फूलों की खेती: मारूफ़ आलम ख़ान ने गन्ना बेल्ट में उगा डाले रजनीगंधा और ग्लैडियोलस (gladiolus) के फूल

शामली में 62 बीघा ज़मीन पर फूलों की खेती करने वाले मारूफ़, बुआई-निराई-गुड़ाई और सिंचाई से लेकर फूलों को तोड़ने और उनके बंडल बनाकर मंडी में भेजने तक के सारे काम के लिए 25 से 30 लोगों को रोज़गार भी देते हैं।

फूलों की खेती (flower cultivation)

फूलों की खेती को कैश क्रॉप (Cash crop) कहते हैं क्योंकि बाज़ार में इनका दाम फ़ौरन और ऊँचा मिलता है। फूलों की खेती के लिहाज़ से गुलाब और गेंदा भले ही ज़्यादा लोकप्रिय हैं लेकिन रजनीगन्धा और ग्लैडियोलस (gladiolus) जैसे विदेशी नस्ल के फूलों के दाम बाज़ार में इसलिए बहुत अच्छे मिलते हैं क्योंकि ये फूलों से सज़ावट करने वालों की ख़ास पसन्द होते हैं।

फूलों की खेती (flower cultivation)
रजनीगन्धा का सीज़न, लागत और दाम

रजनीगन्धा का सीज़न, लागत और दाम

रजनीगन्धा के बीजों की बुआई गर्मियों की दस्तक देने वाले मौसम यानी मार्च में की जाती है। इसके फूल पूरे साल मिलते रहते हैं। इसके एक बीज का दाम करीब एक रुपया बैठता है। रजनीगन्धा की खेती में प्रति एकड़ लागत करीब 35 हज़ार रुपये पड़ती है। जबकि इसके फूल मंडी में 4 से 5 लाख रुपये में बिकते हैं।

फूलों की खेती (flower cultivation)
ग्लैडियोलस का सीज़न, लागत और दाम

फूलों की खेती: मारूफ़ आलम ख़ान ने गन्ना बेल्ट में उगा डाले रजनीगंधा और ग्लैडियोलस (gladiolus) के फूल

ग्लैडियोलस का सीज़न, लागत और दाम

ग्लैडियोलस के बीजों की बुआई का अनुकूल वक़्त मॉनसून के आगमन यानी जुलाई का होता है। इसके फूल भी पूरे साल मिलते रहते हैं। इसके बीजों को हालैंड से आयात किया जाता है, क्योंकि उनसे अच्छी उपज मिलती है। इसके एक बीज का दाम करीब 2 रुपये बैठता है। ग्लैडियोलस की खेती की प्रति एकड़ लागत 60 से 70 हज़ार रुपये होती है। इसकी उपज मंडी में 8-10 लाभ रुपये तक का दाम पा लेते हैं।

ख़ास फूल उत्पादक हैं मारूफ़

उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले के गढ़ीपुख्ता कस्बे के मोहल्ला बिलौचियान के निवासी युवा और प्रगतिशील किसान मारूफ़ आलम ख़ान अपनी पुश्तैनी ज़मीन पर करीब 21 साल से रजनीगन्धा और ग्लैडियोलस (gladiolus) जैसे कई रंग-बिरंगे फूलों की खेती कर रहे हैं। अपने 90 बीघा के खेतों में से दो-तिहाई पर मारूफ़ फूलों की खेती करते हैं। इन्हें फूलों से इश्क तो शायद बचपन से ही था, लेकिन एक बार ज़िले की एक पुष्प प्रदर्शनी में ये भी अपने कुछ फूल लेकर पहुँचे। वहाँ इन्हें ऐसी दाद मिली कि इन्होंने फूलों की खेती को व्यावसायिक पैमाने पर करने का रास्ता थाम लिया।

फूलों की खेती (flower cultivation)
प्रगतिशील किसान मारूफ़ आलम ख़ान 21 साल से कर रहे रजनीगंधा और ग्लैडियोलस फूलों की खेती

शुरुआती दिक्कतों के बाद मारूफ़ ने अपने फूलों से ऐसा नाम और सम्मान बटोरा कि मिसाल बन गये। मारूफ़ चाहते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा युवा फूलों की खेती अपनाकर दुनिया में नाम कमाएँ। उन्होंने बताया कि रजनीगन्धा और ग्लैडियोलस के फूल राष्ट्रपति भवन और संसद जैसी जगहों की शोभा बढ़ाते हैं। इनकी देहरादून, चंडीगढ़ और पटियाला में खूब माँग है। शादी-ब्याह, समारोहों और पार्टी वग़ैरह के अलावा इनका बुके बनाने में भी खूब इस्तेमाल होता है।

गन्ना बेल्ट में फूलों की खेती

मारूफ़ का कहना है कि हमारा इलाका गन्ना बहुल क्षेत्र है। यहाँ ज़्यादातर किसान गन्ने की खेती करते हैं, क्योंकि उनकी उपज नज़दीक के चीनी मिलों में बिक जाती है। लेकिन गन्ने से साल भर में करीब 45 हज़ार रुपये प्रति एकड़ की कमाई होती है। ये रकम भी साल भर बाद ही मिल पाती है। जबकि फूलों को दिल्ली की गाज़ीपुर मंडी में बेचकर उन्हें फ़ौरन दाम मिल जाता है। उन्होंने बताया कि फूलों की खेती में बुआई-निराई-गुड़ाई और सिंचाई से लेकर फूलों को तोड़ने और उनके बंडल बनाकर मंडी में भेजने तक के सारे काम के लिए वो 25 से 30 लोगों को रोज़गार भी देते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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