Kisan Diwas Special | देश में बड़े स्तर पर जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसकी मुख्य वजह है कि प्राकृतिक खेती से न सिर्फ़ किसानों की लागत में कमी आएगी बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। दूसरी तरफ जिस तरह से महामारी के इस दौर में जैविक उत्पादों की तरफ लोगों का रुझान बढ़ रहा है, उसे देखते हुए आना वाला समय प्रकृति आधारित खेती का होगा। प्राकृतिक खेती में जैविक खाद एक मुख्य कारक है। जैविक खाद को कई तरह से तैयार किया जाता है। इसमें से एक है केंचुओं के ज़रिये निर्मित जैविक खाद ‘वर्मीकम्पोस्ट’ यानी कि केंचुआ खाद। केंचुए हरेक तरह का जैविक कूड़ा-कचरा खा सकते हैं और अपने मल तथा स्राव के रूप में शानदार जैविक खाद उत्सर्जित करते हैं। केंचुओं के इन्हीं गुणों की वजह से इन्हें बाक़ायदा व्यावसायिक रूप से पाला जाता है और अतिरिक्त आमदनी के लिए भी अपनाया जाता है। हरियाणा के रहने वाले कृष्ण कुमार भी पिछले पाँच सालों से वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। किसान ऑफ़ इंडिया से ख़ास बातचीत में उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट बिज़नेस को लेकर कई अहम बातें साझा की।
देशभर में हज़ार के ऊपर वर्मीकम्पोस्ट यूनिट्स
कृष्ण कुमार को हमेशा से प्रकृति से लगाव रहा। इसी लगाव ने उन्हें आज खेती-किसानी से जोड़ा है। उन्होंने महराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में वर्मीकम्पोस्ट, मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी फ़ार्मिंग, मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग लेने के बाद ही उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट यूनिट के व्यवसाय में कदम रखने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि ये एक ऐसा व्यवसाय है जो कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा देने का माद्दा रखता है। उन्होंने 2016 में 2 बेड से इस बिज़नेस को शुरू किया था। आज उनके फ़ार्म में वर्मीकम्पोस्ट के करीबन 700 बेड बने हुए हैं। हरियाणा के पटौदी में ग्रीन भारत फ़ार्म के नाम से उनकी ये वर्मीकम्पोस्ट यूनिट है। उनका ये फ़ार्म डेढ़ एकड़ के क्षेत्र में बना हुआ है। उनका एक फ़ार्म खेतियावास में भी है, जहां बड़े पैमाने पर वर्मीकम्पोस्ट यूनिट्स पर काम चल रहा है। इसका क्षेत्र करीबन दो एकड़ है। लखनऊ और जयपुर में उन्होंने सहभागिता के साथ कई और वर्मीकम्पोस्ट यूनिट्स खोली हैं। अब तक कुल मिलाकर हज़ार से ऊपर बेड इन यूनिट्स में लग चुके हैं।
सस्ती दरों में तैयार करवाते हैं वर्मीकम्पोस्ट यूनिट्स
कृष्ण कुमार अब तक देशभर में करीब 350 वर्मीकम्पोस्ट यूनिट्स लगवा चुके हैं। तीन यूनिट नेपाल में भी लगवाई हैं। 30 से 40 बेड वाली वर्मीकम्पोस्ट यूनिट्स तैयार करके दी हैं। कृष्ण कुमार ने बताया कि उनके द्वारा बनाई गई वर्मीकम्पोस्ट यूनिट्स सबसे कम लागत में तैयार की जाती हैं। वर्मीकम्पोस्ट के बेड बनाने के लिए ईट की जगह मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। मिट्टी से दीवार बनाई जाती है। वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने के लिए 30*4 (30 फीट लंबा और 4 फीट चौड़ा) बेड तैयार करते हैं। कृष्ण कुमार ने बताया कि वो एक बेड लगाने का 5 से साढ़े 5 हज़ार चार्ज करते हैं, जबकि इतने के ही बाहर 10 हज़ार रुपये लिए जाते हैं।
देते हैं ट्रेनिंग
फ़ार्म में वर्मीकम्पोस्ट को लेकर हर हफ़्ते रविवार को किसानों को ट्रेनिंग भी दी जाती है। कृष्ण कुमार कहते हैं कि आज के वक़्त में वर्मीकम्पोस्ट एक बड़ा व्यवसाय बनकर उभर रहा है। यही वजह है कि देशभर में इतनी यूनिट्स लग रही हैं। सरकार भी जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है, ऐसे में इसका महत्व और बढ़ जाता है। वो फ़ार्म में आने वाले लोगों को सरल से सरल तरीके से वर्मीकम्पोस्ट को लेकर जानकारी देते हैं। चार से पाँच घंटे का ट्रेनिंग सेशन होता है। अब तक 10 हज़ार से ऊपर लोग उनके वहाँ से ट्रेनिंग ले चुके हैं। दो साल पहले ही उन्होंने नि:शुल्क ट्रेनिंग सेशन देने की शुरुआत की थी।

