना शुरू किया है।
आपको बता दें कि बुन्देलखंड क्षेत्र में किसान पहले परम्परागत खेती में ज्वार, बाजरा की खेती किया करते थे, लेकिन इन फसलों से कुछ फायदा ना होने के कारण इन्हें उगाना किसानों ने बंद कर दिया था।
रागी मिलेट माल्ट (Ragi Millet Malt)
रागी बाजरा का माल्टिंग भारत में अपनाई जाने वाली एक ट्रेडिशनल तरीका है। इसका इस्तेमाल छोटे बच्चों की डाइट और दूध को गाढ़ा करने वाले फॉर्मूलेशन में किया जाता है। माल्टिंग से एमाइलेज निकलता है जो अनाज के स्टार्च को डेक्सट्रिनाइज़ करता है।
रागी को माल्टा करने का एक अलग अनाज का उत्पादन करना है। माल्टेड रागी के आटे को ‘रागी माल्ट’ कहा जाता है। देश के कुछ हिस्सों में रागी मिलेट से बियर भी तैयार किया जाता है।