Pearl Farming: कैसे करें मोती की खेती? कहां से लें मुफ़्त ट्रेनिंग

मोती की खेती अगर रफ़्तार पकड़ ले, तो ये किसानों को लाखों का मुनाफ़ा दे सकती है। बस रखरखाव में कई बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है। इसमें कम लागत में किसानों को तगड़ा मुनाफ़ा हो सकता है, अगर वो सही तरीके से ट्रेनिंग के बाद ये काम शुरू करें तो।

Pearl Farming: कैसे करें मोती की खेती? कहां से लें मुफ़्त ट्रेनिंग

मोती की मांग घरेलू बाज़ार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी बढ़ती जा रही है। मोती की खेती से लाभ होता देख, किसान इसकी खेती में दिलचस्पी दिखाने लगे हैं। अगर वैज्ञानिक तरीके से और ट्रेनिंग लेकर अगर मोती की खेती करते हैं तो अच्छी गुणवत्ता वाले मोती की खेती की जा सकती है। इसे बाज़ार में बेचकर किसान अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

फल, सब्ज़ियों और अनाज की पारंपरिक खेती से इतर किसान अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए अब लीक से हटकर खेती करने लगे हैं और मोती भी खेती भी ऐस ही खेती है। इसमें कम लागत में किसानों को तगड़ा मुनाफा हो सकता है, अगर वो सही तरीके से ट्रेनिंग के बाद ये काम शुरू करें तो। मोती की देश ही नहीं, विदेशी बाज़ारों में भी बहुत मांग है, जिससे किसान इसे बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं। यदि आप भी मोती की खेती करना चाहते हैं तो जान लीजिए इससे जुड़ी कुछ अहम बातें।

कैसे बनता है कुदरती मोती?

मोती समुद्र के अंदर रहने वाले एक जीव जिसे घोंघा (Oyster) कहते हैं द्वारा बनाया जाता है। ये एक सख्त खोल के अंदर रहता है जिसे सीप कहते हैं। इसी सीप के अंदर मोती बनता है। दरअसल, सीप में जब कोई रेत कण प्रवेश करता है, तो घोघा इस कण पर सीप के पदार्थ की परत पर परत चढ़ाने लगता है और यह परत कैल्शियम कार्बोनेट की होती है। कुछ समय बाद सीप के अंदर मोती बन जाता है। ये तो मोती बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इसकी खेती में कृत्रिम तरीके से सीप के अंदर कुछ पदार्थ डालकर मोती का निर्माण किया जाता है।

कैसे शुरू करें मोती की खेती?

मोती की खेती शुरू करने के लिए तालाब की ज़रूरत होती है। बाहरी कणों के सीप के अंदर जाने से मोती पैदा होता है। इसे तैयार होने में लगभग 15 से 20 महीने का वक्त लगता है। कैल्शियम कार्बोनेट से मोती का क्रिस्टल तैयार होता है। मोती की खेती के लिए अनुकूल समय अक्टूबर से दिसंबर के बीच माना जाता है।

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तस्वीर साभार: ICAR

 

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कैसे करें सीप को तैयार?

  • सबसे पहले सीप को खुले पानी में डालें
  • फिर 2 से 3 दिन बाद इन्हें निकालें
  • ऐसा करने से सीप का ऊपरी हिस्सा (कवच) और उसकी मांसपेशियां नरम हो जाती हैं
  • सीप की सतह पर 2 से 3 एमएम का छेद करें
  • इस छेद में रेत का एक छोटा सा कण डालें
  • 2 से 3 सीप को एक नायलॉन के बैग में रखकर, तालाब में बांस या किसी पाइप के सहारे छोड़ दें
  • सीप से मोती तैयार होने में 15 से 20 महीने का समय लगता है, इसके बाद कवच को तोड़कर मोती को निकालें
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तस्वीर साभार: ICAR

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क्या है मोती की खेती से कमाई का गणित?

मोती की बाज़ार में कीमत 300 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है। अगर आपका तैयार किया गया मोती अच्छी गुणवत्ता वाला है तो इस डिज़ाइनर मोती के लिए आपको दस हज़ार रुपये तक भी मिल सकते हैं। एक सीप की लागत 15 से 30 रूपये के आस-पास आती है।

मान लीजिए आपका 500 फ़ीट का तालाब है। इसमें 100 सीप आपने डाले हैं। अगर प्रति मोती औसतन हज़ार रुपये में बिकता है, तो कुल मिलाकर 100 मोतियों से एक लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है। आप चाहें तो सीप की संख्या को बढ़ाकर अपनी कमाई भी बढ़ा सकते हैं।

Pearl Farming: कैसे करें मोती की खेती? कहां से लें मुफ़्त ट्रेनिंग
तस्वीर साभार: CIFA

 

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कैसे लें फ़्री ट्रेनिंग?

इंडियन काउंसिल फ़ॉर एग्रीकल्‍चर रिसर्च के तहत एक विंग बनाया गया है। इस विंग का नाम CIFA यानी सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर है। ये फ़्री में मोती की खेती की ट्रेनिंग देता है। इसका मुख्यालय उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्‍वर में है। यहां पर कोई भी 15 दिन की ट्रेनिंग ले सकता है। आप चाहें तो इनके रीज़नल सेंटर्स भटिंडा, बेंगलुरू, रहारा और विजयवाड़ा से भी ट्रेनिंग ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए इनकी वेबसाइट cifa.nic.in पर संपर्क करें। मोती की खेती के लिए जितना ज़रूरी प्रशिक्षण है, उतना ही ज़रूरी उसका सही तरीके से रखरखाव करना भी है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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