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इंसानों के तनाव स्ट्रेस के बारे में तो आजकल हर कोई बात कर रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि पौधों को भी तनाव होता है, जी हां पौधों के तनाव का असर फ़सल उत्पादन पर पड़ता है। जी हां, जानकारों का मानना है कि मौसम की विपरित परिस्थितियों में पौधों को भी स्ट्रेस होता है और वो अपन काम ठीक से नहीं कर पाते। ऐसे में इसे कम करके किसानों की मदद करने के लिए Agrocel कंपनी ऐसे उत्पाद बना रही है तो पौधों के तनाव कम करके उन्हें सही तरीके से काम करने में मदद करती है।
साथ ही ये विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक उर्वरक भी बना रही है जिससे मिट्टी की सेहत में सुधार होता है। कौन से हैं कंपनी के उत्पाद, कैसे वो फ़सल उत्पादन बढ़ाने में किसानों की मदद करते हैं और किसानों को कैसा करना चाहिए उनका इस्तेमाल इन सब मुद्दों पर Agrocel कंपनी के डॉ. सुरेंद्र कुमार ने विस्तार से चर्चा की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली के साथ।
ज़रूरी है मिट्टी की सेहत का ख़्याल रखना
Agrocel कंपनी डॉ. सुरेंद्र कुमार कहते हैं कि अच्छी खेती के लिए मिट्टी की सेहत का ध्यान रखना ज़रूरी है। इसलिए उनकी कंपनी पौधों के अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही मिट्टी की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए भी उत्पाद बना रही है। उनका कहना है कि अगर हम सिर्फ़ पौधों को पोषण देते हैं और मिट्टी का सही रखरखाव नहीं करते हैं, तो अच्छा उत्पादन नहीं मिलेगा। क्योंकि मिट्टी खेती का आधार है, सबकुछ मिट्टी से ही शुरू होता है, इसलिए किसानों को सबसे पहले अपनी ज़मीन का ध्यान रखना चाहिए। इसका मतलब है कि मिट्टी को सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में मिले ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है।
पौधों को 17 तरह के पोषक तत्वों की ज़रूरत
डॉ. सुरेंद्र का कहना है कि पौधों को सही विकास के लिए 17 तरह के पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। जिसमें से कुछ पोषक तत्व ज़्यादा मात्रा में चाहिए, तो कुछ थोड़ा कम और कुछ बिल्कुल ही कम मात्रा में, मगर चाहिए सब। एक पोषक तत्व की कमी को दूसरे पोषक तत्व की मात्रा बढ़ाकर पूरा नहीं किया जा सकता है। इसलिए किसानों को इस संतुलन को समझना बहुत ज़रूरी है।
उन्हें समझना होगा कि पौधों को नाइट्रोजन, पौटाश, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैगनीशियम, सल्फर, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ज़िंक और बोरोन सब पोषक तत्व सही अनुपात में चाहिए, तभी फ़सल का उत्पादन अच्छा होगा। सारे पोषक तत्व सही मात्रा में देने पर ये उस फ़सल के दाने या फल में जाकर डिपॉजिट हो जाते हैं, जिससे कल को जो अनाज का उत्पादन होगा उसमें भी वो पोषक तत्व जैसे ज़िंक, बोरोन आदि रहेंगे।
Agrocel कंपनी के उत्पाद
डॉ. सुरेंद्र बताते हैं कि पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिले इसलिए कंपनी ने कई उत्पाद बनाए हैं जिसमें से एक हैPotassium schoenite। ये एक नेचुरल पोषक तत्व है जिसमें 3 तरह के पोषक तत्वों को संतुलित अनुपात में मिलाया गया है। इसमें पोटाश, मैग्नीशियम और सल्फर है। ये प्राकृतिक उत्पाद है जिससे ज़मीन को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है, बल्कि इसमें मौज़ूद सल्फर मिट्टी के पीएच मान को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है।
