Table of Contents
सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) भारत में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत बन चुकी है। लेकिन इस फ़सल की अच्छी पैदावार के लिए इसे कई रोगों और कीटों से सुरक्षित रखना ज़रूरी है। यदि समय रहते पहचान और उपचार न किया जाए, तो सोयाबीन की फ़सल में रोग (Diseases in soybean crop) भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस लेख में हम सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) से जुड़ी प्रमुख बीमारियों, उनके लक्षण और रोकथाम के जैविक उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
सोयाबीन की फ़सल में रोग: प्रमुख प्रकार और लक्षण (Diseases in soybean crop: major types and symptoms)
1. चारकोल सड़न
लक्षण: यह रोग फेजियोलिना नामक फफूंद से होता है। पौधे के तने और पत्तों पर लाल-भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। नवजात पौधे मुरझाने लगते हैं और पत्तियां पीली होकर टूटने लगती हैं।
रोकथाम:
- खेत में नमी बनाए रखें।
- बुवाई से पहले बीजों को केप्टान या थायरस (3-4 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें।
- ट्राइकोडर्मा हर्जियानम या ट्राइकोडर्मा विरिडी (4-5 ग्राम प्रति किलो बीज) जैविक उपचार के रूप में उपयोग करें।
2. पीला मोजेक रोग
लक्षण: पत्तियों पर गहरे पीले धब्बे जो धीरे-धीरे पूरी पत्ती को पीला कर देते हैं। यह रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलता है।
रोकथाम:
- सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए 250 मि.ली. डाइमिथोएट 30 ईसी या अन्य अनुशंसित कीटनाशकों का छिड़काव करें।
- जैविक विकल्प के रूप में नीम का पाउडर या नीम के बीजों का 5% घोल भी प्रभावी होता है।
3. झूलसा रोग
लक्षण: पत्तियों पर भूरे-पीले धब्बे, जो बाद में सूखकर गिरने लगते हैं।
रोकथाम:
- रोग प्रतिरोधक किस्मों जैसे ‘हिमसा’ या ‘पीके 327’ की बुवाई करें।
- डायथेन एम-45 का 0.2% घोल छिड़कें।
4. सामान्य मोजेक
लक्षण: पत्तियां सिकुड़ कर नीचे की ओर मुड़ जाती हैं। बीज कम बनते हैं।
रोकथाम:
- ग्रसित पौधों को तुरंत हटाकर नष्ट करें।
- इमिडाक्लोप्रिड या थायामेथोक्साम जैसी कीटनाशकों का छिड़काव करें।
5. बैक्टीरियल ब्लाइट
लक्षण: पत्तियों, तनों और फलियों पर गीले-कोणीय धब्बे बनते हैं।
रोकथाम:
- पीके 472 या जेएस 335 जैसी किस्में अपनाएं।
- कार्बेन्डाजिम का 0.2% घोल छिड़कें।
- दाल वाली फ़सलों से बचते हुए फ़सल चक्र अपनाएं।
सोयाबीन जैविक रोग नियंत्रण के उपाय (Soybean biological disease control measures)
जैविक फफूंदनाशक का प्रयोग
ट्राइकोडर्मा आधारित फफूंदनाशक न केवल चारकोल सड़न को रोकते हैं बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बढ़ाते हैं। जैविक फफूंदनाशक पर्यावरण के अनुकूल और फ़सल के लिए सुरक्षित होते हैं।
नीम आधारित उपाय
नीम का तेल, नीम पत्तों का पाउडर और नीम की खली का प्रयोग फ़सल पर जैविक रूप से छिड़काव किया जा सकता है। इससे रोग फैलाने वाले कीटों और फफूंद का प्रभाव कम होता है।
सोयाबीन की फ़सल को कीटों से कैसे बचाएं? (How to protect soybean crop from pests?)
सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) में कीटों का प्रकोप बहुत सामान्य है। सही समय पर पहचान और रोकथाम से नुकसान को टाला जा सकता है।
1. गर्डल बीटल
नुकसान: पीले रंग की इल्ली तनों और पत्तियों को खा जाती है।
नियंत्रण: थायोक्लोरोपिड 21.7 एसएस (750 मि.ली.) या प्रोपोकोनोफास 50 ईसी (1.25 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
2. सेमीलूपर कीट
नुकसान: पत्तियों में अनियमित छेद, फूल और फलियों को भी नुकसान।
नियंत्रण: इमामेक्टिन बेंजोएट 1.9 ईसी या स्पायनेटोरम 11.7 एसएसी का उपयोग करें।
3. स्टेम फ्लाई (तना मक्खी)
नुकसान: तनों के अंदर सुरंग बनाकर पौधे को सूखा देती है।
नियंत्रण: बीटासायफ्लुथ्रिन 8.49 + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% OD (350 मि.ली./हेक्टेयर) छिड़कें।
4. टोबैको कैटरपिलर
नुकसान: पत्तियों के हरे भाग को खाकर जालीदार बना देता है।
नियंत्रण: इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 एसजी (200 ग्राम) या फ्लूबेनडामाइड 39.35 एससी (150 मि.ली./हेक्टेयर)।
जैविक कीटनाशकों से कीट नियंत्रण (Pest control with organic insecticides)
- बीटी (BT): एक जैविक कीटनाशक जो इल्लियों को 2-3 दिन में मार देता है।
- ब्यूबेरिया वैसियाना: 1 किलो प्रति हेक्टेयर छिड़कें, जिससे कीटों के अंग नष्ट हो जाते हैं।
- एनपीवी (NPV): वायरस आधारित जैविक कीटनाशक।
कीट नियंत्रण के लिए यांत्रिक उपाय (Mechanical measures for pest control)
- फेरोमोन ट्रैप और लाइट ट्रैप: कीटों को आकर्षित कर पकड़ने का प्रभावी साधन।
- भक्षी पक्षियों का उपयोग: खेत में सूखी झाड़ियां या लकड़ी की खूटियां लगाएं ताकि पक्षी आकर इल्लियों को खा सकें।
निष्कर्ष (Conclusion)
सोयाबीन की फ़सल में रोग और कीट (Diseases in soybean crop) अगर समय पर पहचाने जाएं और सही उपाय किए जाएं, तो फ़सल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि होती है। जैविक और पर्यावरण के अनुकूल उपायों को अपनाकर किसान न केवल सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) को सुरक्षित बना सकते हैं, बल्कि खेती की लागत भी कम कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें: सोयाबीन के साथ कौन सी फ़सल लगाएं?
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।