Cultivation of Pratibha Turmeric: नौकरी छोड़कर मुहम्मद बुस्थानी ने शुरू की प्रतिभा हल्दी की खेती

मुहम्मद बुस्थानी ने अपनी निजी नौकरी छोड़कर केरल के कोझीकोड जिले में प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) शुरू की, जिससे उनका जीवन बदल गया।

Cultivation of Pratibha Turmeric प्रतिभा हल्दी की खेती

केरल के कोझीकोड जिले के कोडुवल्ली के निवासी मुहम्मद बुस्थानी, जो पहले नई दिल्ली में एक निजी नौकरी कर रहे थे, उन्होंने एक नया व्यापार शुरू करने का सोचा। अपने घर लौटने के बाद, वह सोचते रहे कि कृषि क्षेत्र में कदम रखें या नहीं। उनके मन में एक सवाल था कि क्या वह अपनी नौकरी छोड़कर कृषि में सफल हो पाएंगे? लेकिन यह सवाल जल्दी सुलझ गया और उनका लिया गए फैसला उनकी ज़िंदगी बदलने वाला साबित हुआ। 

कृषि करने का किया फैसला (Decided to take up Agriculture)

मुहम्मद बुस्थानी की मुलाकात भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड के तकनीकी अधिकारी डॉ. एस. हम्जा से हुई, जो उनके पुराने परिचित थे। डॉ. हम्जा ने उन्हें कृषि में अपना हाथ आजमाने की सलाह दी और इसके बाद बुस्थानी ने कृषि क्षेत्र में आने का मन बनाया। फरवरी 2011 में, उन्होंने अपने पांच दोस्तों के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में भाग लिया, जो कृषि नवाचार और तकनीकी सत्रों पर केंद्रित था।

प्रतिभा हल्दी की खेती करने का किया विचार (Pratibha thought of cultivating turmeric)

सेमिनार में विभिन्न सत्रों को सुनने और किसान प्रतिभागियों की सफलता की कहानियां जानने के बाद, श्री बुस्थानी और उनके दोस्तों ने हल्दी की खेती करने का निर्णय लिया। उन्होंने एक ऐसी फ़सल चुनी जो कीटों और बीमारियों से कम प्रभावित होती है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सोचा कि हल्दी के व्यावसायिक उत्पादन से वे एक नया मुकाम हासिल कर सकते हैं। और इस प्रकार, प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) को उनके नए उद्यम के रूप में चुना गया।

बुक्का फ़ार्म्स की शुरुआत की (Launched Bucca Farms)

मुहम्मद बुस्थानी और उनके दोस्तों ने बुक्का फ़ार्म्स की शुरुआत की। शुरुआत में, उन्होंने अब्दुल नबील से एक टन बीज राइजोम खरीदी। इसके बाद, उन्होंने एक ट्रस्ट बनाया और सुल्तान बाथेरी, वायनाड में एक एकड़ ज़मीन पट्टे पर ली। जनवरी 2012 में, उनकी पहली फ़सल से लगभग 17 टन ताज़ी हल्दी की कटाई की गई। इस सफलता ने उन्हें और उनके दोस्तों को प्रेरित किया कि वह अपनी खेती का विस्तार करें और प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) को और अधिक बढ़ावा दें।

प्रतिभा हल्दी से बनाया मसाला (Spice made from Turmeric)

मुहम्मद बुस्थानी और उनके परिवार ने 100 किलोग्राम “प्रतिभा हल्दी” को सुखाकर पाउडर बनाया। उनके परिवार के सदस्य, विशेष रूप से उनकी पत्नी ने इस हल्दी के पाउडर का स्वाद चखा और इसकी गुणवत्ता की सराहना की। इससे भी अधिक उत्साहजनक यह था कि जब पड़ोसी महिलाओं से अनौपचारिक सर्वेक्षण किया गया, तो सभी ने इस हल्दी पाउडर को उच्च गुणवत्ता वाला माना। इससे उन्हें विश्वास हुआ कि प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) का व्यावसायिक विस्तार किया जा सकता है।

विस्तार और बढ़ती सफलता (Expansion and growing Success)

