हरियाणा में एक अप्रैल से गेहूँ की खरीद चालू हुई। लेकिन मंडियों में उपज की बम्पर आवक ने ऐसा हाल किया कि सरकार को 18 कृषि उपज मंडियों में गेहूँ की खरीदारी पर वैसे ही रोक लगानी पड़ी जैसे शेयर बाज़ारों में अत्यधिक तेज़ी से उतार या चढ़ाव आने पर सर्किट ब्रेकर लगाकर खरीद-बिक्री को रोक दिया जाता है।
सरकारी आदेश का प्रभाव 7 ज़िलों की 18 चुनिन्दा मंडियों पर पड़ेगा। इससे करनाल और कुरुक्षेत्र ज़िलों में सबसे अधिक असर पड़ेगा क्योंकि इनकी पाँच-पाँच मंडियों में खरीदारी को रोकना पड़ा है।
किन मंडियों में रोकी गयी खरीदारी?
- · सोनीपत ज़िले में गोहाना,
- · पानीपत ज़िले में समालखा,
- · यमुनानगर ज़िले में रादौर,
- · अम्बाला ज़िले में शहर और साहा,
- · कैथल ज़िले में कैथल, कलायत और चीका,
- · करनाल ज़िले में निसिंग, तरावडी, असन्ध, इन्द्री और नीलोखेड़ी,
- · कुरूक्षेत्र ज़िले में थानेसर, पिहोवा, इस्माइलाबाद, लाडवा और बबैन।
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किसानों और प्रशासन को हिदायत
- · मोबाइल पर मैसेज़ मिलने के बाद ही किसान अपनी फसल लेकर मंडी में जाएँ।
- · ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर जाकर किसान अपनी सुविधानुसार मंडी में पहुँचने के दिन में परिवर्तन कर सकते हैं।
- · ज़िला उपायुक्तों को आदेश दिया गया है कि वो मंडियों के यथासम्भव नज़दीक अतिरिक्त खरीद केन्द्र खोलने की व्यवस्था करें।
- · मंडियों से उठान करने के लिए ज़िम्मेदार ठेकेदार यदि ढिलाई दिखा रहे हों तो हरियाणा सरकार ने परिवहन प्रबन्धक को फ़ौरान वैकल्पिक उपाय करने के लिए अधिकृत किया गया है। इसी तरह, ज़िला स्तरीय कमेटी को नये तरीके अपनाने के लिए कहा गया है।
- · इस बार सरकार ने मंडी में उपज बिक जाने के 48 घंटों के भीतर किसानों को भुगतान कर देने का नियम बनाया है। यदि इस देरी हुई तो किसान को 9 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा।
- · किसानों का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में ही पहुँचाया जाएगा।