कलौंजी (Nigella) या मंगरैल या काला जीरा (Black Cumin Cultivation), एक ऐसी उपज है, जिसमें नकदी फसल, औधषीय खेती और मसालों की पैदावार जैसी सभी खूबियाँ मौजूद हैं। कलौंजी के बीज काले रंग के होते हैं। इसका स्वाद हल्का तीखा और कड़वा होता है। ये अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। दवाईयों के अलावा कलौंजी का इस्तेमाल नान, ब्रैड, केक और आचार को खट्टा और खुशबूदार बनाने में होता है। आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा पद्धतियों के लिए कलौंजी एक अहम औषधीय फसल है।
कलौंजी का इस्तेमाल
कलौंजी के तेल से कई दवाईयाँ बनती हैं। कई बार सुगन्ध के लिए भी कलौंजी के बीजों का इस्तेमाल होता है। कलौंजी का तेल गंजापन दूर करने में उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा लकवा, माइग्रेन, खाँसी, बुखार और फेसियल पाल्सी के इलाज़ में भी कलौंजी के सेवन से फ़ायदा होता है। दूध के साथ कलौंजी खाने पर पीलिया के उपचार में भी मदद मिलती है। मसालों के रूप में कलौंजी की पहुँच हरेक रसोई तक होती है।
कलौंजी का इस्तेमाल कृमि नाशक, उत्तेजक और प्रोटोजोवा रोधी के रूप में भी होता है। इसे कैंसर रोधी औषधि के रूप में भी प्रभावी पाया गया है। इसका प्रयोग बिच्छू काटने पर भी किया जाता है। इसके सुगन्धित तेल में निगेलोन, मिथाइल, आईसोप्रोपिल, क्विनोन और बीटा सिटोस्टैरॉल जैसे तत्वों के अलावा पामीटिक, मिरिस्टिक, स्टिएरिक, ओलेइक और लिनोलनिक नामक वसा अम्ल पाये जाते हैं।
कलौंजी में 35 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 21 प्रतिशत प्रोटीन और 35-38 प्रतिशत वसा पाया जाता है। इसका तेल से हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, कमर दर्द और पथरी जैसे रोगों में फ़ायदा देखने को मिलता है। कलौंजी का तेल सौंदर्य प्रसाधनों में भी इस्तेमाल होता है। अचार के मसालों में भी कलौंजी का मुख्य स्थान होता है।
कलौंजी की खेती
कलौंजी रबी की फसल है। उत्तर भारत का सर्दी-गर्मी का मिला-जुला मौसम कलौंजी की खेती की लिए माकूल है। इसीलिए कलौंजी की खेती मुख्य रूप से उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत के पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल से लेकर असम में की जाती है। कलौंजी का पौधा झाड़ीनुमा और एक से दो फ़ीट ऊँचा होता है। इसके गोल फल में काले रंग तिकोनेदार और बीजों से भरे 5 से 7 खाने होते हैं। इन्हीं बीजों को कलौंजी कहते हैं।
ये भी पढ़ें – साल भर करें करेला (Bitter Gourd) की खेती, कमायें कम लागत में बढ़िया मुनाफ़ा
आसान है बाज़ार में कलौंजी को बेचना
कलौंजी को बाज़ार में आसानी से बेचा जा सकता है। बढ़िया दाम मिलने की वजह से किसानों के लिए कलौंजी की खेती फ़ायदे का सौदा साबित होती है। कलौंजी की कई ऐसी उन्नत किस्में हैं, जिनके प्रमाणिक बीज बीमारी से बचाव करते हुए किसानों को ज़्यादा लाभ देते हैं। किसानों को बाज़ार में कलौंजी का सामान्य दाम करीब 20 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल तक मिल जाता है। कलौंजी की माँग इतनी उम्दा है कि मसालों के कई ब्रान्ड किसानों से इसकी पैदावार ठेके (कॉन्ट्रैक्ट खेती) पर भी करवाते हैं।
कलौंजी की खेती के लिए जलवायु
सुपारी और मसाला विकास निदेशालय, कालीकट (Directorate of Arecanut and Spices Development, Calicut) के मुताबिक, भारत के जिन हिस्सों में रबी की फसलें उगाई जाती हैं, वहाँ कलौंजी की खेती की जा सकती है। मध्य अक्टूबर से लेकर मध्य नवम्बर तक का समय कलौंजी की बुवाई के लिए सबसे बढ़िया होता है। कलौंजी के बीजों को अंकुरण के वक़्त सामान्य तापमान की ज़रूरत होती है, लेकिन पौधों के अच्छे विकास के लिए 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास वाली सर्दी और फसल के पकने के दौरान 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास वाली गर्मी का मौसम सबसे मुफ़ीद होता है।
ये भी पढ़ें – रजनीगंधा और ग्लाडियोलस (gladiolus) जैसे फूलों की खेती से होती है शानदार कमाई
कलौंजी की खेती के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इसका pH मान 5 से 8 के बीच होना चाहिए। पथरीली भूमि में कलौंजी की पैदावार अच्छी नहीं होती। कलौंजी के खेतों में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि इसे सामान्य सिंचाई की ही ज़रूरत होती है।
कलौंजी की उन्नत किस्में और पैदावार