इसी वर्ष, बुस्थानी और उनके दोस्तों ने वायनाड जिले में पझयंगाडी के पास 18 एकड़ ज़मीन पट्टे पर ली और पूरी ज़मीन पर प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) की गई। अब बुक्का फ़ार्म्स केरल में सबसे बड़ा फ़ार्म बन गया है, जो केवल एक क़िस्म की हल्दी उगाता है। इस सफलता ने उन्हें एक नई दिशा दी, और प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) ने स्थानीय बाज़ारों में अपनी पहचान बना ली।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और लक्षित उत्पादन (Scientific approach and targeted production) 

मुहम्मद बुस्थानी और उनके साथियों ने भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (IISR) द्वारा विकसित उत्पादन पैकेज को अपनाया। डॉ. वी. श्रीनिवासन, डॉ. आर. दिनेश और डॉ. एस. हम्जा ने विशिष्ट उर्वरक सिफारिशें दीं, जिससे उत्पादन को स्थिर और उच्च गुणवत्ता में बनाए रखा जा सके। उनकी लक्ष्य उपज 320 टन थी, और फ़सल के स्वस्थ और समान विकास ने यह सुनिश्चित किया कि उन्हें वांछित परिणाम मिले।

हल्दी की क़िस्म प्रतिभा (Turmeric variety Pratibha)

“प्रतिभा हल्दी” की खेती में परिपक्वता का समय 225 दिन है और यह प्रति हेक्टेयर औसतन 39.12 टन उपज देती है। हल्दी के सूखने पर 18.9% वसूली होती है और इसमें उच्च स्तर का कुरक्यूमिन (6.25%) पाया जाता है। यह हल्दी क़िस्म औद्योगिक, चिकित्सीय और खाद्य उपयोग के लिए आदर्श मानी जाती है। डॉ. बी. शशिकुमार द्वारा विकसित यह हल्दी की क़िस्म विशेष रूप से औद्योगिक उत्पादों में इस्तेमाल के लिए उत्तम है। प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) ने इसे प्रमुख मसाला उत्पादों में एक नई पहचान दी है।

नवाचार और तकनीकी समाधान (Innovation and Technological Solutions)

प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) में श्रम की कमी से निपटने के लिए मुहम्मद बुस्थानी ने मशीनों का उपयोग किया। बेड मेकर मशीन से 300 श्रमिकों का काम बचाया और ज़मीन पर हल्दी के पौधों के लिए समान बेड बनाए। इसके अलावा, आगामी मौसम में फ़सल कटाई के लिए ट्रैक्टर-आधारित उपकरणों पर भी काम चल रहा है, जिससे उत्पादन लागत कम हो सकेगी।

उनकी भविष्य की योजनाएं “प्रतिभा हल्दी” को ब्रांड बनाना (His future plans are to make “Pratibha Haldi” a brand)

मुहम्मद बुस्थानी का मानना है कि प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) से उत्पादित हल्दी पाउडर को एक विशेष ब्रांडेड उत्पाद के रूप में बाज़ार में पेश किया जाना चाहिए। उनकी योजना है कि “प्रतिभा हल्दी” के बेहतर स्वाद और गुणवत्ता को देखते हुए इसे एक ब्रांड के रूप में विकसित किया जाए, जो घरेलू और औद्योगिक दोनों उपयोगकर्ताओं के लिए आदर्श हो।

अतिरिक्त उपलब्धियां (Additional Achievements) 

2011 में, मुहम्मद बुस्थानी ने NAIP परियोजना के तहत अदरक (वराद) की वैज्ञानिक खेती में भी सफलता प्राप्त की। पुत्तनकुन्नु, सुल्तान बाथेरी, वायनाड में अदरक की फ़सल का प्रदर्शन असाधारण था और इससे हल्दी की खेती में भी उनका आत्मविश्वास बढ़ा।

निष्कर्ष (Conclusion)

मुहम्मद बुस्थानी की कहानी यह दिखाती है कि यदि कृषि क्षेत्र में सही दिशा में काम किया जाए, तो सफलता की ऊँचाइयाँ छुई जा सकती हैं। उनकी प्रतिभा हल्दी की खेती (Cultivation of Pratibha Turmeric) ने यह साबित कर दिया कि नवाचार, समर्पण और सही योजना से कृषि व्यवसाय में बेहतरीन लाभ अर्जित किया जा सकता है। उनका यह सफर युवा उद्यमियों और किसानों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।

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