ICAR-IIMR के हाइब्रिड मक्का के बीज से किसानों को मिला फ़ायदा, कम लागत में मिल रहा बेहतर उत्पादन

ICAR-IIMR के हाइब्रिड मक्का के बीज किसानों तक कम कीमत पर पहुंचाकर मक्का की खेती को नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं।

हाइब्रिड मक्का के बीज hybrid maize seeds

देश में मक्का की खेती एक अहम फ़सल के रूप में जानी जाती है, लेकिन किसानों के लिए सही समय पर अच्छे बीज मिलना आज भी एक चुनौती है। इसी समस्या को हल करने के लिए ICAR-IIMR (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मक्का रिसर्च), लुधियाना ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब संस्थान ने पहली बार अपने विकसित किए गए हाइब्रिड मक्का के बीज को ब्रांडिंग कर बाज़ार में उतारा है, जिससे किसानों को फ़ायदा हो रहा है और मक्का उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो रही है।

पहली बार ICAR-IIMR द्वारा अपने ब्रांड में बीज की बिक्री

ICAR-IIMR, लुधियाना ने पहली बार अपने नाम से हाइब्रिड मक्का के बीज का ब्रांड तैयार किया है और इसे देश के कई हिस्सों में भेजा है। इन बीजों में LQMH 1, IMH 221 (DMRH 1417), IMH 229 (DMRH 1410), DMRH 1308 और IMH 222 जैसे बेहतरीन किस्मों को शामिल किया गया है। ये बीज अब हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भेजे जा रहे हैं, जहाँ किसान लंबे समय से उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की मांग कर रहे थे।

25 हाइब्रिड किस्में तैयार, और 15 और पाइपलाइन में

पिछले सात वर्षों में ICAR-IIMR ने 25 हाइब्रिड किस्मों को विकसित किया है, जिन्हें केंद्रीय किस्म विमोचन समिति (CVRC) से मान्यता प्राप्त हुई है। इसके अलावा, 15 नई किस्में भी जल्द ही किसानों तक पहुँचने वाली हैं। इन मक्का के बीजों को कृषि विभाग और सहयोग से हर साल 26% से 64% तक का ब्रीडर सीड इंडेंट मिलता है, जो इन बीजों की मांग को दर्शाता है।

बीज उत्पादन की चुनौती और समाधान

अब तक, ज़्यादातर हाइब्रिड मक्का के बीज का उत्पादन दक्षिण भारत के राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में होता था। इससे बीजों की कीमतें उत्तर, पश्चिम और पूर्वी भारत के किसानों के लिए काफी बढ़ जाती थीं। इसी समस्या को हल करने के लिए ICAR-IIMR ने एक नई रणनीति अपनाई।

संस्थान ने पश्चिम बंगाल सरकार के कृषि विभाग और WBSSC (West Bengal State Seed Corporation) के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल में मक्का के बीज उत्पादन के नए केंद्र स्थापित किए हैं। इस कदम से न सिर्फ़ बीजों की लागत घटी है, बल्कि स्थानीय किसानों को भी रोजगार और आय का नया जरिया मिला है।

पश्चिम बंगाल में हुआ 32,465 क्विंटल बीज का उत्पादन

पिछले 5 वर्षों में पश्चिम बंगाल के नदिया, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, मुर्शिदाबाद, पश्चिम मेदिनीपुर और उत्तर 24 परगना जिलों में कुल मिलाकर करीब 32,465 क्विंटल मक्का के बीज का उत्पादन किया गया है। इसमें DMRH 1308, DMRH 1301, और LQMH 1 जैसी लोकप्रिय किस्में शामिल हैं।

DMRH 1301 और DMRH 1308 

2017 में जारी की गई DMRH 1301 और DMRH 1308 किस्में आज भी किसानों के बीच लोकप्रिय बनी हुई हैं। अब तक 18 प्राइवेट बीज कंपनियों ने ICAR-IIMR के साथ 24 एमओयू (MoUs) साइन किए हैं। इन बीजों की वजह से देशभर में अब तक लगभग 11.57 लाख हेक्टेयर में DMRH 1308 और 4.41 लाख हेक्टेयर में DMRH 1301 की खेती हो चुकी है।

नए बीजों की भी बढ़ रही है मांग

2020 के बाद जारी किए गए नए मक्का के बीज जैसे LQMH 1, IMH 224, और IQMH 203 भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। अब तक इन किस्मों के लिए 6, 5 और 2 MoUs साइन हो चुके हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि किसान अब नई तकनीकों और बेहतर बीजों की ओर रुख कर रहे हैं।

किसानों के लिए कम कीमत पर बेहतरीन गुणवत्ता

इन हाइब्रिड मक्का के बीजों की सबसे खास बात यह है कि ये बाज़ार की तुलना में 50% तक कम कीमत में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे किसानों की लागत घटती है और मुनाफ़ा बढ़ता है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर बीज उत्पादन से बीज समय पर और कम खर्च में उपलब्ध हो रहे हैं।

निष्कर्ष

ICAR-IIMR का यह कदम मक्का किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। संस्थान द्वारा विकसित मक्का के बीज न केवल उत्पादन बढ़ा रहे हैं, बल्कि बीजों की समय पर उपलब्धता, गुणवत्ता और किफायती मूल्य ने किसानों की जिंदगी बदलने का काम किया है। यह पूरी पहल एक सफलता की कहानी है – जिसमें विज्ञान, रणनीति और किसानों की जरूरतों को एक साथ लाकर देश के कृषि क्षेत्र को नई दिशा दी गई है।

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