Watershed Programme Changed Lives: जलाशय कार्यक्रम ने लिखी साधु मारी की सफलता कहानी, युवा आदिवासी की प्रेरणादायक यात्रा

यहां पर एक ऐसे युवा किसान के बारें में बताने जा रहे हैं जिसने न केवल अपना जीवन बदला  बल्कि एक पूरे समुदाय की किस्मत में नया उजाला भर दिया गया। जलाशय कार्यक्रम यानि Watershed Programme ने क्षेत्र में ऐसा परिवर्तनकारी काम किया जिसने साधु मारी के जीवन में चमत्कारिक बदलाव ला दिया।

Watershed Programme Changed Lives: जलाशय कार्यक्रम ने लिखी साधु मारी की सफलता कहानी, युवा आदिवासी की प्रेरणादायक यात्रा

यहां पर एक ऐसे युवा किसान के बारें में बताने जा रहे हैं जिसने न केवल अपना जीवन बदला  बल्कि एक पूरे समुदाय की किस्मत में नया उजाला भर दिया गया। जलाशय कार्यक्रम यानि Watershed Programme ने क्षेत्र में ऐसा परिवर्तनकारी काम किया जिसने साधु मारी के जीवन में चमत्कारिक बदलाव ला दिया। उड़ीसा के कोरापूट जिले का पोट्टांगी क्षेत्र सदियों से आदिवासी संस्कृति और परंपरागत खेती पर आधारित रहा है। यहां के आदिवासी समुदाय पारंपरिक रूप से शिफ्टिंग खेती करते हैं, जिसमें बाजरा, ज्वार, दालें तथा अन्य अनाज की खेती शामिल है।

मृदा अपरदन और अनियमित बारिश ने किसानों की फसल उत्पादन क्षमता पर डाला गहरा असर

वन-उपज जैसे कि फ़ल, जड़ें, मधु वगैरह को जमा करके रखना इनके जीवन का अहम हिस्सा रहा है। लेकिन वक्त के साथ-साथ जंगलों की अंधाधुंध कटाई और शिफ्टिंग खेती की प्रथा के कारण इस क्षेत्र के fragile ecosystem में गिरावट आई। मृदा अपरदन और अनियमित बारिश ने किसानों की फसल उत्पादन क्षमता पर गहरा असर डाला, जिससे युवा वर्ग भी रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने लगे।

बदनाला माइक्रो-वॉटरशेड समिति ने जगाई नई उम्मीद की किरण 

लेकिन इसी संकट के बीच 2010-11 में बदनाला माइक्रो-वॉटरशेड समिति ने एक नई उम्मीद की किरण जगाई। बाराजा गांव को जलाशय कार्यक्रम (Watershed Programme)  के तहत शामिल किया गया, जिसका उद्देश्य था जल संरक्षण, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और भूमि संरक्षण के जरिए किसानों की आमदनी में सुधार लाना। इस कार्यक्रम के तहत चेक डैम, डाइवर्ज़न वीयर और फील्ड चैनल का निर्माण किया गया, जिससे खेतों में नियमित पानी की आपूर्ति सही हुई। इसके साथ ही मृदा अपरदन जैसी समस्याओं का सामना करने में मदद मिली।

जलाशय कार्यक्रम ने बदली आदिवासी युवक साधु मारी की जिंदगी 

यहीं से शुरू होती है यहां के नायक, 24 साल आदिवासी युवक साधु मारी। उनके पास कुल 4 एकड़ जमीन थी, जिसमें से केवल 1 एकड़ पर ही धान की खेती हो पाती थी। पारंपरिक खेती के तरीके से उनकी आमदनी बहुत कम होती थी और परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था। लेकिन जलाशय कार्यक्रम के तहत उपलब्ध सिंचाई सुविधाओं ने उनके जीवन में एक नया मोड़ ला दिया।

