Table of Contents
समुद्र की गहराइयों से मोती निकालने की अपनी ख़्वाहिश को अब पूजा ने अपने आंगन में लाकर खड़ा कर दिया है। आपको अच्छी क्वालिटी का मोती चाहिए तो समुद्र में गोते लगाने की ज़रूरत नहीं। भारी-भरकम रकम खर्च कर अपनी जेब ढीली करने की भी ज़रूरत नहीं। मिलिए छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले की एकलौती महिला किसान से, जो मोती अपने घर पर ही उगा रही हैं और लाखों कमा रही हैं। 28 साल की पूजा विश्वकर्मा 12वीं तक पढ़ी हैं, और अपने क्षेत्र में मोती पालन को लेकर जानी जाती हैं। किसान ऑफ़ इंडिया ने पूजा विश्वकर्मा से मोती पालन पर (Pearl Farming) विस्तार से बात की।
मोती की खेती कैसे शुरू की?
पूजा विश्वकर्मा बताती हैं कि उनकी बड़ी बहन हमेशा से चाहती थी कि राज्य में वो पहले ऐसे शख्स बनें, जो मोती की खेती करते हों। हालांकि, इससे पहले उन्हें कभी खेती-किसानी का अनुभव नहीं था। बड़ी बहन ने ही सारी रिसर्च कर और ट्रेनिंग लेकर मोती पालन सीखा। पूजा कहती हैं-
मुझे ट्रेनिंग भी बड़ी बहन से ही मिली। लेकिन दुर्भाग्यवश उनका देहांत हो गया। उनकी आख़िरी इच्छा थी कि ये सपना जो उन्होंने देखा था वो हर हाल में पूरा हो। इसलिए मैंने अकेले ही पर्ल फार्मिंग का बेड़ा उठाया।
मोती की खेती में कितनी लागत?
पूजा विश्वकर्मा ने 6 साल पहले 40 हज़ार रुपये की लागत से मोती पालन व्यवसाय शुरु किया। लगातार 2 साल तक संघर्ष करने के बाद उन्हें सफलता मिली। कई बार पानी का pH लेवल बढ़ने से, देखरेख में चूक की वजह से सीपों को नुकसान भी पहुंचा। इन सबके बावजूद पूजा रिसर्च करती रहीं। अपने लगातार रिसर्च और प्रयोग से उन्होंने आखिरकार मोती पालन की बारीकियों को न सिर्फ़ जाना, बल्कि आज की तारीख में मोती पालन व्यवसाय को अपने क्षेत्र में बढ़ावा भी दे रही हैं।
मोती की खेती कैसे की जाती है?
1. टैंक निर्माण एवं लागत
पूजा विश्वकर्मा ने बताया कि 10*10 साइज़ का टैंक आप घर पर ही बना सकते हैं, जिसकी लागत तकरीबन 9 से 10 हज़ार रुपये तक आती है। अगर आप शुरूआत सीमेंट टैंक से नहीं करना चाहते तो मार्केट में प्लास्टिक के टैंक भी उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत ढाई से तीन हज़ार रुपये होती है। इसके अलावा, आप अगर बड़े पैमाने पर मोती की खेती करना चाहते हैं तो तालाब इसके लिए सबसे बढ़िया विकल्प है।
2. इन्डोर या आउटडोर क्या बेहतर विकल्प है?
