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सब्ज़ी की नर्सरी क्यों तैयार करनी चाहिए?
सब्ज़ी की नर्सरी तैयार करना एक महत्वपूर्ण कृषि प्रक्रिया है, जो किसानों को स्वस्थ और मजबूत पौधे मिलने में मदद करती है। नर्सरी के ज़रीये से बीजों की उचित देखभाल और नियंत्रण संभव होता है, जिससे अंकुरण दर बेहतर होती है और पौधों का विकास मजबूत होता है। नर्सरी में पौधों को नियंत्रित वातावरण में विकसित किया जाता है, जिससे उन्हें कीट, रोग और प्रतिकूल मौसम से सुरक्षा मिलती है।
साथ ही नर्सरी से तैयार पौधों को खेत में रोपने पर उनकी वृद्धि तेज़ होती है और उपज अधिक मिलती है। नर्सरी में कम स्थान पर अधिक पौधे तैयार किए जा सकते हैं, जिससे ज़मीन और बीज दोनों की बचत होती है। किसान को फायदा होता है। नर्सरी के ज़रिये एक साथ बड़ी संख्या में पौध तैयार किए जा सकते हैं, जिससे समय पर खेतों में रोपाई संभव होती है और फसल की वक्त पर कटाई सुनिश्चित होती है। इसके साथ ही, मौसम और भूमि की तैयारी के अनुसार पौधों को खेत में स्थानांतरित किया जा सकता है।
सब्ज़ी की नर्सरी के लिए कैसे करें उपयुक्त स्थान का चयन
सबसे पहले आपको ये देखना है कि नर्सरी ऐसी जगह पर हो जहां दिन में 6-8 घंटे सीधी धूप मिल सके। इसके साथ ही हवा का प्रवाह भी अच्छा होना चाहिए। जलभराव वाली जगह पर नर्सरी ना बनाएं। बरिश के वक्त जल निकासी की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए।
नर्सरी बेड के प्रकार
1.Raised bed (उठा हुआ बेड): बेहतर जल निकासी के लिए उपयुक्त।
2.Flat bed (समतल बेड): समतल ज़मीन के लिए।
3.Seed tray / Plug tray: आधुनिक तकनीक जिसमें नियंत्रित वातावरण में बीज उगाए जाते हैं।
कैसे करें मिट्टी की तैयारी
1.आदर्श मिट्टी: दोमट मिट्टी (60 फीसदी मिट्टी + 30 फीसदी रेत + 10 फीसदी कार्बनिक पदार्थ)
2. मिट्टी छानना: पत्थर और कंकड़ निकालें
3. pH स्तर: 6.0-7.0 (हल्का अम्लीय से उदासीन)
मिट्टी का चयन कैसे करें
1.दोमट मिट्टी (loamy soil) सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
2.pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
मिट्टी को साफ करना
1.जड़ों, कंकड़, अवांछित घास आदि को निकालें।
2.मिट्टी को अच्छे से बारीक करके झरनी से छानें।
एक आदर्श नर्सरी मिट्टी मिश्रण
घटक | मात्रा |
बारीक मिट्टी | 50% |
अच्छी सड़ी गोबर की खाद | 25% |
बालू (रेत) | 25% |
आप वर्मी कम्पोस्ट भी गोबर की खाद की जगह पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
मिट्टी का स्वास्थ्य और उसमें सुधार
1. जैविक खाद : 3-4 किलो गोबर खाद/वर्मीकम्पोस्ट प्रति वर्ग मीटर
2. हरी खाद : ढैंचा या सनई की फसल उगाकर मिलाएं
3. रेत मिलाना : भारी मिट्टी में जल निकासी के लिए
रोग और कीट नियंत्रण (Sterilization)
मिट्टी को रोगमुक्त करने के तरीके
1.सूर्यकरण (Solarization)
मिट्टी को पॉलीथिन शीट से ढककर 2-3 हफ्तों तक सूरज की रोशनी के नीचे छोड़ देना।
2.फॉर्माल्डिहाइड का प्रयोग
40 फीसदी फॉर्माल्डिहाइड 1:50 अनुपात में मिलाकर मिट्टी में डालें और 7-10 दिन के लिए ढक दें।
3.फफूंदनाशक का इस्तेमाल
कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी में छिड़कें।
बीज का चुनाव और उपचार
बीज का चुनाव
1.प्रमाणित और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
2. रोग प्रतिरोधक प्रजातियां प्राथमिकता में रखें।
बीज उपचार
बीजों को बीज जनित रोगों से बचाने के लिए निम्न उपचार करें:
