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झींगा पालन अक्सर समुद्र तट से सटे इलाकों में देखने को मिलता है। पंजाब के शुभान ज़िले के निवासी अवतार सिंह ने झींगा मछली पालन की शुरुआत की। उनके लिए झींगा पालन में आने का कारण इस व्यवसाय़ में मिलने वाला मुनाफ़ा रहा। अवतार सिंह ने मत्स्य विभाग से झींगा मछली पालन की ट्रेनिंग ली। झींगा पालन व्यवसाय से जुड़ी अहम बातों के बारे में किसान ऑफ़ इंडिया ने अवतार सिंह से बातचीत की।
झींगा पालन पर सब्सिडी और योजना
अवतार सिंह ने बताया कि उनके वहां का पानी झींगा पालन के लिए अनुकूल है। इस कारण उन्होंने झींगा पालन को चुना। अवतार सिंह कहते हैं कि सरकार की तरफ़ से इस व्यवसाय को करने के लिए ढाई एकड़ पर सब्सिडी मिलती है। हर राज्य की अलग-अलग सब्सिडी होती है। अवतार सिंह ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana, PMMSY) और किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card, KCC) के तहत आर्थिक सहायता ली।
भारत में झींगा पालन
भारत में झींगा पालन की अनुमति 2009 में मिली थी। आपको बता दें कि भारत में झींगा पालन का पायलट-स्केल वर्ष 2003 में हुआ था। झींगा मछली की बात की जाए तो ये जीव प्रशांत महासागर के तट पर स्थित मैक्सिको और पेरु के दक्षिण के मध्य और दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं। इसको सफ़ेद पैर वाला झींगा भी कहते हैं। ये झींगा सही रखरखाव करने पर 100-120 दिनों के अंदर 20 ग्राम वजन का हो जाता है।
मौजूदा समय में भारत से निर्यात होने वाले ज़्यादातर झींगा अमेरिकन मूल के हैं। इन अमेरिकन मूल झींगों का निर्यात में लगभग 80 फ़ीसदी तक योगदान है। अगर बात की जाए कुल समुद्री उत्पाद की तो इसमें झींगों की लगभग 46 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी है।
झींगा पालन में तालाब निर्माण
झींगा पालन शुरू करने से पहले इसकी ट्रेनिंग लेनी ज़रूरी है। अवतार सिंह बताते हैं कि झींगा पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले तालाब, हैचरी और बीज की सही जानकारी होनी चाहिए। तालाब निर्माण से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि तालाब की गहराई 5 से 6 फ़ीट होनी चाहिए। झींगा पालन आप जिस भी क्षेत्र में कर रहे हैं, वहां का तापमान 28 डिग्री से लेकर 32 डिग्री तक का होना चाहिए। क्षेत्र की मिट्टी में जल रिसाव ज़्यादा होने के कारण तालाब को 2.5 से 3.0 मिलीमीटर मोटी पॉलीथिन शीट से ढका जाता है।
झींगा पालन में तालाब बनवाने का खर्चा
एक एकड़ तालाब के निर्माण के लिए पॉलीथिन, नलकूप की बोरिंग, बिजली का कनेक्शन के साथ ही एरिएटर, जल विश्लेषण की मिनी किट, जाल और अन्य उपकरणों पर लगभग 8 लाख रुपये का खर्चा आ जाता है। आपको बता दें कि सामान्य एक तालाब में एक से 1.25 लाख तक की संख्या में झींगा के बीज रखे जा सकते हैं। अवतार सिंह नये मछली पालकों को एक एकड़ से शुरूआत करने की सलाह देते हैं।
झींगा पालन में आहार
अवतार सिंह आगे बताते हैं कि झींगा पालन में जो आहार दिया जाए, वो जल्द पानी में घुलने वाला नहीं होना चाहिए। अधिकतर मछलियों का फ़ीड सोयाबीन से बनता है। हम आहार के एक स्क्वायर में 30 पीस डालते हैं। दिन में 4 बार फ़ीड डालते हैं। बच्चा जब 30 दिन का हो जाता है तो चेकटर से चेक करके फ़ीड डालते हैं। तालाब में फ़ीड ज़्यादा नहीं डाले। अगर तालाब में ज़्यादा फ़ीड बची रहेगी तो नुकसान की आशंका रहती है।
झींगा पालन के एक उत्पादन चक्र के लिए लगभग 4 से 6 क्विंटल आहार की ज़रूरत होती है। इस आहार को नमी से दूर और सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए।
झींगा पालन में बीमारियां और उनका इलाज
अवतार सिंह ने झींगा में लगने वाले रोगों को लेकर भी कुछ बातें साझा की। झींगा पालन में झींगा में व्हाइट पीकल आ जाती है, जो कि मिट्टी खाने से आती है। इसके इलाज के लिए झींगा को विटामिन सी देते हैं। तालाब में बैक्टीरिया को पनपने नहीं देना चाहिए। इसकी पहचान ये है कि झींगा की मूंछों में परिवर्तन आने लगता है। उसकी मूंछ खुरदरी हो जाती हैं। इससे बचने के लिए नियमित समय में तालाब की सफ़ाई करनी चाहिए। समुद्री पानी का इस्तेमाल करने से बीमारियां ज़्यादा आती हैं। अपने प्लांट को कोशिश करें बैक्टीरिया फ़्री रखें।
झींगा पालन में बीज
झींगा पालन के लिए तालाब को मार्च-अप्रैल महीने तक तैयार कर लेना चाहिए। किसान को एक्वाकल्चर अथॉरिटी से एप्रूव लिटोपिनियय वेन्नामी (litopenaeus vannamei) झींगा के बीजों का चुनाव करना चाहिए। तालाब में प्रति वर्ग फीट में 30 से 50 झींगा बीज रखने चाहिए। एक झींगा बीज के रखरखाव पर प्रतिदिन का लगभग 60 से 80 पैसे का खर्चा आता है। झींगा बीज कम से कम 7 पीएल और ज़्यादा से ज़्यादा 12 पीएल का होना चाहिए।
झींगा उत्पादन से जुड़ी अहम बातें
झींगा को तालाब से बाहर निकालने से पहले बाज़ार में इसका भाव पता कर लेना चाहिए। इससे झींगा पालकों को नुकसान नहीं होगा। झींगा निकालने से पहले तालाब के अलग-अलग हिस्सों से सैंपल लेने चाहिए। इससे ये पता चलता है कि झींगा बाजार में जाने लायक है कि नहीं। ये प्रक्रिया कास्ट नेट के द्वारा की जाती है।
तालाब से झींगा निकालने का काम केंचुली दिखने के 7 से 8 दिन के बाद करना चाहिए। आमतौर पर झींगा की खेती में उत्पादन लेने के दो तरीके हैं। पहला तरीका तालाब को सुखा दिया जाता है। दूसरा तरीका डोल जाल की मदद से झींगा को पकड़ा जाता है।
झींगा पालन का बाज़ार
झींगा पालन करने के लिए सबसे पहले मार्केट का माहौल समझें। झींगा पालन का समय 5 से 6 महीने का होता है। व्हाइट लेग श्रिम्प (लिटोपिनियस वेन्नामी) झींगे का बेचने के समय वजन 20 ग्राम होता है। बाज़ार में 25 ग्राम के अधिक झींगे की मांग होती है। बाज़ार में 40 ग्राम के झींगे का काउंट रेट 250 रुपये से 300 रुपये तक मिल जाता है। अगर झींगे का वजन 30 ग्राम है तो काउंट रेट 350 रुपये से 450 रुपये तक मिल जाता है।
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