पूजा बताती हैं कि अगर आपका बजट सीमित है और घर पर टैंक निर्माण के लिए पर्याप्त जगह है तो इंडोर टैंक अच्छा विकल्प है क्योंकि आउटडोर टैंक निर्माण के समय टेम्प्रेचर मेन्टेन रखने के लिए गर्मी और धुप से बचने के लिए शेड का निर्माण भी करना पड़ेगा, जिससे लागत बढ़ती है।
3. ऑक्सीजन मशीन
पानी में ऑक्सीजन का लेवल मेन्टेन करने के लिए ऑक्सीजन मशीन की ज़रूरत होती है, जो 300 से 1000 रुपये और उससे ज़्यादा कीमत पर मार्केट में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। टैंक में अगर ऑक्सीजन का लेवल कम होगा तो सीप जल्दी मर जाती हैं। इसलिए इस फैक्टर का विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत होती है।
मोती पालन के साथ-साथ मछली पालन
मोती पालन के साथ मछली पालन करने के कई फ़ायदे हैं। मोती पालन तालाब या छोटे टैंक में किया जाता है। इसमें सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि मोती पालन करने वाले किसान उसी पानी में मछली पालन भी कर सकते हैं। इससे एक ही जगह में दो गतिविधियां करने से लागत में भी कमी आती है और मुनाफ़ा भी बढ़ता है।
पूजा बताती हैं कि सीप की अच्छी ग्रोथ और पानी में नेचुरल तरीके से ऑक्सीजन की मात्रा को बनाये रखने के लिए टैंक में मछली पालन किया जाता है। इसके लिए वो अपने टैंकों में रोहू या कतला प्रजातियों को पालती हैं।
मोती पालन के साथ मछली पालन: क्या हों सावधानियां
- पूजा बताती हैं कि अगर 10*10 साइज़ का टैंक है तो आप 20 रोहू या कतला पाल सकते हैं।
- बाज़ार में ये मछलियां 5 रुपये प्रति पीस से लेकर 30 रुपये प्रति पीस तक उपलब्ध होती हैं।
- साथी ही मछली को समय-समय पर दाना देना ज़रूरी है। वरना पर्याप्त दाने के अभाव में मछलियां सीप की मसल्स को ही खाने लगती हैं।
मोती के बीज क्या होते हैं?
पूजा ने बताया कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अच्छी क्वालिटी के बीज और सीप उपलब्ध हैं। इसके साथ ही पूजा अब खुद ही बीज निर्माण भी करने लगी हैं। मोती के बीज निर्माण के लिए nucleus का इस्तेमाल किया जाता है। ये सीप के पाउडर से बने होते हैं।
मोती पालन में सीप की कीमत
प्रति बीज की कीमत होती है 10 रुपए, सीप की कीमत उसके क्वालिटी पर निर्भर करती है। एक सीप 200 से 500 और 2000 तक की भी रेंज में उपलब्ध होता है।
मोती की खेती में पानी का pH मान
- वैसे तो मोती समुद्र की गहराइयों में खारे पानी में पाया जाता है, लेकिन घर पर तैयार होने वाले मोती मीठे पानी में बनते हैं, साथ ही ग्रीन वाटर का प्रयोग भी इसमें किया जाता है।
- ग्रीन वाटर को सीप के भोजन के तौर पर डाला जाता है क्योंकि इसमें हरी काई होती है, जिसे सीप खाती हैं और उनकी ग्रोथ अच्छी होती है।
मोती की खेती में सीप की सर्जरी कैसे होती है?
पूजा विश्वकर्मा ने बताया कि बीज की सर्जरी कर उसके अंदर nucleus डाला जाता है, जिससे मोती का निर्माण होता है। एक प्रोसेस के माध्यम से सीपियों पर चीरा लगाया जाता है। चीरा लगाने के बाद सीपियों के अंदर सांचा डाला जाता है। इसके बाद सीप को तालाब या टंकी में रखकर लगभग 8 महीने तक छोड़ दिया जाता है। सर्जरी के बाद सीप को नेट में रख कर टैंक में वर्टिकली टांग दिया जाता है। इस दौरान सीप अपने में से एक तरल पदार्थ छोड़ती है, जिसे नेकर कहते हैं।
जैसे-जैसे सीप से नेकर निकलता है, सीप जमता जाता है यानि कि हार्ड होता जाता है। फिर लगभग 8 महीने बाद एक प्रोसेस के माध्यम से चीरा लगाकर मोती निकाल लिया जाता है। इन मोतियों की कीमत बाज़ार में अच्छी ख़ासी है और इसकी डिमांड भी अब बढ़ने लगी है।
मोती पालन में साफ़-सफ़ाई
पूजा कहती हैं कि सप्ताह में 2 बार टैंक और पानी की सफ़ाई ज़रूरी है, जिससे मछलियों और सीप में किसी तरह का इन्फेक्शन न हो। अगर आप समय-समय पर पानी की सफाई नहीं करेंगे तो मछलियां तो मरेंगी ही साथ में सीप भी मर जाएगी।
मोती बनने में कितना समय लगता है?
सर्जरी के बाद अगर ठीक तरह से रख रखाव किया जाये और अनुकूल वातावरण मिले तो 8 से 10 महीने के भीतर ही मोती तैयार हो जाते हैं।
![Pearl Farming मोती की खेती के साथ मछली पालन 7](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2023/11/Pearl-Farming-मोती-की-खेती-के-साथ-मछली-पालन-7.jpg)
एक मोती कितने में बिकता है?