उपचार | दवा | मात्रा |
फफूंदनाशक | कार्बेन्डाजिम | 2-3 ग्राम/किलोग्राम बीज |
जैविक | ट्राइकोडर्मा | 4 ग्राम/किलोग्राम बीज |
कीटनाशक | इमिडाक्लोप्रिड | 5 मिली/किलोग्राम बीज |
बीज बोने की विधि
बोने का समय
1.मौसम के अनुसार बीज बोएं
2.गर्मियों की फसल (जैसे – टमाटर, मिर्च): जनवरी-फरवरी
3.वर्षा ऋतु की फसल: जून-जुलाई
4.सर्दियों की फसल: अक्टूबर-नवंबर
बीज बोने की गहराई
1.बीज को 0.5 से 1 सेमी गहराई में बोएं।
2.बहुत गहराई से बोने पर अंकुरण में समस्या होती है।
बीजों की दूरी
बीजों के बीच 2-3 सेमी की दूरी रखें।
बीजों को पानी देना (सिंचाई)
1.बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
2.अधिक पानी देने से बीज सड़ सकते हैं।
3.पानी देने के लिए झारी (sprinkler) या फव्वारे का उपयोग करें।
अंकुरण और पौध की देखभाल
1.अंकुरण समय: 4-10 दिन के भीतर अंकुरण होता है।
2.पौध आने के बाद रोज हल्का पानी देते रहें।
3. ज़रूरत के अनुसार शेड (shade net) का इस्तेमाल करें।
रोग प्रबंधन
रोग | लक्षण | रोकथाम |
damping off | पौध का गिरना | कार्बेन्डाजिम का छिड़काव |
पत्ती झुलसा | पत्तियों पर धब्बे | मैनकोजेब 2 ग्राम/लीटर |
जड़ गलन | जड़ काली होकर गलती है | ट्राइकोडर्मा का प्रयोग |
पौध की उखाड़ाई और रोपाई
उखाड़ाई कब करें?
1.जब पौधे 4-6 पत्तियों वाले हो जाएं या 20-25 दिन की उम्र के हों।
2.पौधे मजबूत और स्वस्थ हों।
रोपाई से पहले तैयारी
1.नर्सरी में पानी दें जिससे पौधे आसानी से निकल सकें।
2.रोपाई से 1-2 घंटे पहले खेत में भी सिंचाई करें।
अन्य नर्सरी विधियां
1. प्लास्टिक ट्रे: कोकोपीट + परलाइट मिश्रण
2.पॉलीथीन बैग: 10×15 सेमी आकार, नीचे छेद जरूरी
3. कोकोपीट (Cocopeat) ट्रे नर्सरी: बिना मिट्टी के, नियंत्रित वातावरण में पौध तैयार की जाती है।
4. हाइड्रोपोनिक्स बीजांकुरण: जल आधारित विधि जिससे अंकुरण तेजी से होता है।
5.नेट हाउस नर्सरी: रोगों से सुरक्षा और जलवायु नियंत्रण के लिए।
गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में नर्सरी बेड तैयार करने के तरीके
1. रबी सीजन : अक्टूबर-नवंबर
2.खरीफ सीजन : जून-जुलाई
3.जायद सीजन : फरवरी-मार्च
नर्सरी सिंचाई के नियम
1.बीज बोने के बाद : हल्का फव्वारा
2.अंकुरण के बाद : सुबह 10 बजे तक पानी दें
विशेष स्थितियां
1.गर्मी: दिन में दो बार
2.सर्दी: 2-3 दिन के अंतराल पर
नर्सरी तैयार करते वक्त की जाने वाली आम गलतियां
1.बीजों को अत्यधिक गहराई में न बोएं।
2.बहुत अधिक या बहुत कम पानी न दें।
3.सड़ी-गली या संक्रमित खाद/मिट्टी का प्रयोग न करें।
4.समय-समय पर निराई करें।
सब्जि़यों का उनके उगाने के आधार पर वर्गीकरण
सीडलिंग ट्रे
सब्जि़यों खासकर मिर्च, टमाटर, बैंगन की संकर किस्मों का बीज काफी महंगा आता है। इसलिए रोगरहित मजबूत पौध उगाने के लिए सीडलिंग ट्रे का इस्तेमाल किया जाता है। सीडलिंग ट्रे अलग-अलग आकार व खानों की होती है। इनमें बीज बोने के लिए 97-200 तक खाने हो सकते हैं। सीडलिंग ट्रे में बीजों का अंकुरण अच्छा होता है व पौधे कम मरते हैं। पौधे जब खेतों में लगाने योग्य हो जाते हैं, तब इन ट्रे को खेत में ले जाकर खांचे से माध्यम सहित पौधों को निकालकर क्यारियों में निश्चित स्थान पर लगा देते हैं।
सीधे बीज