कलौंजी के बीजों की अनेक उन्नत किस्मों का किसान इस्तेमाल करते हैं। इनमें से सात किस्में मुख्य हैं – अजमेर कलौंजी-20, AN-1, आज़ाद कलौंजी, राजेन्द्र श्यामा, पन्त कृष्णा, NS-44, NS-32 और कालाजीरा। कलौंजी की ये किस्में 140 से 160 दिनों में पककर तैयार होती हैं। इसकी पैदावार 8 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के बीच होती है।
कलौंजी के प्रमाणिक बीजों के प्राप्त करने के लिए सुपारी और मसाला विकास निदेशालय की ओर ख़ासतौर पर मान्यता प्राप्त नर्सरियों से सम्पर्क किया जा सकता है। इसके बारे में और जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
कलौंजी के लिए खेत की तैयारी
कलौंजी की खेती से पहले मिट्टी की जाँच करवानी चाहिए। मिट्टी में कार्बनिक तत्व और उर्वरा कम हो तो गोबर की खाद या कम्पोस्ट या NPK खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। जैविक खाद का इस्तेमाल ज़्यादा उपज देती है। बेहतर पैदावार के लिए बुआई से पहले खेत को कल्टीवेटर से दो-तीन जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाकर समतल कर लेना चाहिए।
कलौंजी की बुआई और सिंचाई
कलौंजी की बुवाई के लिए छिड़काव विधि ज़्यादा प्रचलित है। इसमें खेत को समतल करने के बाद करीब एक फ़ीय की दूरी पर क्यारी बनाकर बीज छिड़का जाता है। बीच को मिट्टी में डेढ़-दो सेंटीमीटर नीचे होना चाहिए। प्रति हेक्टेयर 5 से 7 किलोग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है। बुआई के पहले बीजों को उपचारित कर लेना चाहिए। बुआई के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। करीब 10 दिन बाद बीज अंकुरित होते हैं। अगली सिंचाई मिट्टी की नमी को देखते हुए ही करनी चाहिए। कलौंजी के खेत को खर-पतवार से मुक्त रखने के लिए दो से तीन बार निराई की ज़रूरत पड़ती है।
ये भी पढ़ें –कैसे खस (Vetiver) की खेती से करें शानदार कमाई?
कलौंजी की रोगों से रोकथाम
कलौंजी की फसल पर वैसे तो रोगों का असर कम पड़ता है। फिर भी कई बार कटवा इल्ली और जड़ गलन की वजह से पैदावार प्रभावित होती है। रोगग्रस्त पौधों की जड़ों पर क्लोरोपाइरीफास का छिड़काव करना चाहिए या फिर उन्हें काटकर नष्ट कर देना चाहिए। जड़ गलन से बचाव के लिए खेतों में पानी जमा नहीं होने देना चाहिए।
कलौंजी की कटाई
फसल पकने के बाद जब कलौंजी के पत्ते पीले पड़ने लगें तब पौधों को जड़ समेत उखाड़ें और कुछ दिन के लिए खेतों में ही सूखने के लिए छोड़ देते हैं। पौधों के पूरी तरह से सुखने के बाद लकड़ियों से पीटकर या मशीनों के ज़रिये कलौंजी के दानों को निकाल लें। अब उपज को बोरों में भरकर बाज़ार में बेचा जा सकता है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- मछली पालन आहार में मोरिंगा का उपयोग है बेहद फ़ायदेमंद: Uses of Moringa in Fish Farmingमछली पालन आहार में मोरिंगा का उपयोग मछलियों के लिए एक तरह का सुपरफूड है। यह मछलियों को बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है।
- Milky Mushroom Farming Success Story: दूधिया मशरूम की खेती में सफलता कैसे मिली इस किसान को, पढ़िए कहानीBCT कृषि विज्ञान केंद्र, हरिपुरम के STRY Program द्वारा कालापूरेड्डी गणेश को दूधिया मशरूम की खेती को अपनी आमदनी का मुख्य तरीका बनाने का हौसला मिला।
- Maize Cultivation Methods: जानिए मक्का की खेती के तरीकेवैज्ञानिकों ने मक्का की खेती के कई नए तरीके खोजे हैं जिनसे कम मेहनत में ज़्यादा फ़सल मिल सकती है और इन नए तरीकों से किसान कम ख़र्च में ज़्यादा मक्का उगा सकते हैं।
- Integrated Aquaculture Poultry Goat Farming System: एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली से कमाएं मुनाफ़ाएकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन एक ऐसा तरीक़ा है जिसमें मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन और खेती करना सभी कार्य एक साथ किए जाते हैं।
- 7 कृषि योजनाओं को मंज़ूरी, करीब 14 हज़ार करोड़ रुपये ख़र्च करेगी सरकारप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया है कि सरकार किसानों पर 14 हजार करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।
- Goat Farming in Bihar: बिहार में बकरी पालन बन रहा पशुपालकों का मुख्य व्यवसायबिहार में बकरी पालन किसानों के लिए एक लाभदायक कारोबार बन गया है। ये न केवल उनकी आय बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें आर्थिक स्थिरता भी दे रहा है।