पूजा ने बताया कि को मोती वो तैयार करती हैं, उनमें मोती की कीमत उसके रंग और क्वालिटी पर निर्भर करती है। एक मोती की कीमत 200 से 500 रुपये और उससे ऊपर की केटेगरी के मोती 1,500 से 2,500 रुपये प्रति पीस के हिसाब से मार्केट में बेचे जाते हैं। ऑफ़ वाइट, पिंक और हल्के नीले रंग के मोती काफी डिमांड में होते हैं।
मोती की खेती में कितना फ़ायदा?
प्रति टैंक 50,000 हज़ार की लागत के हिसाब से पूजा 8 से 10 महीने में 1 लाख 50 हज़ार तक कमा लेती हैं।
खराब सीप का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
पूजा बताती हैं कि उनके पास कुछ भी वेस्ट नहीं होता। जो सीप ख़राब हो जाते हैं उनसे ज्वेलरी और डेकोरेटिव आइटम तैयार किये जाते हैं जो मार्केट में 300 से लेकर 700 रुपये तक बिक जाते हैं।
मोती की खेती की फ़्री में ट्रेनिंग
बिलासपुर शहर के सरकंडा में गली नंबर 2 मोती वाली गली के नाम से जानी जाती है। महिलाओं को खुद का रोजगार प्राप्त हो और उन्हें काम की तलाश में इधर-उधर भटकना न पड़े, इसलिए पूजा महिलाओं को निःशुल्क ट्रेनिंग भी देती हैं। पूजा अब तक देशभर की लगभग 2000 से ज़्यादा महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुकी हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
![मंडी भाव की जानकारी](https://www.kisanofindia.com/wp-content/uploads/2022/05/mandi728.webp)
ये भी पढ़ें:
- Equipments For Hydroponic Farming: जानिए हाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों के बारे मेंहाइड्रोपोनिक खेती के उपकरणों (Hydroponic Farming Equipments) में ग्रो लाइट्स, पंप, नली, पीएच मीटर, पोषक तत्व समाधान, ग्रो बेड्स, और कंटेनर शामिल होते हैं।
- Poultry Health Management: पोल्ट्री की देखभाल और प्रबंधन कैसे करें? जानिए कुछ प्रभावी टिप्सपोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन (Poultry Health Management) रोगों से बचाव, उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक नुकसान कम करने के लिए ज़रूरी है।
- Budget 2024: Agriculture Sector में सरकार की मुख्य घोषणाएं, कृषि क्षेत्र के बजट में बढ़ोतरीइस साल कृषि क्षेत्र के लिए बजट (Budget 2024) को बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। जानिए आम बजट 2024 में कृषि क्षेत्र के लिए मुख्य ऐलान।
- National Mango Day 2024: मल्लिका, आम्रपाली और प्रतिभा समेत पूसा की उन्नत आम की किस्मेंहमारे देश में लगभग 1500 से अधिक आम की किस्में (Mango Varieties) पाई जाती हैं, जो उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक फैली हुई हैं।
- Sheep Farming Tips: भेड़ों की देखभाल और प्रबंधन के उन्नत तरीकेभेड़ पालन में सफलता के लिए साफ-सुथरा और सुरक्षित आवास, पोषक आहार और नियमित टीकाकरण, ज़रूरी है। यहां हम भेड़ पालन के टिप्स (Sheep Farming Tips) शेयर कर रहे हैं।
- Tuber Crops Cultivation: जानिए कंद फसलों की खेती से जुड़ी जानकारी और कमाएं मुनाफ़ाकंद फसलों की खेती (Tuber Crops Cultivation), जैसे आलू और शकरकंद, किसानों के लिए लाभकारी है। ये पौष्टिक, उच्च मूल्य वाली और कम पानी की आवश्यकता वाली होती हैं।
- Nutritional Balance In Livestock Feed: पशुओं के लिए संतुलित आहार कैसा हो?पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन (Nutritional Balance In Livestock Feed) उनकी सेहत, उत्पादकता, रोग प्रतिरोधकता और पशुपालकों के आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी है।
