Soil Health Management: मिट्टी की जांच से जुड़ी ये बातें जानते हैं आप? मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन कितना ज़रूरी?
आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी […]
आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि नींव मज़बूत होगी, तभी तो मज़ूबत इमारत बनेगी। ठीक इसी तरह मिट्टी […]
खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसकी कुछ बुनियादी नियमों के बारे में पता होना चाहिए। जैसे कि फसल चक्र। ये मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी है, मगर बहुत से किसान इस नियम को भूलकर लगातार एक ही फसल उगा रहे हैं जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मक्के की फसल की खेती रबी, खरीफ़ और जायद सीज़न में आराम से की जा सकती है, लेकिन खरीफ़ के मौसम में मक्के की फसल बारिश पर निर्भर करती है। मक्के की फसल 3 महीने का वक्त लेती है।
भारत में ज्वार की फसल प्रमुख उपज है और ये खरीफ़ सीजन में उगाई जाती है। ये फसल वर्षा आधारित होती है। ज्वार में पौष्टिक तत्व कूट-कूट कर भरे होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।
कोदो की उन्नत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोदो को चावल की तरह खाया जा सकता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, खनिज, आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है। कोदो मिलेट (Kodo Millet In Hindi) और इसकी उन्नत खेती में बारे में जानिए।
ब्राउन टॉप बाजरा बहुत कम पानी के साथ और ख़राब मिट्टी में भी उगता है। हाई प्रोटीन होने की वजह से ये कई बीमारियों से लड़ने की ताकत रखता है। ब्राउन टॉप मिलेट की खेती (Brown Top Millet Farming) गर्म जलवायु वाले स्थान पर होती है। जिन जगहों पर सूखा हो, वहां ये फसल आसानी से उगाई जा सकती है।
ड्रैगन फ़्रूट (Dragon Fruit) वैसे तो विदेशी फल है, मगर पिछले कुछ सालों में भारत में भी ड्रैगन फ़्रूट की खेती लोकप्रिय हुई है और किसान इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं। मगर इसकी खेती अगर सही तरीके से न की जाए तो नुकसान हो सकता है। जानिए कौन से हैं वो कारक, जिनपर किसान को ध्यान देने की ज़रूरत है।
यूकेलिप्टस की खेती ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर होती है, क्योंकि इसकी लकड़ियां कई काम के लिेए उपयोग में आती है और इसकी खेती से कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। भारत में इसकी खेती को बढ़ावा देने और की कंपनियां किसानों को अच्छी पौध उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार काम कर रही हैं।
कर्नाटक के तुमकूर ज़िले के किसान अंतर फसल के रूप में सुपारी की खेती से बहुत खुश हैं, क्योंकि इससे उनकी आमदनी दोगुनी हो गई है। भारत में सुपारी की मांग को देखते हुए उसकी खेती फ़ायदेमंद है।
मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने मखाने की किस्म ‘स्वर्ण वैदेही’ विकसित की है। ये भारत की पहली किस्म है जो पारंपरिक बीजों से करीब डेढ़ गुना अधिक पैदावार देती है। स्वर्ण वैदेही किस्म में रोग और कीटों से नुकसान पहुंचने की आशंका कम होती है।
क्या आपने कभी राजस्थान की फेमस सब्ज़ी ग्वार का स्वाद चखा है? जिन्होंने खाया होगा उनको पता होगा कि इसका स्वाद भले ही बहुत अच्छा न हो, लेकिन ये सब्जी प्रोटीन से भरपूर होती है। इसकी फलियों से सब्ज़ी बनाई जाती है। वहीं ग्वार पशुओं के लिए भी बेहतरीन चारा होता है। बता दें कि कई जगहों पर इसे चारा फसल के रूप में भी उगाया जाता है। जानिए ग्वार की उन्नत खेती से जुड़ी अहम बातें।
चावल की खपत सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बहुत अधिक है। ऐसे में वैश्विक आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पैदावार बढ़ाना ज़रूरी है, मगर कीट और रोग धान की खेती में बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।
Frost Management: किसान अपनी फसलों को पाले से बचाने के लिए कई सारे उपाय करते हैं, जिससे उनकी फसलों को नुकसान न हो। जब तापमान 4 डिग्री के आस-पास हो तो को अलर्ट हो जाना चाहिए। पाले से बचने के लिए किसानों को अपने खेत में हल्की सी सिंचाई जरूर कर देनी चाहिए।
दुधारू पशु से दूध ज्यादा पाने के लिए उन्हें हरा चारा देना बहुत ज़रूरी होता है, लेकिन आजकल पशुपालकों के लिए हरा चारा इकट्ठा करना काफी मुश्किल भरा काम हो गया है। पशुपालकों को लगातार हरे चारे की कमी से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में वो मक्के की खेती में इस परेशानी का हल देख सकते हैं।
उड़द भारत की प्रमुख दलहन फसल है। उड़द की खेती मैदानी इलाकों में बड़े पैमाने में की जाती है। मगर इस फसल में कीटों का प्रकोप बहुत ज्यादा होता है। इसलिए खेती की उन्नत तकनीक और कीट नियंत्रण उपायों के ज़रिए किसान इससे अच्छी आदमनी प्राप्त कर सकते हैं।
गेहूं की फसल में रोगों से बचाव के लिए किसान को उन्नत किस्मों के बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसी ही कई अन्य रबी फसलों का प्रबंधन करने की ज़रूरत होती है। जानिए क्या हैं वो मानक।
ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत पक्षियों की कई प्रजातियों का घर है। इनमें से कई पक्षी ऐसे हैं जो किसानों के दोस्त होते हैं। कीट नियंत्रण से लेकर परागण तक, पक्षी किसानों के लिए प्राकृतिक सहयोगी बन गए हैं। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि इससे टिकाऊ और उत्पादक कृषि पद्धतियां बनाने में मदद मिल रही है।
दलहन भारत की प्रमुख फसलों में से एक है और पूरी दुनिया में दलहन का सबसे अधिक उत्पादन भारत में ही होता है। किसानों के लिए भी इसकी खेती फ़ायदेमंद है। इसलिए दलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। अगर किसान दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं, तो राइज़ोबियम कल्चर उनके लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है।
बरसीम एक महत्वपूर्ण दलहनी चारा फसल है जो न सिर्फ़ पशुओं के लिए बेहतरीन है, बल्कि ये मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में भी सहायक है। इसका इस्तेमाल हरी खाद के रूप में किया जा सकता है। पशुओं के लिए ये चारा बहुत पौष्टिक होता है, वैसे तो बरसीम की फसल पर रोगों का बहुत गंभीर परिणाम नहीं होता है, लेकिन कुछ रोग व कीट है जिनसे बचाव करना ज़रूरी है।
खेती में हरी खाद का मतलब उन सहायक फसलों से है, जिन्हें खेत के पोषक तत्वों को बढ़ाने के मकसद से उगाया जाता है। ये मिट्टी की साथ-साथ फसलों को भी कई लाभ देती हैं।