- Poultry Management : गोवा के किसान ने कैसे की पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई, पढ़ें उनकी सफलता की कहानीगोवा के अरम्बोल गांव में रहने वाले सबाहत उल्ला खान पोल्ट्री प्रबंधन से कमाई (Earning from Poultry Management) करके अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं।
- Apple Farming In Plain Areas: मैदानी इलाकों में सेब की खेती होने लगी, जानिए किस्मों के बारे मेंमैदानी इलाकों में सेब की खेती (Apple Cultivation in plain Areas) के लिए कई किस्में उगाई जा सकती हैं, जैसे एचआर एमएन-99, इन शेमर, माइकल, बेबर्ली हिल्स आदि।
- Rashtriya Vigyan Puraskar-2024: कृषि क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कारराष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2024 के लिए कृषि क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सम्मानित किया।
- Solar Powered Irrigation System: जानिए सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई के बारे मेंसौर ऊर्जा आधारित सिंचाई (Solar Power Irrigation System) प्रणाली सोलर पैनल से संचालित होती है, जो खेतों में बिजली की जगह पानी की आपूर्ति करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय बाज़र में रंगीन आम की बढ़ती मांग, आम की उन्नत किस्म को तैयार करने में कितना समय लगता है?भारत आम उत्पादन (Mango Production) में अग्रणी है। रंगीन आमों (Colorful Mango Varieties) की बढ़ती मांग को देखते हुए वैज्ञानिकों ने नई हाइब्रिड किस्में विकसित की।
- Fish Farming Business Plan: मछली पालन व्यवसाय की योजना बना रहे हैं तो डॉ. अनूप सचान से जानिए सबकुछमछली पालन व्यवसाय की योजना (Fish Farming Business Plan) बनाकर शुरुआत करने से नुकसान को कम कर फ़ायदे को बढ़ाया जा सकता है।
- High Yielding Crop Varieties: अच्छी उपज देने वाली 61 फसलों की 109 उन्नत बीजों की किस्में जारी, जानिए इनके बारे मेंपीएम मोदी ने नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में 61 फसलों की 109 उन्नत बीजों की किस्में (High Yielding Crop Varieties) जारी की।
- भारत में मछली पालन (Fish Farming In India): आर्थिक लाभ और टिकाऊ प्रबंधन की रणनीतियांभारत में मछली पालन (Fish Farming In India) एक लाभकारी व्यवसाय है, जो किसानों और उद्यमियों को अच्छा मुनाफ़ा देता है। इसे लेकर कई सब्सिडी और योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
- Crops To Grow In Mixed Farming: जानिए मिश्रित खेती में कौन-कौनसी फ़सलें उगाएंजानते हैं कि मिश्रित खेती में कौन-कौनसी फ़सलें उगाएं (Crops To Grow In Mixed Farming) जो आपकी खेती में सबसे कारगर साबित हो सकती हैं।
- Water Management In Natural Farming Tips: प्राकृतिक खेती में जल प्रबंधन कैसे करें?प्राकृतिक खेती में जल प्रबंधन (Water Management In Natural Farming) से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, फसल की गुणवत्ता सुधरती है और जल संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
- Fig Farming: बिहार में अंजीर की खेती पर अनुदान, बागवानी क्षेत्र का होगा विस्तारबिहार के कटिहार ज़िले में पहली बार अंजीर की खेती (Fig Farming) शुरू हो गई है। इसके लिए अनुदान भी दिया जा रहा है। 4 से 5 साल बाद अंजीर के पेड़ से 15 किलो तक अंजीर की पैदावार ले सकते हैं।
- Equipments For Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों के बारे मेंहाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों (Hydroponic Farming Equipments) में ग्रो लाइट्स, पंप, नली, पीएच मीटर, पोषक तत्व समाधान, ग्रो बेड्स, और कंटेनर शामिल होते हैं।
- Poultry Health Management: पोल्ट्री की देखभाल और प्रबंधन कैसे करें? जानिए कुछ प्रभावी टिप्सपोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन (Poultry Health Management) रोगों से बचाव, उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक नुकसान कम करने के लिए ज़रूरी है।
- Budget 2024: Agriculture Sector में सरकार की मुख्य घोषणाएं, कृषि क्षेत्र के बजट में बढ़ोतरीइस साल कृषि क्षेत्र के लिए बजट (Budget 2024) को बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। जानिए आम बजट 2024 में कृषि क्षेत्र के लिए मुख्य ऐलान।