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अगर आपको लगता है कि भारत (India) सिर्फ सॉफ्टवेयर और फार्मास्यूटिकल्स (Software and Pharmaceuticals) में ही दुनिया को टक्कर दे रहा है, तो आपको अपनी सोच बदलने की जरूरत है। क्योंकि अब भारतीय कृषि उत्पाद (Agricultural Export Strategy Of India) भी ग्लोबल मार्केट (Global Market) में धूम मचा रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर (Union Minister of State for Agriculture Ram Nath Thakur) ने लोकसभा (Lok Sabha) में एक बड़ी खुशख़बरी शेयर की। साल 2024-25 में भारत ने कृषि निर्यात और प्रोसेस्ड फूड का निर्यात (Export of agriculture and processed food) 51.9 अरब डॉलर (करीब 4.32 लाख करोड़ रुपये) पार कर लिया। ये सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि लाखों किसानों की मेहनत और सरकार की सही रणनीति का नतीजा है।
क्या है इस सफलता का राज़?
पहले भारत सिर्फ चावल, मसाले और चाय जैसे पारंपरिक उत्पादों के एक्सपोर्ट पर निर्भर था, लेकिन अब सरकार हाई-वैल्यू एग्री प्रोडक्ट्स पर फोकस कर रही है। जैसे:
- ऑर्गेनिक फ़ल और सब्जियां
- प्रोसेस्ड फूड (मैंगो का पल्प, अदरक-लहसुन पेस्ट)
- डेयरी प्रोडक्ट (पनीर, घी, दूध पाउडर)
- बासमती चावल और मिलेट्स (श्री अन्न)
इन प्रोडक्ट्स की ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ रही है, और भारत इसमें अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
APEDA: भारतीय कृषि निर्यात का गेम-चेंजर
इस सफलता के पीछे APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) का बड़ा योगदान है। APEDA ने किसानों और एक्सपोर्टर्स को ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धी (competitive) बनाने के लिए कई स्कीम्स शुरू की हैं-
1. वित्तीय सहायता योजना (FAS)
APEDA छोटे और बड़े निर्यातकों को तीन मुख्य क्षेत्रों में मदद दे रहा है:
- इंपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना (कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग यूनिट)
- क्विलिटी में सुधार और प्रमाणन (अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरना)
- नए बाजारों तक पहुंच बढ़ाना (विदेशों में प्रोडक्ट प्रमोशन)
2. ‘फार्म टू फोर्क’ रणनीति
सरकार किसानों को सीधे ग्लोबल मार्केट से जोड़ रही है। अब किसान क्लस्टर बेस्ड फार्मिंग करेंगे, जहां पूरा गांव मिलकर एक ही प्रोडक्ट (जैसे शहद, अमरूद, केसर) उगाएगा और सीधे एक्सपोर्ट करेगा। इससे मिडलमैन की कमीशनखोरी ख़त्म होगी और किसानों को बेहतर दाम मिलेगा।
FTA डील्स: भारतीय किसानों के लिए गोल्डन ऑपरच्युनिटी
सरकार ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) के जरिए भारतीय कृषि उत्पादों को नए बाज़ारों तक पहुंचाने की कोशिश तेज़ कर दी है।
1. भारत-UK FTA: बड़ा ब्रेकथ्रू!
हाल ही में भारत और ब्रिटेन के बीच FTA साइन हुआ है। इससे भारतीय आम, अंगूर, बासमती चावल और मसालों को ब्रिटेन में जबरदस्त डिमांड मिलेगी। साथ ही, डील में ये यकीन दिलाया गया है कि ब्रिटेन के सस्ते डेयरी प्रोडक्ट भारत में न आएं, ताकि हमारे दुग्ध उत्पादकों (Dairy Producers) को नुकसान न हो।
2. अमेरिका के साथ टकराव: जीएम फसलों पर रोक
अमेरिका चाहता है कि भारत जीएम सोयाबीन और मक्का (GM soybeans and corn) का आयात शुरू करे, लेकिन भारत सरकार ने साफ मना कर दिया है। क्यों? क्योंकि जीएम फसलें भारतीय खेती और पर्यावरण के लिए ख़तरनाक हो सकती हैं। सरकार का कहना है कि हम अपने किसानों की सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बड़ा बढ़ावा
इस पूरी रणनीति का सबसे बड़ा फायदा गांवों और किसानों को मिलेगा। जब निर्यात बढ़ेगा, तो:
- किसानों की आमदनी बढ़ेगी
- गांवों में रोजगार के नए मौके पैदा होंगे
- महिलाएं और युवा एग्री-स्टार्टअप शुरू करेंगे
- ‘लोकल टू ग्लोबल’ का सपना साकार होगा
आगे की राह: क्या है लक्ष्य?
सरकार का अगला टारगेट है—
2025 तक कृषि निर्यात 60 अरब डॉलर पार कराना
मिलेट्स (श्री अन्न) को ग्लोबल सुपरफूड बनाना
ऑर्गेनिक और प्रोसेस्ड फूड्स का इंपोर्ट दोगुना करना
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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