जयपुर के छोटे से गांव से आदिवासी किसान राम भत्रा ने खेती और डेयरी फ़ार्म से पाई सफलता

कोरापुट के आदिवासी किसान राम भत्रा ने खेती के साथ डेयरी फ़ार्म स्थापित कर अपनी आय बढ़ाई और ग्रामीणों की दूध की आवश्यकता को पूरा किया।

डेयरी फ़ार्म Dairy Farming

कोरापुट जैसे आदिवासी जिले में पशुधन ग्रामीण गरीबों के लिए जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। जयपुर ब्लॉक के जमुंडा गांव के राम भत्रा आदिवासी किसान (Tribal Farmer) हैं, जिन्होंने कई वर्षों तक अपने पिता के साथ खेती की। उनके मूल गांव खैरामुंडी में उनके पिता के पास केवल 2.5 एकड़ ज़मीन थी, जो उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं थी। खेती से होने वाली कम आय उनकी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ थी।

शुरुआती चुनौतियां और कठिन परिस्थितियां (Initial challenges and tough situations)

2007 में उनके पिता ने जमुंडा गांव में 4 एकड़ ज़मीन खरीदी, लेकिन यह ज़मीन खेती के लिए उपयुक्त नहीं थी। राम भत्रा ने अपनी पढ़ाई (नौवीं कक्षा और ITI में फिटर ट्रेड) के बावजूद अपनी किस्मत को एक नई दिशा देने का फैसला किया। उन्होंने बंजर ज़मीन को कृषि के लिए उपयोगी बनाने के लिए नई योजना बनाई।

नीलगिरी की खेती से मिली उम्मीद (Hope found from Eucalyptus Cultivation) 

राम भत्रा ने ज़मीन पर नीलगिरी के पेड़ लगाने का फैसला किया, जिनकी लकड़ी पास के काग़ज़ मिल में बेची जा सकती थी। गांव वाले उन्हें इस योजना के लिए हतोत्साहित कर रहे थे, लेकिन राम भत्रा ने अपने सपने को छोड़ने का नाम नहीं लिया। तीन साल बाद, उन्होंने नीलगिरी की अच्छी फ़सल प्राप्त की, साथ ही कुल्थी, तिल और हल्दी की खेती भी की, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय मिली।

खेती के साथ शुरू किया डेयरी फ़ार्म (Dairy farm started along with farming) 

स्थानीय दूध की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए राम भत्रा ने डेयरी फ़ार्म स्थापित करने का निर्णय लिया। उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प को देखकर बैंक ने उनका समर्थन किया। पशुपालन विभाग की सलाह पर उन्होंने CAE योजना के तहत 20 गायों के लिए डेयरी फ़ार्म स्थापित करने के लिए आवेदन किया।

डेयरी फ़ार्म का विकास (Development of dairy farm) 

अब उनके फ़ार्म में 20 दुधारू गायें और 13 बछड़े हैं। फ़ार्म से प्रतिदिन 120 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसे वे स्थानीय बाज़ार की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद OMFED को बेचते हैं। वर्तमान में सात गायें कृत्रिम गर्भाधान से गर्भवती हैं। राम भत्रा ने इस व्यवसाय को फैलाने के लिए कुछ नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल किया।

नवीन तकनीकों का प्रयोग करके डेयरी फ़ार्म को किया आधुनिक (Dairy farm was modernized by using new techniques)  

राम भत्रा ने अपनी डेयरी फ़ार्म को और भी उन्नत बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए:

  • चारे की खेती: 3 एकड़ ज़मीन पर हाइब्रिड नेपियर, स्टाइलो और मक्का जैसे पौधे उगाए, ताकि गायों को पर्याप्त चारा मिल सके।
  • साइलेज पिट: क्षेत्र में पहला साइलेज पिट बनाया गया, जिससे गायों को सूखा मौसम और कम उपलब्ध चारे के समय में अच्छी खुराक मिल सके।
  • चाफ कटर: पावर टिलर का इस्तेमाल करके एक मैकेनाइज्ड चाफ कटर बनाया गया, जिससे चारे को काटने का काम तेज़ और आसान हो गया।
  • दूध दुहने की मशीन: 40 लीटर क्षमता वाली दूध दुहने की मशीन स्थापित की गई, जो दूध की गुणवत्ता को बेहतर और सुरक्षित रखती है।

आदिवासी किसान के रूप में बनाई एक नई पहचान (Created a new identity as a tribal farmer ) 

आज राम भत्रा का डेयरी फ़ार्म न केवल उनकी सभी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करता है, बल्कि वे अपने क्षेत्र में एक सफल और प्रगतिशील आदिवासी किसान (Tribal Farmer) के रूप में पहचाने जाते हैं। उनकी सफलता की कहानी यह दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद, अगर दृढ़ संकल्प और नवाचार की सोच हो, तो कोई भी बंजर ज़मीन भी उपजाऊ बन सकती है।

अन्य आदिवासी किसानों के लिए बने एक प्रेरणा (Become an inspiration for other tribal farmers) 

राम भत्रा की कहानी आदिवासी किसानों (Tribal Farmers) के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि अगर किसान अपने पारंपरिक तरीकों से बाहर निकलकर नई तकनीकों और विज्ञान का उपयोग करें, तो वे केवल अपनी आजीविका ही नहीं, बल्कि अपनी पूरी समुदाय की स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। विशेष रूप से, डेयरी फ़ार्म जैसे व्यवसायों में नए प्रयोगों से आदिवासी किसानों (Tribal Farmers) को न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलता है, बल्कि वे अपने पारंपरिक कृषि व्यवसायों को एक नया रूप भी दे सकते हैं।

क्षेत्रीय विकास में किया योगदान किसानों को मिला सामूहिक लाभ (Contributed to regional development, farmers received collective benefits)

राम भत्रा जैसे किसान आदिवासी क्षेत्रों में कृषि और डेयरी व्यवसाय के क्षेत्र में एक नया परिवर्तन ला रहे हैं। डेयरी फ़ार्म में किया गया निवेश न केवल व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि यह स्थानीय रोज़गार को भी प्रोत्साहित करता है। उनके जैसे किसान, जो पुराने पारंपरिक तरीकों को छोड़कर आधुनिक तकनीकों को अपनाते हैं, न केवल खुद को बल्कि अपने आसपास के समुदायों को भी समृद्ध बना रहे हैं।

निष्कर्ष (Conclusion) 

राम भत्रा की सफलता की यह कहानी यह साबित करती है कि कठिनाइयों को पार कर कोई भी व्यक्ति अपनी मेहनत, नयापन और समर्पण से किसी भी कठिन परिस्थिति को अपनी सफलता में बदल सकता है। डेयरी फ़ार्म की तकनीक से आदिवासी किसान (Tribal Farmer) अपने पारंपरिक व्यवसायों में बदलाव लाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं और साथ ही अपने समुदाय का विकास कर सकते हैं।

आज के समय में डेयरी फ़ार्म जैसे छोटे-छोटे कदम आदिवासी क्षेत्रों में किसानों के लिए समृद्धि और आत्मनिर्भरता की नई दिशा को जन्म दे रहे हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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