उपलब्ध करवाते हैं केंचुए और वर्मीकम्पोस्ट
कृष्ण ने बताया कि उनके वहां से सस्ते दरों में केंचुए और वर्मीकम्पोस्ट उपलब्ध कराए जाते हैं। 6 रुपये प्रति किलो से लेकर 10 रुपये प्रति किलो की दर से वर्मीकम्पोस्ट बेचते हैं। कृष्ण कुमार बताते हैं कि थोक में 50 किलो का पैकेट करीब 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं। 5 किलो का पैकेट 100 रुपये में बिकता है, जिसका बाहर बाज़ार में और ऑनलाइन दाम करीब 350 रुपये पड़ता है।
कृष्ण कुमार कहते हैं कि उनका मकसद बड़े स्तर पर जैविक खेती को बढ़ावा देने का है। इसलिए वो कम से कम दरों में जैविक उत्पाद किसानों को देते हैं। कृष्ण ने बताया कि वर्मीकम्पोस्ट यूनिट के लिए जिन केंचुओं को 300 से 500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है, वो 100 रुपये प्रति किलो की दर से केंचुएं उपलब्ध कराते हैं। कृष्ण कुमार ने ये भी बताया कि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में केंचुएं के दाम ही हज़ार रुपये प्रति किलो हैं।

Eisenia Fetida केंचुए की ख़ासियत
ऑस्ट्रेलियन ब्रीड Eisenia Fetida की नस्ल के केंचुएं उनके पास हैं। सामान्य केंचुएं जहां ज़मीन में घुसकर मिट्टी भुरभुरी करते हैं, वहीं Eisenia Fetida नस्ल का केंचुआ सिर्फ़ गोबर खाता है। इससे उच्च गुणवत्ता का वर्मीकम्पोस्ट तैयार होता है। ये केंचुआ दिखने में लाल रंग का होता है। इसलिए इसे रेड वॉर्म भी कहा जाता है। इस केंचुए की खासियत के बारे में बताते हुए कृष्ण कुमार कहते हैं कि इस नस्ल का केंचुआ शून्य से लेकर 50 डिग्री तक के तापमान में रह सकता है। ये 24 घंटे अपने काम में लगा रहता है।
वर्मीकम्पोस्ट यूनिट में ही करते हैं खेती
कृष्ण अपनी इस वर्मीकम्पोस्ट यूनिट में जैविक खेती भी करते हैं। वर्मीकम्पोस्ट बेड के चारों ओर उन्होंने बांस लगा रखे हैं। ग्रीन नेट से उसे ढक रखा है। तार के जाल भी लगाए हुए हैं। इसमें वो लौकी और तोरी सहित कई तरह की बेलदार सब्जियों की खेती करते हैं। कई फलदार पौधे भी लगा रखे हैं। कृष्ण कुमार बताते हैं कि इसके कई फ़ायदे होते हैं। एक तो आपको ऑर्गेनिक सब्जियां मिल जाती है। साथ ही इससे केंचुओं का गर्मी और पाले की समस्या से बचाव होता है। साथ ही जाल लगे होने की वजह से पक्षियों से भी वर्मीकम्पोस्ट यूनिट सुरक्षित रहती है।

एग्रो-टूरिज़्म को दे रहे बढ़ावा
कृष्ण कुमार एग्रो-टूरिज़्म को बढ़ावा देने का भी काम कर रहे हैं। इससे उनका मकसद लोगों को गाँव की मिट्टी से जोड़ने और किसान की खून-पसीने की मेहनत से लोगों को रूबरू कराने का है। बर्ड सेंचुरी से लेकर बत्तख पालन, खरगोश पालन, मधूमक्खी पालन, ये सब कान्सेप्ट पर वो काम कर रहे हैं।
वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय- कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा
कृष्ण कुमार कहते हैं कि आने वाले समय में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय में बहुत संभावनाएं हैं। अभी भी भारी मात्रा में DAP, यूरिया का इस्तेमाल हो रहा है। युवा किसानों में ज़रूर वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल बढ़ रहा है। कृष्ण कुमार का कहना है कि आने वाले दस सालों में इसका व्यवसाय ऊंचाइयों पर होगा। ये व्यवसाय ऐसा है जो नौकरी के अवसर पैदा करने का माद्दा रखता है। अभी उनके फ़ार्म में चार लोग स्थायी तौर पर काम कर रहे हैं। दिहाड़ी में भी रोज़ के 15 लोग फ़ार्म में काम करते हैं।
गोबर भी बन सकता है कमाई का ज़रिया
जब कृष्ण कुमार ने वर्मीकम्पोस्ट का काम करने का फैसला किया तो कई लोगों ने उन्हें न करने की सलाह दी। ये कहकर मना किया कि इसमें तो गोबर का काम होता है। कृष्ण कुमार कहते हैं कि अगर आप इस व्यवसाय में आ रहे हैं तो आपको दिन में 10 बार गोबर में तो हाथ डालना ही होगा। आपकी इस बिज़नेस में रुचि होना बहुत ज़रूरी है। कृष्ण कुमार कहते हैं कि डेयरी फ़ार्मिंग के बजाय वो गौशाला से सीधा गोबर खरीदते हैं। गौशाला में गोबर महंगा बिकता है, लेकिन इसके बावजूद वो गौशाला को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से यहीं से गोबर खरीदते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

