Dairy Farming: डेयरी फ़ार्मिंग से ट्राइबल किसानों का सामाजिक और आर्थिक उत्थान कर रहे अनुज कुमार सिंह

उत्तर प्रदेश के अनुज कुमार सिंह ने डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) से न केवल खुद का व्यवसाय खड़ा किया, बल्कि 100 से अधिक किसानों को रोज़गार से जोड़ा।

Dairy Farming डेयरी फ़ार्मिंग

भारत में खेती-किसानी आज भी लोगों की रोज़ी-रोटी का मुख्य साधन है। गांवों की एक बड़ी आबादी आज भी खेती पर निर्भर है। परंपरागत तरीकों से खेती करने के बावजूद, कई किसान अब नए विचारों और तकनीकों को अपनाकर खेती को फ़ायदे का सौदा बना रहे हैं। लेकिन जब कोई युवा नया सोचता है, कुछ अलग करता है और उसी से ट्राइबल किसान और आसपास के गांवों की जिंदगी बदलने लगती है, तब वह उदाहरण बन जाता है। ऐसे लोग न सिर्फ़ अपने लिए रास्ता बनाते हैं, बल्कि दूसरों को भी रास्ता दिखाते हैं। उनकी सोच और मेहनत कई गांवों की तस्वीर बदल देती है।

ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के अनुज कुमार सिंह की, जिन्होंने सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि सैकड़ों किसानों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। अनुज ने डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) को अपनाया और इसे आधुनिक तरीके से किया। उन्होंने डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) के ज़रिए न सिर्फ़ खुद का रोज़गार खड़ा किया बल्कि 100 से ज़्यादा किसानों की मदद भी की। उनकी इस पहल से कई किसान नियमित आमदनी पाने लगे, और गांवों में रोज़गार के नए अवसर भी पैदा हुए। आइए जानते हैं अनुज की पूरी कहानी।

अनुज ने डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की 

अनुज कुमार सिंह, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के एक छोटे से गांव से हैं। उन्होंने 2010 में महज ₹1 लाख की पूंजी से “Anuj Dairy Farm” की शुरुआत की थी। उस समय उनकी उम्र सिर्फ़ 22 साल थी। उन्होंने एग्री-क्लिनिक एंड एग्री-बिज़नेस सेंटर (AC&ABC) स्कीम के तहत ट्रेनिंग ली और वहीं से उन्हें डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) का आइडिया और आत्मविश्वास मिला।

डेयरी फ़ार्मिंग का मॉडल दूध के साथ अन्य प्रोडक्ट्स भी किए तैयार 

अनुज की डेयरी फ़ार्मिंग सिर्फ़ कच्चे दूध की बिक्री तक सीमित नहीं रही। उन्होंने दूध के साथ-साथ उससे बने कई प्रोडक्ट्स जैसे दही, घी, मक्खन और पनीर भी बनाकर बेचना शुरू किया। उनका दूध आसपास के इलाकों में और हलवाइयों को मिठाई बनाने के लिए जाता है। यह मॉडल डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) को सिर्फ़ एक प्रोडक्ट तक सीमित नहीं रखता, बल्कि उसकी वैल्यू चेन बढ़ाकर अधिक मुनाफ़े वाला बनाता है।

गुणवत्ता पर दिया पूरा ध्यान, हेल्दी पशु, साफ-सफाई और नियमित जांच

अनुज कुमार ने शुरुआत से ही इस बात पर ध्यान दिया कि उनके पशु स्वस्थ रहें। उन्होंने न्यूट्रिशनल फीड, समय पर डॉक्टर की जांच और साफ-सुथरा वातावरण सुनिश्चित किया। यही वजह है कि उनकी डेयरी फ़ार्मिंग में जानवर कम बीमार होते हैं और दूध की गुणवत्ता भी बनी रहती है।

100 किसानों को मिला सहारा, ट्राइबल किसान बने आत्मनिर्भर

आज अनुज कुमार सिंह की डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) सिर्फ़ उनका नहीं, बल्कि एक पूरे नेटवर्क का हिस्सा बन गई है। उनके साथ 10 गांवों के करीब 100 किसान जुड़े हुए हैं, जिनमें कई ट्राइबल किसान भी शामिल हैं। डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) के इस मॉडल से ट्राइबल किसानों को नियमित आमदनी मिल रही है, जिससे उनका जीवन स्तर सुधर रहा है। यही नहीं, अनुज की डेयरी फ़ार्म में 2 लोगों को स्थायी रोज़गार भी मिला है।

वार्षिक टर्नओवर ₹13 लाख एक मजबूत और टिकाऊ मॉडल

अनुज कुमार सिंह की Anuj Dairy Farm अब सालाना करीब ₹13 लाख का टर्नओवर करती है। यह किसी मल्टीनेशनल कंपनी का मॉडल नहीं है, बल्कि एक ग्रामीण और सस्टेनेबल डेयरी फ़ार्मिंग मॉडल है, जो दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहा है।

डेयरी फ़ार्मिंग कैसे बन सकती है ट्राइबल एरिया के लिए फ़ायदेमंद 

आज के समय में जब बहुत से युवा शहर की ओर भाग रहे हैं, अनुज जैसे किसान ट्राइबल इलाके में रहकर डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) से समाज का विकास कर रहे हैं। डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) एक ऐसा व्यवसाय है जिसे कम लागत में शुरू किया जा सकता है और सही देखभाल से मुनाफ़ा भी अच्छा होता है। ट्राइबल किसान यदि इस मॉडल को अपनाएं, तो वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं और पलायन की समस्या भी कम हो सकती है।

सीखने लायक बातें – अनुज से क्या सीखें?

  1. छोटे निवेश से बड़ा बिजनेस: केवल ₹1 लाख से शुरुआत कर ₹13 लाख का टर्नओवर हासिल किया।
  2. डेयरी फ़ार्मिंग में विविधता: दूध से बने प्रोडक्ट्स भी बेचना शुरू किया।
  3. साफ-सफाई और हेल्थ: जानवरों की सही देखभाल से प्रोडक्शन में सुधार।
  4. समुदाय को जोड़ना: ट्राइबल किसान और गांवों को रोज़गार से जोड़कर सबका विकास।

सरकारी योजनाओं का सही इस्तेमाल

अनुज कुमार ने बताया कि Agri-Clinics & Agri-Business Centres Scheme से उन्हें सही दिशा मिली। इस योजना का फायदा उठाकर उन्होंने डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) की टेक्निकल जानकारी ली और उसे ग्राउंड लेवल पर लागू किया।

निष्कर्ष

अनुज कुमार सिंह की सफलता साबित करती है कि अगर सोच सही हो, मेहनत सच्ची हो और दिशा स्पष्ट हो, तो कोई भी किसान डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) से न सिर्फ़ अपना बल्कि पूरे समुदाय का जीवन बदल सकता है। ट्राइबल किसान विशेष रूप से इस मॉडल से सीख सकते हैं कि कैसे वे स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। यदि आप भी किसान हैं और डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) शुरू करना चाहते हैं, तो अनुज की कहानी आपको नई दिशा दे सकती है।

ये भी पढ़ें : ओडिशा के आदिवासी किसानों की ज़िंदगी में एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन से आया बदलाव

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top