- Millet Business Ideas: FPO OTLO के मिलेट्स व्यवसाय से जुड़े 4 हज़ार किसान और महिलाओं को रोज़गारबहुत से FPO और कंपनियां मिलेट्स व्यवसाय में उतरी हैं। प्रोसेसिंग कर मिलेट्स से ढेर सारी हेल्दी चीज़ें बना रही हैं, ऐसा ही एक FPO गुजरात के डांग ज़िले में काम कर रहा है।
- Balanced Diet For Livestock: जन्म से लेकर गर्भावस्था तक क्यों ज़रूरी पशुओं के लिए संतुलित आहार? जानिए हरविंदर सिंह सेपशुओं के लिए संतुलित आहार (Balanced Diet For Livestock) से पशुपालक न केवल लागत में कमी ला सकते हैं, बल्कि दूध का भी बंपर उत्पादन भी ले सकते हैं।
- Fish farming Practices: तालाब बनाने से लेकर मछलियों के बीज और बाज़ार भाव पर विनीत सिंह से बातमछली पालन में उन्नत प्रबंधन (Advanced Management in Fisheries) शामिल करता है: स्वच्छ जल और आहार प्रबंधन, रोग नियंत्रण, प्रौद्योगिकी उपयोग, और सरकारी योजनाएं।
- Live Fish Packing: भारत का पहली लाइव फ़िश यूनिट! वंदना का मंत्र, अच्छा दाना और भरपूर ऑक्सीजनलाइव फ़िश पैकिंग तकनीक (Live Fish Packing Technique) मछलियों को जीवित रखते हुए पैक और परिवहन करने की प्रक्रिया है, जिससे वो लंबे समय तक ताज़ी रह सकती हैं।
- जैविक खेती के तरीके: बागपत के इस किसान ने Multilayer Farming का बेहतरीन मॉडल अपनायाविनीत चौहान ने 5 साल पहले बागवानी की शुरुआत की। वो पूरी तरह से जैविक खेती के तरीके (Organic Farming Techniques) अपनाते हुए ऑर्गेनिक उत्पादन लेते हैं।
- Dragon Fruit Farming: ड्रैगन फ़्रूट फ़ार्मिंग में कितनी लागत और क्या है बाज़ार? जानें किसान सुनील सेड्रैगन फ़्रूट की खेती में लागत और लाभ की बात करें तो किसानों को पहला उत्पादन तीन से चार लाख रुपये का मिलता है। एक एकड़ से 4 से 5 टन का उत्पादन मिल जाता है।
- Vegetable Nursery Guide: सब्ज़ियों की नर्सरी कैसे तैयार कर सकते हैं? जानिए नसीर अहमद सेकिसान नसीर अहमद पिछले करीब 5-6 सालों से सब्ज़ियों की नर्सरी (Vegetable Nursery Business) का बिज़नेस कर रहे हैं। सब्ज़ियों की नर्सरी से जुड़ी कई अहम बातें उन्होंने बताईं।
- Barley Cultivation Variety: जौ की उपज दोगुनी करने वाली नयी किस्म है DWRB-219भारतीय गेहूं और जौ अनुसन्धान संस्थान ने जौ की उपज की DWRB-219 किस्म ईज़ाद की है, जिसकी पैदावार परम्परागत किस्मों के मुक़ाबले दोगुनी है।
- Allelochemical Weed Management: कपास की खेती में अंतरवर्तीय फसल प्रणाली से खरपतवार नियंत्रणकपास की फ़सल को खरपतवार से सुरक्षित रखने में अंतरवर्तीय फसल प्रणाली (Intercropping System) की तकनीक बेहद उपयोगी और किफ़ायती साबित होती है।
- यहां से लें Pearl Farming की ट्रेनिंग, आवेदन करने की ये है आखिरी तारीख़ICAR- Central Institute Of Freshwater Aquaculture, Bhubaneswar (CIFA) मीठे पानी में मोती पालन (Pearl Farming) के राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
- Drip Irrigation Technique: पानी और पैसा दोनों बचाएं ड्रिप इरिगेशन से, जानें टपक सिंचाई तकनीक के फ़ायदेड्रिप सिंचाई प्रणाली (Drip Irrigation System) एक अत्याधुनिक सिंचाई तकनीक है जो पानी की बचत और फसलों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।
- Crop Rotation In Agriculture: जानिए क्यों अहम है खरीफ़ मौसम में उन्नत फ़सल चक्रखरीफ़ मौसम के दौरान कृषि में फ़सल चक्र (Crop rotation in agriculture) अपनाकर किसान अपने खेत को कई तरह की परेशानियों से बचाते हैं।
- खरीफ़ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) में कितनी हुई बढ़ोतरी?भारत सरकार अपने बफ़र स्टॉक या सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बनाए रखने के लिए लगभग 23 फसलों के उपज को MSP पर खरीद करती है।