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आज के समय में किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ औषधीय फ़सलों की ओर भी तेजी से बढ़ रहे हैं। बदलते मौसम, बाज़ार की मांग और मुनाफ़े को देखते हुए अब किसान नई-नई फ़सलों को अपनाने लगे हैं। औषधीय फ़सलों में कम लागत लगती है और इनसे होने वाला मुनाफ़ा भी अच्छा होता है। इन्हीं में से एक है कुटकी की खेती (Cultivation of Kutki), जो कम लागत में अच्छी कमाई का जरिया बन सकती है। यह फ़सल ख़ासतौर पर उन किसानों के लिए फ़ायदेमंद है जो पहाड़ी या ठंडे इलाकों में खेती करते हैं और कुछ नया करना चाहते हैं।
यह एक औषधीय पौधा है जिसकी जड़ें दवाओं में इस्तेमाल होती हैं। ख़ासकर आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी में इसकी बहुत मांग है। इसकी जड़ों से बनने वाली दवाएं पाचन, जिगर और बुखार जैसी समस्याओं में कारगर मानी जाती हैं। ख़ासकर पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जाती है। हिमालयी क्षेत्र जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में किसान इसे उगाकर अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं।
कुटकी क्या है? (What is a Kutki?)
कुटकी एक औषधीय पौधा है जिसे अंग्रेजी में Picrorhiza kurroa कहते हैं। यह जड़ी-बूटी लंबे समय से आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल हो रही है। इसकी जड़ों में औषधीय गुण पाए जाते हैं जो ख़ासकर जिगर, पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार होते हैं।
कुटकी की खेती के लिए ज़रूरी जलवायु और ज़मीन (Climate and land required for Cultivation of Kutki)
कुटकी की खेती (Cultivation of Kutki) के लिए 1800 से 2800 मीटर ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाके उपयुक्त माने जाते हैं। इसे ठंडी जलवायु और नमी वाली स्थिति पसंद है। मिट्टी की बात करें तो दोमट और अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी कुटकी के लिए अच्छी मानी जाती है।
- pH मान: 6.0 से 7.5
- तापमान: 15 से 25 डिग्री सेल्सियस
खेती की तैयारी कैसे करें? (How to prepare for farming?)
भूमि की तैयारी
ज़मीन की दो बार जुताई कर इसे भुरभुरी बना लेना चाहिए। इसके बाद अच्छी तरह गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर खेत को तैयार करें।
बीज या पौधा
कुटकी की खेती (Cultivation of Kutki) दो तरीकों से की जाती है:
- बीज के द्वारा
- पौधों के टुकड़ों (Rhizome segments) से
बीज से खेती करना थोड़ा समय लेता है क्योंकि अंकुरण में 25 से 40 दिन लग सकते हैं। वहीं, पौधों के टुकड़ों से खेती करने पर पौधे तेजी से बढ़ते हैं।
रोपाई और दूरी (Transplanting and spacing)
मार्च से जून तक की अवधि कुटकी की रोपाई के लिए अच्छी मानी जाती है। पौधों को 15×15 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए।
- 1 हेक्टेयर भूमि में लगभग 80-100 किलो बीज की जरूरत होती है।
- अगर Rhizome से खेती कर रहे हैं तो 400-600 किलो टुकड़े लगते हैं।
देखभाल और सिंचाई (Care and irrigation)
- कुटकी की खेती में अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती।
- शुरुआती दिनों में हर 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें।
- खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें।
- कीट और रोगों की संभावना कम होती है, लेकिन जैविक उपाय अपनाना बेहतर रहता है।
फ़सल कटाई और उत्पादन (Harvesting and Production)
कुटकी की फ़सल तैयार होने में 2 से 3 साल का समय लगता है। जड़ों को निकालने के बाद उन्हें अच्छी तरह धोकर धूप में सुखाया जाता है। सूखने के बाद इन्हें बाज़ार में बेचा जा सकता है।
उत्पादन:
- 1 हेक्टेयर में 600-800 किलो सूखी जड़ का उत्पादन हो सकता है।
बाज़ार में मांग और कमाई (Demand and earnings in the market)
कुटकी की खेती (Cultivation of Kutki) की सबसे ख़ास बात है इसकी बाज़ार में भारी मांग। आयुर्वेदिक दवाओं, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा में इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है।
- बाज़ार में इसकी क़ीमत 7000 से 10,000 रुपये प्रति किलो तक होती है।
- एक हेक्टेयर से लगभग ₹7.5 लाख से ₹10 लाख तक की कमाई हो सकती है।
औषधीय उपयोग (Medicinal Uses)
कुटकी की जड़ें ख़ासतौर पर इन समस्याओं में उपयोगी हैं:
- जिगर से संबंधित बीमारियां
- पाचन तंत्र की गड़बड़ी
- बुखार, खांसी और सर्दी
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए
इसके अलावा, यह एक एंटी-ऑक्सीडेंट और सूजन कम करने वाला प्राकृतिक उपाय भी माना जाता है।
कुटकी की खेती से जुड़ी सावधानियां ( Precautions related to Kutki cultivation)
- इसकी खेती करते समय गुणवत्ता वाले बीज या Rhizome का ही उपयोग करें।
- फ़सल के समय का ध्यान रखें, क्योंकि बहुत पहले या देर से कटाई करने पर गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।
- प्रसंस्करण के समय जड़ों को अच्छे से सुखाना ज़रूरी है वरना इनमें फफूंदी लग सकती है।
सरकार और संस्थानों की भूमिका (Role of government and institutions)
कुछ क्षेत्रों में सरकार और कृषि संस्थान कुटकी की खेती (Cultivation of Kutki) को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण और सब्सिडी भी प्रदान करते हैं। किसान चाहें तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करके जानकारी और तकनीकी सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
अगर आप भी खेती में कुछ नया और मुनाफ़े वाला करना चाहते हैं, तो कुटकी की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। थोड़ी मेहनत और धैर्य से आप इस औषधीय फ़सल से अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। इसके साथ ही देश में औषधीय खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
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