खेतों में ऑफ-सीज़न सब्जि़यों की खेती

एक दिन साधु मारी ने महसूस किया कि क्यों न इस बेहतर पानी की उपलब्धता का फायदा उठाया जाए। उन्होंने बदनाला माइक्रो-वॉटरशेड समिति से कॉन्टेक्ट किया और अपने खेतों में ऑफ-सीज़न सब्जि़यों की खेती शुरू करने का निश्चय किया।

उसी समय कंधामाल के हॉटिकल्चर स्कूल में बेरोजगार युवाओं के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा था, जहां आधुनिक कृषि तकनीकों और फसल विविधीकरण के बारे में बताया जा रहा था। साधु मारी ने ये प्रशिक्षण पूरा किया और वर्षा आधारित क्षेत्र विकास कोष से इनपुट मदद पाई

आदिवासी युवक साधु मारी की मेहनत रंग लाई 

 2 एकड़ ज़मीन पर आलू और धनिया की खेती के साथ ही, अपने 12,000 रुपए की बचत का निवेश कर उन्होंने मेहनत और लगन से खेती शुरू की। केवल पहले चार महीनों में ही उनकी मेहनत रंग लाई और दो फसलों से शुद्ध 60,000 रुपए की आमदनी हुई।  

चेक डैम से मिलने वाली नियमित सिंचाई सुविधा (Watershed Programme) ने उन्हें और भी प्रयोग करने का हौसला दिया। साधु मारी ने 2 एकड़ जमीन पर फील पी (मटर) और दूसरी सब्जियों की खेती भी शुरू की। धीरे-धीरे, उनके परिवार की सालाना आमदनी 2,20,000 रुपए तक पहुंच गई। अब ना केवल उनका परिवार आर्थिक रूप से मज़बूत हो गया था, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता की नई पहचान भी मिली।

IISWUC-ICAR सुनबेडा से साधु मारी को मिला प्रमाण पत्र,पुरस्कार

 साधु मारी की मेहनत और सफलता को देखते हुए, IISWUC-ICAR, सुनबेडा की ओर से उन्हें प्रमाण पत्र और पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी सफलता की कहानी बताती है कि कैसे सरकारी योजनाएं, तकनीकी प्रशिक्षण और सामुदायिक प्रयास मिलकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में समृद्धि का नया अध्याय लिख सकते हैं।

 साधु मारी ने दिखा दिया कि कैसे जोखिम को कम करके और फसल विविधीकरण अपनाकर ज़्यादा फायदा कमाया जा सकता है। उनके इस कदम ने उन्हें न केवल आर्थिक रूप से मजबूत बनाया, बल्कि पूरे क्षेत्र में एक नई उम्मीद और उत्साह की लहर भी दौड़ा दी है।

उत्पादन बढ़ाने और रोजगार सृजन के अवसर मिले-साधु मारी 

 साधु मारी ने कहा कि ‘मैं अपने संसार को खोने वाला था, लेकिन जलाशय कार्यक्रम (Watershed Programme) ने  मेरी जिंदगी बचाई, तब मुझे जीवन में उजाला दिखा’। जल संरक्षण और सिंचाई सुविधाएं ही ग्रामीण विकास की नींव हैं। यही कारण है कि जलाशय कार्यक्रम ने पोट्टांगी के किसानों को सिर्फ पानी की आपूर्ति ही नहीं दी, बल्कि उन्हें नई फसलें अपनाने, उत्पादन बढ़ाने और रोजगार सृजन के अवसर भी प्रदान किए।

आधुनिक कृषि पद्धतियां तेजी से बदलते माहौल में किसानों को दिखा रहीं नई राह

आज के इस युग में जहां तकनीकी प्रगति और आधुनिक कृषि पद्धतियां तेजी से बदलते माहौल में किसानों को नई दिशाएं दिखा रही हैं, साधु मारी की कहानी हमें याद दिलाती है कि चुनौतियों के सामने हार मान लेना ही समाधान नहीं है। बल्कि, नयी तकनीकों को अपनाकर, सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करके और मेहनत की भावना से किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है।

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