मिज़ोरम में ब्रोकली की खेती में नया बदलाव – पोषक प्रबंधन और मिनी स्प्रिंकलर तकनीक से आई क्रांति

ब्रोकली की खेती में Integrated Nutrient Management और Mini Sprinkler System से मिज़ोरम के किसानों को मिली उन्नत पैदावार और बेहतर आमदनी।

ब्रोकली की खेती Cultivation of Broccoli

पूर्वोत्तर भारत के मिज़ोरम राज्य में अब ब्रोकली की खेती सिर्फ़ एक सब्जी उत्पादन तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह उन्नत और आधुनिक कृषि का एक बेहतरीन उदाहरण बन गई है। यहां के मेहनती किसान अब पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर, वैज्ञानिक और स्मार्ट खेती की ओर रुख कर रहे हैं।

इन्हीं आधुनिक तकनीकों में से एक है Integrated Nutrient Management, जिसके ज़रिए मिट्टी को ज़रूरी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में दिए जाते हैं, जिससे फ़सल को स्वस्थ और गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सके। इसके साथ ही Mini Sprinkler System की मदद से सिंचाई का कार्य भी अब पहले से कहीं अधिक सटीक और पानी की बचत वाला हो गया है।

इन तकनीकों को अपनाकर मिज़ोरम के किसानों ने न केवल ब्रोकली की पैदावार बढ़ाई है, बल्कि अपनी आमदनी में भी अच्छा खासा इज़ाफा किया है। यह बदलाव सिर्फ़ खेती में नहीं, बल्कि किसानों के जीवन स्तर में भी साफ देखा जा सकता है। आइए, जानते हैं कि कैसे मिज़ोरम के किसान इन तकनीकों का प्रयोग करके खेती में क्रांति ला रहे हैं।

ब्रोकली की खेती में थीं कई चुनौतियां (There were many challenges in the cultivation of broccoli)

मिज़ोरम में ब्रोकली और फूलगोभी की खेती आसान नहीं रही है। यहां इन फ़सलों की औसत उपज केवल 7.65 टन प्रति हेक्टेयर थी, जो कि देश की औसत उपज 17.34 टन प्रति हेक्टेयर से काफी कम है। इसका मतलब यह है कि मिज़ोरम के किसान देश के अन्य हिस्सों की तुलना में बहुत कम उत्पादन कर पा रहे थे।

इस कम उपज के पीछे कई वजहें थीं। सबसे पहली समस्या थी – उपयुक्त बीज किस्म की कमी, जिससे पौधों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों प्रभावित हो रहे थे। इसके अलावा, संतुलित पोषण और खाद प्रबंधन की सही जानकारी न होना भी एक बड़ी चुनौती थी।

कई किसान अज्ञानता के कारण कीटनाशकों और उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग करते थे, जिससे न केवल फ़सल को नुक़सान होता था, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी घटती जाती थी। ऊपर से सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न होना भी एक महत्वपूर्ण कारण रहा, जिसकी वजह से पौधों को ज़रूरी मात्रा में पानी नहीं मिल पाता था। इन सभी कारणों ने मिलकर ब्रोकली की खेती को मिज़ोरम में कम लाभकारी बना दिया था।

ब्रोकली की खेती में समाधान बना एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (Integrated Nutrient Management becomes the solution for broccoli cultivation)

मिज़ोरम में ब्रोकली की खेती से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, आइजोल ने वर्ष 2018 से 2020 के बीच एक महत्वपूर्ण पहल की। इस दौरान Cluster Front Line Demonstration (CFLD) नामक एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य किसानों को उन्नत तकनीकों से जोड़ना और फ़सल उत्पादन को बेहतर बनाना था।

इस प्रोजेक्ट के तहत ब्रोकली की खेती में खासतौर पर Integrated Nutrient Management (समेकित पोषण प्रबंधन) और Gravity-based Mini Sprinkler System जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया। इन तकनीकों की मदद से पौधों को ज़रूरत के अनुसार संतुलित पोषण और सटीक सिंचाई मिल सकी।

इस योजना को ज़मीन पर उतारने के लिए 40 हेक्टेयर क्षेत्र को चुना गया और 120 किसानों को प्रशिक्षण और सहायता दी गई। इस कदम से किसानों को न केवल वैज्ञानिक खेती की समझ मिली, बल्कि उन्हें अपनी फ़सल से बेहतर उत्पादन और मुनाफ़ा भी होने लगा।

नर्सरी से शुरुआत और पौधों की देखरेख (Starting from a nursery and caring for the plants)

