Initiative Of Bihar Government: आपदा में पशुओं की जान बचाएगी ‘चारा वितरण योजना’, जानिए इसके बारे में विस्तार से

बिहार सरकार (Initiative of Bihar Government) ने एक ऐसी स्कीम (‘Animal Fodder Distribution Scheme’) शुरू की है जो आपदा (Disaster) के समय पशुओं की जान बचाने में मददगार साबित हो रही है।

Initiative Of Bihar Government: आपदा में पशुओं की जान बचाएगी 'चारा वितरण योजना', जानिए इसके बारे में विस्तार से

प्राकृतिक आपदाएं (Natural Disasters) जब भी आती हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब किसान और पशुपालक होते हैं। बाढ़, सूखा या अन्य संकट के समय न सिर्फ इंसान बल्कि पशुओं की जिंदगी भी ख़तरे में पड़ जाती है। लेकिन अब बिहार सरकार (Initiative of Bihar Government) ने एक ऐसी स्कीम (‘Animal Fodder Distribution Scheme’) शुरू की है जो आपदा (Disaster) के समय पशुओं की जान बचाने में मददगार साबित हो रही है। ये योजना क्या है और कैसे काम करती है? आइए, विस्तार से जानते हैं।

क्या है ये स्कीम?

बिहार सरकार ने ‘पशु चारा वितरण योजना’ शुरू की है, जिसका मुख्य उद्देश्य आपदा के समय पशुओं को उचित चारा मुहैया कराना है। इस योजना के तहत बाढ़, सूखा या अन्य प्राकृतिक विपदाओं के दौरान पशुपालकों को उनके मवेशियों के लिए मुफ्त चारा दिया जाता है। ये न सिर्फ पशुओं की जान बचाता है बल्कि पशुपालकों के आर्थिक नुकसान को भी कम करता है।

कैसे मिलता है फायदा?

इस स्कीम के तहत बड़े जानवरों (गाय, भैंस, बैल) को प्रतिदिन 6 किलो चारा और छोटे जानवरों (बकरी, भेड़) को 1 किलो चारा दिया जाता है। चारे की कीमत के मुताबिक, बड़े जानवरों के लिए 70 रुपये प्रतिदिन और छोटे जानवरों के लिए 35 रुपये प्रतिदिन का प्रावधान है।

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चारा वितरण की प्रक्रिया

शिविर लगाकर वितरण: जिला प्रशासन की मदद से अस्थायी शिविर बनाए जाते हैं, जहां पशुपालकों को चारा दिया जाता है।

टोकन सिस्टम: पशुपालकों को टोकन दिए जाते हैं, जिसके आधार पर उन्हें निश्चित मात्रा में चारा मिलता है।

समय सीमा: एक बार में तीन दिन से लेकर हफ्ते तक चारा दिया जाता है। अगर आपदा लंबी चलती है, तो दोबारा शिविर लगाकर वितरण किया जाता है।

योजना के बड़े फायदे

पशुओं की जान बचती है: आपदा के समय चारे की कमी से पशु भूखे मरने लगते हैं, लेकिन इस योजना से उन्हें समय पर पोषण मिलता है।
पशुपालकों को राहत: पशु उनकी आजीविका का साधन होते हैं, चारा मिलने से उनका व्यवसाय प्रभावित नहीं होता।
कृषि अर्थव्यवस्था मजबूत होती है: पशुपालन क्षेत्र स्थिर रहने से दूध, खाद और दूसरे प्रोडक्ट्स की सप्लाई बनी रहती है।
सरकार की भागीदारी :  ये स्कीम बताती है कि सरकार न सिर्फ इंसानों बल्कि जानवरों की चिंता भी करती है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

बिहार में हर साल बाढ़ और अन्य आपदाएं हज़ारों पशुओं की जान ले लेती हैं। लेकिन इस योजना के बाद:

  • पशु मृत्यु दर में कमी आई है।
  • पशुपालकों का आर्थिक नुकसान कम हुआ है।
  • दूध उत्पादन और कृषि कार्य प्रभावित नहीं होते।

एक जिम्मेदार पहल

बिहार सरकार की ये योजना न सिर्फ पशुओं की रक्षा कर रही है, बल्कि ये ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बना रही है। आपदा प्रबंधन (Disaster Management) में ये एक अनूठा कदम है, जो देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

 

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