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गन्ने की खेती को लेकर कई बार किसानों में निराशा देखने को मिलती है, लेकिन शाहजहांपुर के प्रगतिशील किसान कौशल मिश्रा ने यह साबित कर दिया कि सही तकनीक और लगन से कोई भी किसान गन्ने की खेती से रिकॉर्डतोड़ मुनाफ़ा कमा सकता है। उन्होंने रिंग पिट विधि को अपनाकर 14 फीट लंबे गन्ने उगाकर पूरे ज़िले में चर्चा का विषय बना लिया है।
गन्ने की खेती में रिंग पिट विधि की अनूठी पहल (Unique initiative of ring pit method in sugarcane cultivation)
कौशल मिश्रा ने बताया कि गन्ने की खेती के लिए वे रिंग पिट विधि का उपयोग करते हैं। इस तकनीक के अंतर्गत गन्ने को गोलाकार गड्ढों में लगाया जाता है। रिंग पिट विधि से गन्ने की जड़ों को अधिक जगह मिलती है, जिससे पौधा अधिक मज़बूत और लंबा होता है। इस विधि से गन्ने की पैदावार पारंपरिक खेती के मुकाबले दो से तीन गुना बढ़ जाती है।
सिंगल बड़ तकनीक से गन्ने की खेती में बचत और बढ़त (Savings and growth in sugarcane cultivation through single bud technology)
कौशल मिश्रा गन्ने की बुवाई सिंगल बड़ तकनीक से करते हैं। इसके लिए वे पहले ट्रे में नर्सरी तैयार करते हैं और फिर खेतों में रोपाई करते हैं। सिंगल बड़ तकनीक से बीज की 75% तक बचत होती है और पौध एक महीने पहले ही खेत में लगने के लिए तैयार हो जाती है। यह तरीका गन्ने की खेती को और भी कारगर बनाता है।
आधुनिक तकनीक से खेती का रूपांतरण (Transformation of agriculture with modern technology)
गन्ने की खेती को लाभकारी बनाने के लिए कौशल मिश्रा रिंग पिट विधि के साथ-साथ ट्रेंच पद्धति और ड्रिप सिंचाई का भी प्रयोग करते हैं। ड्रिप तकनीक से पानी की बचत होती है और पौधे को आवश्यकतानुसार नमी मिलती रहती है। इस कारण गन्ने की गुणवत्ता बेहतर होती है और उत्पादन अधिक।
नई किस्मों और बीज उत्पादन से अतिरिक्त आय (Additional income from new varieties and seed production)
कौशल मिश्रा लगातार गन्ने की नई किस्मों की खेती करते हैं। साथ ही अपने फार्महाउस पर बीज तैयार कर अन्य किसानों को भी उपलब्ध कराते हैं। उनका कहना है कि हर सीजन में वे करीब तीन लाख सिंगल बड़ पौधे तैयार करते हैं और उन्हें 2.60 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से बेचते हैं। इससे उन्हें गन्ने की खेती के अलावा भी अच्छी आमदनी होती है।
सहफ़सली खेती से लागत में कटौती (Cost reduction through mixed cropping)
गन्ने की खेती के साथ-साथ कौशल मिश्रा सहफ़सली खेती भी करते हैं। वे अपने खेतों में चना, मटर, सरसों, आलू, प्याज, लहसुन, धनिया, सौंफ और शिमला मिर्च जैसी फ़सलें भी उगाते हैं। इससे गन्ने की खेती में लगने वाली लागत निकल जाती है और गन्ना पूरी तरह मुनाफ़े में बदल जाता है।
किसानों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन (Training and guidance to farmers)
कौशल मिश्रा सिर्फ़ खुद ही गन्ने की खेती में उन्नति नहीं कर रहे, बल्कि अन्य किसानों को भी इसका प्रशिक्षण दे रहे हैं। हर गुरुवार को वे अपने फार्महाउस पर किसानों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करते हैं, जिसमें रिंग पिट विधि और गन्ने की खेती की आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी जाती है।
राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान (Recognized at the national level)
उनकी उत्कृष्ट खेती को देखते हुए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी कौशल मिश्रा को सम्मानित किया है। राज्यपाल ने उनके फार्महाउस पर तैयार की गई सिंगल बड़ नर्सरी को अपने फार्म पर भी लगवाया है। यह उपलब्धि गन्ने की खेती में उनकी मेहनत और नवाचार की पुष्टि करती है।
रिंग पिट विधि क्यों है ख़ास? (Why the ring pit method is special)
रिंग पिट विधि में पौधे को पर्याप्त जगह और पोषण मिलते हैं। इस विधि से पौधों की जड़ों का विकास बेहतर होता है, जिससे गन्ना न केवल लंबा बल्कि मीठा भी होता है। गन्ने की खेती में रिंग पिट विधि अपनाकर किसान उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता में भी सुधार देख सकते हैं। यह तकनीक गन्ने की खेती के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का संकेत है।
निष्कर्ष (Conclusion)
कौशल मिश्रा की सफलता इस बात का प्रमाण है कि रिंग पिट विधि और आधुनिक तकनीकों से गन्ने की खेती को न केवल लाभकारी बनाया जा सकता है, बल्कि इससे किसान आत्मनिर्भर भी बन सकते हैं। रिंग पिट विधि, सिंगल बड़ तकनीक और सहफ़सली खेती जैसे उपाय अपनाकर किसान उत्पादन और मुनाफ़े दोनों में बढ़ोतरी कर सकते हैं।
कौशल मिश्रा की तरह अगर और किसान गन्ने की खेती को आधुनिक तकनीकों से करें तो यह न केवल उनकी आय बढ़ा सकता है, बल्कि गन्ने की खेती के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकता है।
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