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भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र (Fisheries area) में तेजी से विकास हो रहा है और इसका एक ताजा उदाहरण हाल ही में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) से उत्तराखंड (Uttarakhand) को किए गए रेनबो ट्राउट मत्स्य बीज (Rainbow trout fish seed) का स्थानांतरण है। हिमाचल प्रदेश के ज़िला कुल्लू के फोजल क्षेत्र में स्थित एक हैचरी से एक लाख रेनबो ट्राउट मत्स्य बीज को उत्तराखंड के मत्स्य विभाग को भेजा गया है। ये स्थानांतरण प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना यानि Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana (PMMSY) के तहत किया गया है, जिससे देश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
हिमाचल प्रदेश से उत्तराखंड को रेनबो ट्राउट मत्स्य बीज का स्थानांतरण भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल राज्य के किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि पूरे देश में मत्स्य पालन उद्योग को भी नई दिशा मिलेगी।
मत्स्य पालन के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश की भूमिका
हिमाचल प्रदेश मत्स्य पालन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण राज्य बनकर उभरा है। राज्य के सिरमौर ज़िले में मत्स्य विभाग सरकारी मत्स्य फार्म में हंगेरियन कॉमन कार्प के 20 लाख स्पॉन तैयार कर रहा है। इससे यह साफ है कि प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में लगातार नए प्रयास किए जा रहे हैं। सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड को भी हिमाचल प्रदेश से ट्राउट मछली के अंडे उपलब्ध करवाए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu) ने बताया कि प्रदेश ने उत्तराखंड (Uttarakhand) को 9.05 लाख मछली के अंडे दिए हैं। ये स्थानांतरण न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के मत्स्य पालन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे मत्स्य पालन को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी।
रेनबो ट्राउट मत्स्य बीज का महत्व
रेनबो ट्राउट मछली एक उच्च गुणवत्ता वाली मछली है, जिसकी मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बहुत अधिक है। यह ठंडे पानी में पाई जाने वाली मछली है और हिमाचल प्रदेश की जलवायु इसके पालन के लिए उपयुक्त है। रेनबो ट्राउट का पालन किसानों और मछुआरों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है।
मत्स्य पालन में विकास के आंकड़े
हिमाचल प्रदेश में कुल ट्राउट उत्पादन वर्ष 2023-24 में 14.02 मीट्रिक टन था। वित्तीय वर्ष 2024-25 में इसका उत्पादन 1600 मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है। निजी क्षेत्र में भी मंडी और सिरमौर जिलों की 9 हैचरियों द्वारा सामूहिक रूप से 20 लाख आंख वाले अंडों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
पूरे भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में बीते 10 सालों में जबरदस्त प्रगति हुई है। सरकार की ओर से 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जिससे 184.02 लाख टन का रिकॉर्ड मछली उत्पादन संभव हुआ। इसके साथ ही 60,523.89 करोड़ रूपये के समुद्री खाद्य निर्यात ने इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की भूमिका
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) का उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र को और अधिक विकसित करना और इसे आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के अंतर्गत मछुआरों और मत्स्य पालकों को वित्तीय सहायता दी जाती है, जिससे वे अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर सकें और अपनी उत्पादकता बढ़ा सकें। इस योजना से लाखों मछुआरों और किसानों को लाभ मिला है।
नीली क्रांति: भारत में मत्स्य पालन का गोल्डन टाइम
भारत में मत्स्य पालन (Fisheries) के क्षेत्र में हो रहे विकास को ‘नीली क्रांति’ कहा जा रहा है। इससे मछुआरों और किसानों को नई तकनीकों और आधुनिक साधनों का इस्तेमाल करने का अवसर मिल रहा है। सरकार के सहयोग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मत्स्य पालन उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं।
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