देश के कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने में कृषि वैज्ञानिकों की अहम भूमिका है। कृषि वैज्ञानिक किसानों को लाभ पहुंचाने की दिशा में आधुनिक तकनीक और फसलों की उन्नत किस्में लगातार विकसित करते रहे हैं। इस कड़ी में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Wheat and Barley Research) के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की तीन नई किस्में विकसित की हैं। संस्थान ने गेहूं की तीन नई किस्में डीबीडब्ल्यू-296, डीबीडब्ल्यू-327 और डीबीडब्ल्यू-332 ईज़ाद की हैं। ये किस्में न सिर्फ़ किसानों को अच्छी उपज देंगी, बल्कि उनकी आय में भी बढ़ोतरी करेंगी। आगे इस लेख में जानिए गेहूं की इन तीन नई विकसित किस्मों में क्या खास है।
ज़्यादा उपज और उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता
हरियाणा के करनाल जिले में स्थित गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान में विकसित की गई नई किस्मों में कई खास बातें हैं। इन नई किस्मों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफ़ी अच्छी है। तीनों ही किस्में पीला रतुआ रोधी हैं। इस रोग में फफूंदी के फफोले पत्तियों पर पड़ जाते हैं, जो बाद में बिखरकर अन्य पत्तियों को भी ग्रसित कर देते हैं। पीला रतुआ बीमारी में गेहूं के पत्तों पर पीले रंग का पाउडर बनने लगता है। कृषि वैज्ञानिकों ने जो नई किस्में विकसित की हैं, उनकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने के कारण किसानों को बीमारियों से बचाव के लिए पेस्टीसाइड पर भी खर्च नहीं करना पड़ेगा।
देश भर के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने की सराहना
किसान ऑफ़ इंडिया से खास बातचीत में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ. चंद्र नाथ मिश्रा ने इन तीन किस्मों के बारे में हमसे विस्तार से बात की। डॉ. मिश्रा ने बताया कि इन तीन किस्मों को विकसित करने में पोषक मूल्यों से समझौता नहीं किया गया है। ये तीनों ही किस्में गुणवत्ता और पोषक तत्वों के मामले में उत्तम हैं। ये किस्में मुख्य तौर पर उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश के लिए के लिए उपयुक्त हैं। वहीं संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने इन नई तीन किस्मों की पैदावार के बारे में जानकारी दी।
जानिए क्या है हर किस्म की खासियत
डीबीडब्ल्यू-296- ये किस्म कम पानी में भी अच्छी पैदावार देने में सक्षम है। बिस्किट बनाने के लिए यह क्वालिटी अच्छी मानी गई है। इस किस्म में गर्मी को सहन करने की क्षमता है। इस किस्म से औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 56.1 क्विंटल से 83.3 क्विंटल तक रहेगी।
डीबीडब्ल्यू-332- ये किस्म प्रोटीन और आयरन की मात्रा से भरपूर है। ये किसानों को प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 78.3 क्विंटल से लेकर 83 क्विंटल तक देगी।
डीबीडब्ल्यू-327- ये किस्म चपाती के लिए अच्छी मानी गई है। इस किस्म में आयरन की मात्रा 39.4 पीपीएम तथा जिंक की मात्रा 40.6 पीपीएम है। इसका औसत उत्पादन 79.4 क्विंटल से लेकर 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रहेगा।
गेहूं की ये तीनों ही किस्में उन्नत, रोग प्रतिरोधक अधिक पैदावार देने वाली हैं। देश के कई क्षेत्रों को ध्यान में रखकर ईज़ाद की गई ये किस्में अधिक उत्पादन देने की क्षमता रखती हैं। गेहूं की इन नई किस्मों का व्यवसायिक इस्तेमाल अगर किसान करते हैं तो उनकी आय में बढ़ोतरी की संभावना और प्रबल होगी। अभी इन किस्मों को लेकर एक नोटिफिकेशन भारत सरकार की ओर से भी जल्द जारी किया जाएगा, जिसके बाद ही इसके बीज किसानों के लिए उपलब्ध होंगे।
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