आजकल सजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Farming) का क्रेज़ बढ़ा है। इसे कई युवाओं ने बतौर अपना व्यवसाय चुना है। एक ऐसे ही शख्स हैं, रागियाड ज़िले के गोवे गाँव के रहने वाले किसान हसन मसलाई। उन्होंने मछली पालन के अपने जुनून को पूरा करने के लिए सजावटी मछली पालन और मछली बीज उत्पादन का व्यवसाय शुरू किया। अब वह सालाना लाखों का मुनाफ़ा कमा रहे हैं। देश के साथ ही, उनकी सजावटी मछलियां विदेशों में भी जा रही हैं।
शौक को बनाया पेशा
मछली पालक हसन मसलाई के पास 3.60 हेक्टेयर ज़मीन हैं, जिसमें से 1.20 पर वह बागवानी फसलों की खेती करते हैं। हसन को मछली पकड़ने का बहुत शौक था, जिसके लिए वह पास के जलाशय, नदी, नाले और समुद्र में जाते थें। अपने मछली पकड़ने के शौक को पूरा करने के लिए वह पास के एक जलाशय में गए, जो किसी के द्वारा लीज़ पर लिया गया था। वहां जाने पर उन्हें किसी तरह की समस्या का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्होंने लीज़ पर जलाशय लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी जुटाई। फिर अपने गाँव में एक सोसायटी बनाकर जलाशय लीज़ पर लिया। अब जलाशय को भरने के लिए उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले मछलियों के बीज की तलाश थी।

मत्स्य विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र से मिली मदद
जब उन्हें अच्छे बीज नहीं मिले तो मत्स्य विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र, रोहा की मदद से उन्होंने मछली बीज उत्पादन का फैसला किया। इस काम के लिए उन्होंने अपने खेत के पास छोटे-छोटे तालाब लीज़ पर लिए। यहां उन्होंने इंडियन मेजर कार्प के 6 लाख स्पॉन जमा किए और अपनी सोसायटी के जलाशय से उन्हें उंगली के साइज़ की 1,20,000 मछलियां प्राप्त हुईं। 20,000 छोटी मछलियों को उन्होंने स्थानीय किसानों को बेच दिया, जिससे दोनों का फ़ायदा हुआ। जब उन्हें इस व्यवास से मुनाफ़ा होने लगा तो उन्होंने अपने अनुपयोगी ज़मीन को नर्सरी तैयार करने के लिए इस्तेमाल करने की सोची।

कई तरह की मछलियों का कर रहे पालन
प्रगतिशील किसान हसन पिछले 6 साल से अलग-अलग तरह की मछलियां पाल रहे हैं, जिसमें कतला, रोहू, मिर्गल, साइप्रस, ग्रासकार्प, सिल्वरकार्प और कालबासु शामिल हैं। जबकि सजावटी मछलियों में भी वह कई प्रकार की मछलियों का प्रजनन करते हैं। इसमें ऑस्कर, सेवरम, सिल्वर डॉलर, किकार्प, टाइगर शार्क, टाइगर बार्ब, औरुलियस बार्ब, फिलामेंटस बार्ब, नीग्रो बार्ब और सकर कैट फिश शामिल है।
सजावटी मछली पालन में मिली सफलता
इंडियन मेजर कार्प का उत्पादन 4-5 महीने ही होता है, इसलिए उन्होंने सजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Farming) शुरू कर दिया, जो पूरे साल चलता है। पहले उन्होंने गौशाला से में ही इसकी छोटी सी यूनिट लगाई। बिज़नेस बढ़ने पर इसके लिए अलग इकाई बनाई और अब उनका व्यवसाय खूब फल-फूल रहा है। अपने मछली पालन व्यवसाय से वह कइयों को स्थायी रोज़गार भी दे रहे हैं और 7 से 8 लोगों को सीज़न के हिसाब से रोज़गार देते हैं।

सजावटी मछली पालन से कितनी हो रही कमाई
हर साल वह करीब 70 लाख मछली के बीज का उत्पादन करते हैं, जिससे 10-12 लाख रुपये की आमदनी होती है, जिससे उन्हें करीब 3.5 लाख रुपये का मुनाफ़ा होता है। इसी तरह सजावटी मछली पालन से उन्हें 21 लाख की आमदनी होती है और लागत निकालने पर तकरीबन 8,13,500 रुपये का मुनाफ़ा रहता है।
इस तरह उन्हें कुल मिलाकर सालाना करीबन 11,63,500 का मुनाफ़ा होता है। उनकी सजावटी मछलियां देश के कई हिस्सों के साथ ही विदेशों में भी बेची जा रही हैं। उन्होंने मछली के बीज पैकिंग और परिवहन के लिए नई तकनीक विकसित की है, जिसके लिए उन्हें ICAR, नई दिल्ली की ओर से अभिनव किसान पुरस्कार भी मिल चुका है।
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