कृषि में रोज़ नये-नये शोध निकल कर आ रहे हैं। इसी कड़ी में देश के वैज्ञानिक फसलों के बीजों पर शोध कर रहे हैं। हाल ही में गन्ने की नई किम्म को लेकर रिसर्च सामने आई थी। रिसर्च में गन्ने की ऐसी प्रजाति विकसित की गई, जिससे एक एकड़ भूमि में लगभग 55 टन तक किसान गन्ने की पैदावार ले सकते हैं। अब छत्तीसगढ़ के वैज्ञानिकों ने गेहूं की ऐसी ही एक नई प्रजाति विकसित की है। कृषि वैज्ञानिक गेहूं की इस किस्म को विकसित करने के लिए काफी समय से कोशिश कर रहे थे। अब जाकर वैज्ञानिकों को कामयाबी मिली है।
क्या है नाम और ख़ासियतें
कृषि वैज्ञानिकों ने जो गेहूं की नई किस्म ईज़ाद की है, उसे विद्या सीजी 1036 नाम दिया गया है। कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके आटे से बनी रोटियां अधिक स्मय तक नरम रहेंगी और पोष्टिकता से भरपूर होंगी। इस गेहूं से जो आटा बनेगा वो अधिक पानी सोख सकेगा। आटे के ज़्यादा पानी सोखने के कारण इससे बनी रोटियां अधिक फूलती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, रोटियां ठंडी होने के बाद भी 10 से 12 घंटे तक मुलायम रहेंगी।
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किस क्षेत्र में उगा सकते हैं ये किस्म
केंद्र सरकार के अखिल भारतीय समन्वित गेहूं और जौ अनुसंधान केन्द्र ने गेहूं की नई प्रजाति को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान के कोटा, उदयपुर और उत्तर प्रदेश के झांसी संभाग के लिए उपयोगी माना है। इन क्षेत्रों में फसल का उत्पादन बेहतर होगा। इसके साथ ही किसान अच्छी उपज पा सकेंगे।

आटा गूंथने के बाद नहीं आएगा कालापन
गेहूं की इस नई विकसित किस्म विद्या सीजी 1036 को केंद्र सरकार ने भी अधिसूचित कर लिया है। टेस्टिंग में चपाती गुणवत्ता सूचकांक में इस किस्म को 8.5/10 पाया गया है। ये देश की सभी गेहूं प्रजाति में सबसे अधिक है। रिसर्च करने वाले कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, आटा जब गूंथा जाता है और कुछ समय के लिए रख दिया जाए तो उसमें कालापन आ जाता है। इस नई प्रजाति में फिनाल तत्व कम है। इसलिए गेहूं की इस नई प्रजाति में गूंथने के बाद कालापन नहीं आएगा।

कम सिंचाई की होगी जरुरत
आपको बता दें कि अभी जो प्रजाति मौजूद है उन्हें 5 से 6 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन नई प्रजाति में कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। अमूमन गेहूं की फसल को छह बार सिंचाई की ज़रूरत होती है, लेकिन ये किस्म तीन सिंचाई में भी अच्छी पैदावार देगी।
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