ये भी पढ़ें:
- प्राकृतिक खेती अपनाकर शोभा देवी ने अपनाई स्वस्थ जीवन शैली और पाया बीमारियों से छुटकाराप्राकृतिक खेती के ज़रिए शोभा देवी ने न सिर्फ़ अपने परिवार की सेहत सुधारी, बल्कि अच्छी आमदनी भी हासिल की।
- बिहार के पूर्णिया में पशुपालकों के लिए वरदान: देश की तकनीक से बनी ‘Sex Sorted Semen Facility’ का उद्घाटनप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 15 सितंबर को पूर्णिया स्थित एक अत्याधुनिक सीमन स्टेशन पर ‘Sex Sorted Semen Facility’ (लिंग-चयनित वीर्य सुविधा) का उद्घाटन किया। ये न केवल बिहार बल्कि पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत की पहली ऐसी सुविधा है, जिसे ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के तहत स्वदेशी तकनीक ‘Gausort’ से लैस किया गया है।
- Rabi Campaign 2025: पूसा सम्मेलन में तय हुई रबी की रणनीति, अब भारत बनेगा दुनिया की Food Basketनई दिल्ली स्थित पूसा में 15 से 16 सिंतंबर से चल रहे दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-रबी अभियान 2025’ (‘National Agriculture Conference – Rabi Campaign 2025’) कृषि क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रहा है।
- India’s Dairy Revolution: NDDB में महाशक्तिशाली सांड़ ‘वृषभ’ का जन्म, सुपर बुल और Genomic Selection से तकनीक का चमत्कारराष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) ने हाल ही में देश के पहले ‘Super Bull’ यानी महाशक्तिशाली सांड़ ‘वृषभ’ के जन्म की घोषणा की है। ये कोई आम सांड़ नहीं है, बल्कि अत्याधुनिक जीनोमिक चयन (Genomic Selection) और इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन–एंब्रियो ट्रांसफर (IVF-ET) तकनीक का चमत्कार है।
- प्राकृतिक खेती से गांव में नई पहचान बना रहे हैं हिमाचल के रहने वाले रोहित सापड़ियाप्राकृतिक खेती अपनाकर रोहित सापड़िया ने कैसे अपनी ज़िंदगी बदली, ख़र्च कम किया और दूसरों को भी खेती की ओर प्रेरित किया, जानिए।
- Rabi Abhiyan 2025: ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ के संकल्प के साथ तैयार होगा New Action Planदिल्ली में 2 दिवसीय ‘राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-रबी अभियान 2025’ (Two-day ‘National Agriculture Conference – Rabi Abhiyan 2025’) का आगाज़ हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में हो रहे इस सम्मेलन का उद्देश्य न सिर्फ आगामी रबी सीज़न 2025-26 के उत्पादन लक्ष्यों को तय करना है, बल्कि Integrated Strategy के ज़रिए देश के किसानों की आमदनी बढ़ाना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए स्ट्रैटजी बनानी है।
- खुशबू और सफलता की नई कहानी: सीमैप की ‘Kharif Mint Technology’ ने बदल दी मेंथा की खेती का नक्शाCentral Institute of Medicinal and Aromatic Plants (सीमैप – CIMAP), लखनऊ के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी डेवलप की है जो मेंथा की खेती के पुराने नियमों को ही बदल देती है।
- AI-Based Weather Forecasting: AI की बदौलत बारिश की हर बूंद का अंदाजा! अब नहीं होगी मेहनत बेकार, मिलेगा अगले 4 हफ्ते का पूरा प्लानभारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और दुनिया में अपनी तरह का पहला प्रोग्राम शुरू किया है- एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान (AI-based weather forecasting)। ये सिर्फ एक टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की जिंदगी बदलने का एक ज़रिया है।
- रजीना देवी की सफलता की कहानी प्राकृतिक खेती से मिली नई राहरजीना देवी की प्रेरणादायक सफलता कहानी, जहां प्राकृतिक खेती ने कम लागत और अधिक लाभ से उन्हें नई पहचान दिलाई।