कुछ सब्जि़यों का प्रोडक्शन लेने के लिए उनके बीज की, तैयार खेत में सीधे और उचित अंतराल पर बुआई कर दी जाती है। जैसे-भिंडी, पालक, गाजर, मली व सभी फलीदार सब्जियां वगैराह। रोपण द्वारा बुआई की जाने वाली कुछ सब्जियों के बीज सीधे मुख्य खेत में बोना ज्यादा जोखिम भरा होता है, इसलिए ऐसी सब्जियों की अलग से पौधशाला में पौध तैयार की जाती है और लगभग एक से डेढ़ महीने के बाद तैयार पौध को मुख्य खेत में रोपित कर दिया जाता है। इनमें शामिल हैं-
1.बीजों को क्यारियों में या प्रो-ट्रे में बुआई: टमाटर, बैंगन, मिर्च, प्याज एवं गोभीवर्गीय सब्जियां ।
2.बीजों की थैलियों में बुआईः जैसे कद्दू वर्गीय सब्जियां
3.वानस्पतिक विधि या कलमद्वाराः जैसे-परवल, कुन्दरू, शकरकंद
शुरुआती नर्सरी के लिए आसान सब्जियां
सलाद साग: सलाद साग की नर्सरी से प्रोडक्शन अच्छा होता है। उन्हें एक साथ पास-पास लगा सकते हैं। जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं, आप बाहरी पत्तियों को लगातार काट सकते हैं या पूरे पौधे को काट सकते हैं जब वे परिपक्व हो जाते हैं (45-60 दिनों में) और दूसरी बढ़ोत्तरी का इंतजार करते हैं।
बीन्स: ताज़ी बीन्स भी बागवानों के लिए शानदार मुनाफा लाती है। इसे किस्मों को चढ़ने के लिए एक जाली या पोल की ज़रूरत होती है, जो नर्सरी में जगह बचाने में मदद कर सकती है।
तोरी: गर्मियों में तोरी या तुरई भरपूर फसल देती है। चूंकि वे ठंढ के प्रति संवेदनशील हैं। आमतौर इसे अप्रैल के आखिरी में या 15 मई तक बो दें। पौधे को बढ़ने के लिए लगभग दो फीट जगह की ज़रूरत होती है।
विशिष्ट सब्जियों की नर्सरी गाइड
टमाटर की नर्सरी
बीज दर : 300-400 ग्राम/हेक्टेयर
विशेष देखभाल
तापमान: 20-25°C
25-30 दिन में रोपाई योग्य
शिमला मिर्च/गोभी/ब्रोकली
बीज गहराई : 0.5 सेमी
अंकुरण समय : 8-10 दिन
रोपाई समय : 4-5 सच्ची पत्तियां आने पर
बीज उपचार के जैविक तरीके
1.गोमूत्र उपचार : 10 प्रतिशत घोल में 6 घंटे भिगोएं
2.नीम तेल : 2 मिली/लीटर पानी में
3.बीजामृत : गोबर + मिट्टी + चूना का लेप
कृषि लाइसेंस
सब्जी नर्सरी प्लांटेशन एक कृषि इकाई है, और इसे शुरू करने के लिए कृषि लाइसेंस की ज़रूरत होती है। अधिक जानकारी और प्रक्रियाओं के लिए आप सरकारी वेबसाइट पर जा सकते हैं। आपकी नर्सरी के निरीक्षण के लिए स्थानीय सरकारी प्राधिकरण की भी आवश्यकता हो सकती है।
सब्ज़ी नर्सरी तैयार करने के लिए प्रमुख सरकारी योजनाएं
1. राष्ट्रीय बागवानी मिशन: 50 फीसदी अनुदान
2. एमएनआरईग्स: नर्सरी निर्माण के लिए मजदूरी
3. कृषि विज्ञान केंद्र: निःशुल्क प्रशिक्षण
आवेदन प्रक्रिया
स्टेप 1- जिला बागवानी अधिकारी से संपर्क
स्टेप 2- आवश्यक दस्तावेज़
स्टेप 3- ज़मीन के कागज़ात
स्टेप 4- आधार कार्ड
स्टेप 5- बैंक विवरण
सब्ज़ी की नर्सरी की सफलता के लिए कुछ और बागवानी टिप्स
पूरे मौसम में क्रमिक रूप से पौधे लगाएं: जैसे-जैसे आप पूरे मौसम में हरी सब्जियों और जड़ वाली सब्जियों की कटाई करते हैं, आप दूसरी या तीसरी फसल लेने के लिए ज़्यादा बीज बो सकते हैं।
अपनी सब्जियों की फसलों में बदलाव करें: हर साल एक ही जगह पर फसलें लगाने से बचें। इसके बजाय, उन्हें नई जगह पर लगाकर उन्हें ताज़े पोषक तत्व प्रदान करें।
एक अच्छी तरह से तैयार की गई नर्सरी न केवल स्वस्थ पौध तैयार करती है, बल्कि समग्र फसल उत्पादन में भी वृद्धि करती है। बहतर स्थान का चयन, संतुलित मिट्टी का मिश्रण, बीज उपचार, समय पर सिंचाई और रोग नियंत्रण से सब्ज़ी नर्सरी सफल हो सकती है। आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके किसान कम लागत में ज्यादा प्रोडक्शन कर सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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