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गन्ना (Sugarcane) एक प्रमुख नकदी फसल है, जिसका उपयोग चीनी, गुड़ और अन्य उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है। भारत में गन्ने (Sugarcane) की खेती बड़े पैमाने पर होती है, और मार्च-अप्रैल का समय गन्ने की खेती (Sugarcane Farming) के लिए उपयुक्त माना जाता है। यहां पर हम मार्च-अप्रैल में गन्ना लगाने के बेस्ट तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. गन्ने की उपयुक्त किस्मों का चयन (Selection of suitable sugarcane varieties)
मार्च-अप्रैल में गन्ने की रोपाई के लिए उन किस्मों का चयन करना चाहिए जो गर्मी को सहन करने में सक्षम हों और जल्दी परिपक्व हों। कुछ प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं:
1.Co. 0238 (CO 0238) – उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्म
2.Co.. 0118 (CO 0118) – अच्छी मिठास और रस वाली किस्म
3.Co.. 86032 (CO 86032) – व्यापक रूप से उगाई जाने वाली किस्म
4.Co.. 98014 (CO 98014) – सूखा प्रतिरोधी और उच्च उपज देने वाली किस्म
2. मिट्टी की तैयारी और उर्वरक प्रबंधन (Soil Preparation and Fertilizer Management)
1.गन्ने की खेती के लिए दोमट और जलोढ़ मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें उचित जल निकासी होनी चाहिए।
2..भूमि की जुताई: खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं।
3.जैविक खाद का उपयोग: प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट डालें।
उर्वरकों का प्रयोग: (Use of Fertilizers:)
- नाइट्रोजन (N) – 150-200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- फॉस्फोरस (P) – 60-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
- पोटाश (K) – 80-100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
3. गन्ने की बुवाई की विधियां (Methods of sowing sugarcane)
मार्च-अप्रैल में गन्ने की बुवाई दो प्रमुख तरीकों से की जाती है:
(A) रिज एंड फरो पद्धति (Ridge and Furrow Method)
इस विधि में गहरी नालियां (furrows) बनाई जाती हैं और गन्ने के टुकड़े उन नालियों में बोए जाते हैं। इससे जल निकासी अच्छी रहती है और जड़ों को सही पोषण मिलता है।
(B) ट्रेंच पद्धति (Trench Method)
इस विधि में 25-30 सेमी गहरी खाइयां बनाई जाती हैं और उनमें गन्ने के टुकड़े बोए जाते हैं। यह पद्धति जल संरक्षण में सहायक होती है और अधिक उपज देती है।
बीज दर: प्रति हेक्टेयर 35,000 से 45,000 दो आँख वाले गन्ने के टुकड़ों की आवश्यकता होती है।
4. सिंचाई और जल प्रबंधन (Irrigation and Water Management)
मार्च-अप्रैल में तापमान बढ़ने लगता है, इसलिए उचित जल प्रबंधन आवश्यक होता है।
- रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
- गर्मी के मौसम में हर 7-10 दिन में सिंचाई करें।
- ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने से पानी की बचत होती है और उपज में वृद्धि होती है।
- जल जमाव से बचें, क्योंकि यह गन्ने की जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
5. खरपतवार नियंत्रण और रोग प्रबंधन (Weed control and disease management)
गन्ने की अच्छी वृद्धि के लिए खरपतवार और रोगों से बचाव जरूरी होता है।
खरपतवार नियंत्रण (Weed control):
- शुरुआती 60-90 दिनों में खरपतवारों को हटाना ज़रूरी होता है।
- मल्चिंग (Mulching) करने से खरपतवार कम होते हैं और मिट्टी की नमी बनी रहती है।
- कुछ चयनित शाकनाशी (Herbicides) जैसे एट्राजीन (Atrazine) का इस्तेमाल किया जा सकता है।
रोग और कीट नियंत्रण (Disease and Pest Control):
1.लाल सड़न रोग (Red Rot Disease): प्रभावित पौधों को तुरंत नष्ट करें और प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
2.शीथ ब्लाइट (Sheath Blight): तांबे आधारित फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।
3.सफेद लट (White Grub): जैविक नियंत्रण के लिए नीम आधारित कीटनाशकों का उपयोग करें।
6. गन्ने की फसल का समय पर कटाई (Timely harvesting of sugarcane crop)
1.मार्च-अप्रैल में लगाए गए गन्ने की फसल 10-12 महीनों में तैयार होती है।
2.जब गन्ने के पत्ते सूखने लगें और उसकी मिठास बढ़ जाए, तब कटाई करें।
3.कटाई के बाद गन्ने को तुरंत मिल या गुड़ बनाने के लिए भेजें, ताकि उसकी गुणवत्ता बनी रहे।
मार्च-अप्रैल में गन्ना लगाने के लिए सही किस्मों का चयन, मिट्टी की अच्छी तैयारी, उर्वरकों का संतुलित उपयोग, उचित सिंचाई और रोग नियंत्रण आवश्यक होता है। अगर किसान इन तकनीकों का पालन करें, तो वे उच्च गुणवत्ता वाली फसल पा सकते हैं और ज़्यादा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
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