कैसे करें इसका इस्तेमाल- डॉ. सुरेंद्र कहते हैं कि Potassium schoenite सभी फ़सलों में 10-12 किलोग्राम/एकड़ के हिसाब से डालना चाहिए। इसे धान, गन्ना, मिर्ची, टमाटर, बैंगन, गेहूं, बागवानी फ़सलों में डाला जा सकता है। आगे वो बताते हैं कि इसकी मात्रा फ़सलों के जीवनकाल और ज़रूरत के हिसाब से कम ज़्यादा हो सकती है, जैसे कुछ फ़सल जो जल्दी तैयार होती है, तो कुछ को ज़्यादा मैग्नीशियम की ज़रूरत होती है, तो उनके लिए बताई गई मात्रा से अधिक मात्रा का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पौधों के तनाव कम करने वाले उत्पाद
डॉ. सुरेंद्र का कहना है कि खेती में किसानों के सामने एक बड़ी चुनौती है मौसम की मार। कभी तापमान अचानक से बहुत ज़्यादा बढ़ जाने या सूखा पड़ जाने की वजह से फ़सलों पर असर पड़ता है। ऐसी स्थितियां पौधों में तनाव पैदा करती हैं जिससे फ़सल में दाने नहीं बनते हैं या फल, फूल नहीं आते हैं और उनका विकास प्रभावित होता है। उनका कहना है कि फ़सलों को कीट और रोगों से ज़्यादा नुकासन मौसम की वजह से होता है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इस ओर ध्यान देकर कुछ ऐसे उत्पाद बनाए हैं जिससे पौधों के तनाव की वजह से उत्पादन पर असर न बड़ें या बहुत कम पड़े।
पौधों के तनाव को कम करने के लिए Agrocel कंपनी ने Wonder Plus, Herbovita और Warranty जैसे उत्पाद बनाए हैं। ये सभी उत्पाद फ़सल में तनाव का असर कम करते हैं। ताकि तनाव वाली स्थिति में भी पौधे अपना काम जारी रखे, फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया चलती रहे, इससे फ़सल उत्पादन पर असर ज़्यादा नहीं पड़ता है। ये सारे उत्पाद तनाव वाली स्थिति में भी पौधों को काम करते रहने में मदद करते हैं।
कब करें इन उत्पादों का इस्तेमाल?
डॉ. सुरेंद बताते हैं कि इन उत्पादों के इस्तेमाल में टाइमिंग का बहुत महत्व है, यानी इसे सही समय पर इस्तेमाल करना बहुत ज़रूरी है। जैसे फ़सल की विकास अवस्था अलग होती है। पहली अवस्था होती है वनस्पतिक, फिर दूसरी अवस्था होती है प्रजनन जिसमें फूल से फल या कली बनती है। पौधों को यदि वानस्पतिक अवस्था में तनाव होता है, तो उनके पास रिकवरी के लिए समय होता है, लेकिन प्रजनन अवस्था में अगर पौधों को तनाव होता है तो इसका असर फ़सल उत्पादन पर पड़ता है।
इसलिए किसानों को अगर लगता है कि वनस्पति वृद्धि के समय तनाव है, जैसे तापमान बहुत अधिक है या सूखे की स्थिति है, तो उस समय इन उत्पादों का छिड़काव कर देना चाहिए। जब फ़सल प्रजनन अवस्था में जा रही है तो उससे पहले ही ये wonder plus, Herbovita और warranty स्प्रे कर देने से पौधों में उस तनाव को सहने की क्षमता विकसित हो जाती है और फ़सल उत्पादन पर असर नहीं पड़ता है या बहुत कम पड़ता है।
कितनी मात्रा में करें इस्तेमाल?
डॉ. सुरेंद्र कहते हैं कि Potassium schoenite पाउडर रूप में है, तो इसे एक लीटर पानी में 10 ग्राम पौधों पर स्प्रे किया जा सकता है। यदि इसे ड्रिप के साथ देना है, तो ड्रिप सिंचाई में प्रति एकड़ 4-5 किलोग्राम के हिसाब से डालें। इसे फंगस या कीड़े मारने वाली दवा के साथ मिलाकर भी दिया जा सकता है। जबकि wonder plus 75 मिली. 100 लीटर पानी/एकड़ के हिसाब से दिया जाना चाहिए। warranty 125 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें और Herbovita 3 मिली. प्रति लीटर के हिसाब से स्प्रे किया जा सकता है।
Agrocel कंपनी के डॉ. सुरेंद कहते हैं कि उनकी कंपनी किसानों को कम लागत में ऐसे उत्पाद उपलब्ध कराने पर काम कर रही है जिससे किसानों का उत्पादन और मुनाफ़ा बढ़े।
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