ब्रोकली की खेती की शुरुआत सामुदायिक नर्सरी से की गई, जहां किसानों ने मिलकर पौधे तैयार किए। इस नर्सरी में CLX3512 किस्म के बीजों का उपयोग किया गया, जो गुणवत्ता और उत्पादन के लिहाज़ से एक अच्छी किस्म मानी जाती है। बीजों को गोबर की खाद (FYM) और वर्मी कम्पोस्ट से समृद्ध क्यारियों में बोया गया, ताकि पौधों को शुरुआती चरण में ही ज़रूरी पोषण मिल सके। इससे न सिर्फ़ अंकुरण बेहतर हुआ, बल्कि पौधे भी मज़बूत और स्वस्थ बने।

कीट नियंत्रण के लिए पारंपरिक और वैज्ञानिक दोनों उपाय अपनाए गए। कैटरपिलर जैसे कीटों को हाथ से हटाया गया और ज़रूरत पड़ने पर क्लोरोपाइरीफॉस का नियंत्रित छिड़काव भी किया गया, ताकि फ़सल को नुक़सान से बचाया जा सके। करीब 26 दिनों बाद पौधों की रोपाई की गई। रोपाई के दौरान पौधों के बीच 45×50 सेमी की दूरी रखी गई, ताकि हर पौधे को पर्याप्त जगह, धूप और पोषक तत्व मिल सकें और वे अच्छी तरह बढ़ सकें।

सिंचाई में आया बदलाव मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम से (Mini Sprinkler System brings change in irrigation)

पहाड़ी इलाकों में सिंचाई की सबसे बड़ी चुनौती होती है – जल की उपलब्धता और प्रबंधन। यहां Mini Sprinkler System ने किसानों को राहत दी। “जलकुंड” जैसी जल संचयन तकनीक अपनाई गई जिसमें 27,000 लीटर तक पानी जमा किया जा सकता है और बाद में इसे मिनी स्प्रिंकलर से उपयोग में लाया जाता है।

स्प्रिंकलर का जल डिस्चार्ज दर 50 लीटर प्रति घंटा रखा गया और सप्ताह में दो बार सिंचाई की गई। बांस के सहारे इन्हें 1-1.5 मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया, जो स्थानीय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग है।

पोषण प्रबंधन की सटीक रणनीति (The right nutrition management strategy)

ब्रोकली की खेती में Integrated Nutrient Management के तहत निम्नलिखित पोषण विधि अपनाई गई:

  • NPK: 75:38:30 किलो/हेक्टेयर
  • पोल्ट्री खाद और वर्मी कम्पोस्ट: 2.5 टन/हेक्टेयर
  • स्लेक्ड लाइम: 2 टन/हेक्टेयर

एक तिहाई नाइट्रोजन रोपाई से पहले और बाकी दो बार छिटकाव में दी गई। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रही और पौधों की ग्रोथ भी बेहतर रही।

उत्पादन में भारी बढ़त (huge increase in production)

ब्रोकली की खेती में जहां परंपरागत तरीकों से उपज 164 क्विंटल/हेक्टेयर थी, वहीं Integrated Nutrient Management और Mini Sprinkler System से उपज 243 क्विंटल/हेक्टेयर तक पहुंच गई। लागत में मामूली बढ़ोतरी के बावजूद मुनाफ़ा उल्लेखनीय रूप से बढ़ा।

  • लागत (प्रदर्शन प्लॉट): ₹1,21,525/हेक्टेयर
  • लाभ: ₹5,58,875/हेक्टेयर
  • लाभ (स्थानीय किसान): ₹3,24,550/हेक्टेयर

किसानों को मिला बेहतर विकल्प (Farmers got better option)

इस तकनीक से न सिर्फ़ उत्पादकता बढ़ी बल्कि किसानों को संतुलित खेती, जैविक खाद और जल प्रबंधन की भी अच्छी समझ मिली। यह मॉडल अब आसपास के गांवों में भी अपनाया जा रहा है और अब तक 64 किसान इस तकनीक को सफलतापूर्वक अपना चुके हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

ब्रोकली की खेती में Integrated Nutrient Management और Mini Sprinkler System का प्रयोग मिज़ोरम जैसे कठिन भूगोल वाले राज्यों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इससे न केवल उत्पादन बढ़ रहा है, बल्कि मिट्टी की सेहत, जल की बचत और किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है।

भविष्य में यदि इसी तरह की परियोजनाएं देश के अन्य पहाड़ी और कठिन इलाकों में भी अपनाई जाएं, तो भारत की खेती को टिकाऊ और लाभकारी बनाया जा सकता है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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