- European Union ने भारतीय मत्स्य निर्यात के लिए खोले नए द्वार, 102 और फर्मों को मिली मंज़ूरीयूरोपीय संघ (European Union) दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सख्त मानकों वाले आयात बाजारों में से एक है। उसके खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के मानक (Food safety and quality standards) काफी हाई हैं। ऐसे में, 102 नई यूनिट्स का मंजूरी पाना इस बात का प्रमाण है कि India’s export control mechanism (एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल – EIC) कितना मजबूत और भरोसेमंद है।
- Mushroom Production Training से सहरसा की महिलाएं लिख रहीं आत्मनिर्भरता की कहानी, दे रहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूतीबिहार के सहरसा ज़िले (Saharsa district of Bihar) अगवानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में आयोजित चार दिवसीय मशरूम प्रोडक्शन ट्रेनिंग (Mushroom production training) ने न सिर्फ महिलाओं को एक नई राह दिखाई है, बल्कि उन्हें ‘आत्मनिर्भर भारत’ की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है।
- हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए विकसित की गेहूं की नई क़िस्म WH 1309गेहूं की नई क़िस्म WH 1309 पछेती बिजाई के लिए वरदान है, अधिक पैदावार और रोगरोधी गुणों के साथ किसानों को देगा स्थिर लाभ।
- Role of Technology in Agriculture: कृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका से बदल रहा है भारतीय खेती का भविष्यकृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका किसानों की आय, पैदावार और आत्मनिर्भरता बढ़ा रही है। जिससे भारत में खेती-किसानी की तस्वीर बदल रही है।
- Rangeen Machhli App: ICAR का ‘रंगीन मछली’ ऐप जो दे रहा सजावटी मत्स्य पालन और आजीविका के अवसरों को बढ़ावाRangeen Machhli App सिर्फ एक साधारण जानकारी देने वाला टूल नहीं है, बल्कि ये मछली पालन के शौकीनों (hobbyists), किसानों और बिजनेसमैन के लिए एक पूरी गाइड है। आइए जानते हैं इसकी ख़ास बातें।
- सफ़ेद चादर-सा काशी फूल: झारखंड की संस्कृति और जीवन से जुड़ी अनोखी पहचानझारखंड की संस्कृति और जीवन से जुड़ा काशी फूल शरद ऋतु का प्रतीक है। यह फूल आजीविका और धार्मिक महत्व दोनों में अहम भूमिका निभाता है।
- National Gopal Ratna Award 2025: देश के डेयरी किसानों और तकनीशियनों का सर्वोच्च सम्मान, जानिए कैसे करें अप्लाईराष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2025 (National Gopal Ratna Award 2025) देश के डेयरी किसानों, सहकारी समितियों और तकनीशियनों (Dairy farmers, co-operatives and technicians) के लिए एक शानदार अवसर है। ये न केवल एक Prestigious honors और Financial Aid प्रदान करता है, बल्कि देश के Dairy Sector में वैज्ञानिक और टिकाऊ तरीकों को अपनाने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन भी है।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के 5 साल, क्या कहते हैं मछली पालन से जुड़े ताज़ा आंकड़े?प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: ब्लू इकोनॉमी की ताकत, तकनीक और रोजगार से बदल रहा है भारत का मत्स्य क्षेत्र।
- सरस आजीविका मेला 2025: Vocal for Local और ग्रामीण आजीविका का संगम 22 सितंबर तक22 सितंबर तक दिल्ली में आयोजित सरस आजीविका मेला 2025, लखपति दीदियों और ग्रामीण महिलाओं के उत्पाद, संस्कृति, वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत का उत्सव है।
- गोबर से कागज़ और राखियां बनाकर जयपुर के भीमराज शर्मा ने शुरू किया अनोखा एग्री बिज़नेसगोबर से कागज़ और राखियां बनाकर एग्री बिज़नेस में जयपुर के भीमराज शर्मा ने पर्यावरण हितैषी नवाचार से नई पहचान बनाई।
- जामताड़ा ज़िले में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से पशुपालकों को आत्मनिर्भरता की राहमुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से जामताड़ा के किसानों को मिला चूज़ा वितरण का लाभ, पशुपालन से आत्मनिर्भरता की नई राह।