Mizoram की महिला किसान लालछुआनवमी एकीकृत कृषि प्रणाली से छू रहीं सफलता की नई ऊंचाई

मिजोरम के कोलासिब ज़िले के हमरवेंग गांव की मिट्टी में एक नई कहानी लिखी जा रही है। कहानी एक प्रगतिशील महिला किसान की, जिन्होंने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से न केवल अपनी किस्मत बदली, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बन गईं। मिलिए एफ. लालछुआनवमी से, एक ऐसी महिला जिन्होंने पारंपरिक झूम खेती के दायरे से बाहर निकलते हुए, कृषि-बागवानी और पशुधन आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली यानि Integrated Farming System को अपनाकर अपनी ज़मीन का कायाकल्प कर दिया।

Mizoram की महिला किसान लालछुआनवमी एकीकृत कृषि प्रणाली से छू रहीं सफलता की नई ऊंचाई

मिजोरम (Mizoram) के कोलासिब ज़िले के हमरवेंग गांव की मिट्टी में एक नई कहानी लिखी जा रही है। कहानी एक प्रगतिशील महिला किसान की, जिन्होंने अपनी मेहनत और दूरदर्शिता से न केवल अपनी किस्मत बदली, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बन गईं। मिलिए एफ. लालछुआनवमी से, एक ऐसी महिला जिन्होंने पारंपरिक झूम खेती के दायरे से बाहर निकलते हुए, कृषि-बागवानी और पशुधन आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली यानि Integrated Farming System को अपनाकर अपनी ज़मीन का कायाकल्प कर दिया।

लालछुआनवमी को मिली आईसीएआर-एनईएच मिजोरम केंद्र की सहायता 

मिजोरम की रहने वाली लालछुआनवमी का ये सफर इतना आसान नहीं था। 2018 से पहले, झूम खेती में सीमित आय और उत्पादकता ने उनकी आर्थिक स्थिति को जकड़ रखा था। लेकिन फिर एक बदलाव आया। आईसीएआर-एनईएच मिजोरम केंद्र की सहायता से, लालछुआनवमी ने अपने खेत को टिकाऊ कृषि का आदर्श मॉडल बना दिया। उन्होंने एक पॉलीहाउस में फूल, फल और सब्जियों की खेती शुरू की और यही नहीं उन्होंने सूअर पालन को भी इस मॉडल का हिस्सा बनाया।

छोटे से खेत से बड़ी उपलब्धियां

लालछुआनवमी ने मिजोरम (Mizoram) में फूलों की खेती, विशेष रूप से एंथुरियम, ने 1,72,380 रुपये की सकल आय बनाई। इसमें से 1,27,200 रुपये उनकी शुद्ध आय थी। क्या आपको यकीन होगा कि उनका हर 1 रुपये के निवेश पर 2.82 रुपये का फायदा हुआ।

केले और ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलों से उन्होंने कुल 2,24,000 रुपये की आय अर्जित की, जिसमें शुद्ध आय रही 1,79,722 रुपये। लेकिन ये सफलता सिर्फ आर्थिक नहीं थी। जैविक उर्वरक के रूप में सूअर की खाद का उपयोग करके उन्होंने मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई और बाहरी उर्वरकों पर अपनी निर्भरता 53 फी,दी तक घटा दी।

सूअर पालन का कमाल

मिजोरम में उनका सूअर पालन भी कमाल का योगदान दे रहा है। इसने 2,52,370 रुपये की सकल आय दी, जिसमें से 1,83,510 रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। लालछुआनवमी ने मौसमी सब्जियों और दालों की कई फसलों को उगाया और जमीन की उत्पादकता बढ़ाई। पिछले पांच सालों में, उनकी वार्षिक शुद्ध आय 5,38,632 रुपये तक पहुंच गई। इस सफलता ने उन्हें न केवल आर्थिक स्थिरता दी, बल्कि पर्यावरण की भी मदद की। उनके इस एकीकृत मॉडल ने मिट्टी का कटाव कम किया, कृषि अपशिष्ट का पुनर्चक्रण बढ़ाया, और उनके परिवार को साल भर भोजन की सुरक्षा दी। उनकी इस पहल ने आसपास के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए।

ड्रैगन फ्रूट जूस और वाइन का वाणिज्यिक उत्पादन 

2023 में लालछुआनवमी ने एक और बड़ा कदम उठाया। उन्होंने ड्रैगन फ्रूट जूस और वाइन का वाणिज्यिक पैमाने पर उत्पादन शुरू किया। और इसे बाज़ार में पहुंचाने के लिए कोलासिब एग्रो मार्केटिंग को-ऑपरेटिव (KAMCO) के साथ साझेदारी की। अब उनका खेत सिर्फ एक खेत नहीं, बल्कि टिकाऊ कृषि का प्रतीक बन चुका है।

सही दृष्टिकोण और नवाचार से खुले नये रास्ते 

उनकी सफलता ने दिखाया कि कैसे सही दृष्टिकोण और नवाचार आदिवासी किसानों की आजीविका को बढ़ा सकते हैं। और ये सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है। ये एक समुदाय, एक क्षेत्र, और यहां तक कि पूरे मिज़ोरम के लिए प्रेरणा है।

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