समुद्री कछुओं को बचाने का बड़ा कदम: अब ट्रॉलरों में अनिवार्य होंगे Turtle Excluder Device, मछुआरों का होगा फायदा

देश भर के मछुआरों को अपने ट्रॉलर जहाजों में Turtle Excluder Device (TED) लगाना अनिवार्य होगा। ये डिवाइस न सिर्फ मछलियों के शिकार को आसान बनाएगी, बल्कि गलती से जाल में फंसने वाले लुप्तप्राय समुद्री कछुओं (endangered sea turtles) को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करेगी।

समुद्री कछुओं को बचाने का बड़ा कदम: अब ट्रॉलरों में अनिवार्य होंगे Turtle Excluder Device, मछुआरों का होगा फायदा

भारत सरकार (Government of India) ने समुद्री जीवन की सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब देश भर के मछुआरों को अपने ट्रॉलर जहाजों में Turtle Excluder Device (TED) लगाना अनिवार्य होगा। ये डिवाइस न सिर्फ मछलियों के शिकार को आसान बनाएगी, बल्कि गलती से जाल में फंसने वाले लुप्तप्राय समुद्री कछुओं (endangered sea turtles) को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद करेगी। आइए जानते हैं कि यह नई तकनीक कैसे काम करती है और क्यों ये भारत के समुद्री पर्यावरण (Marine environment) के लिए एक बड़ी उम्मीद है।

क्या है टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED)?

TED एक ख़ास जाल अटैचमेंट है, जो मछली पकड़ने के दौरान बड़े समुद्री जीवों (like a turtle, dolphin or shark) को जाल से बचाता है। ये डिवाइस जाल के अंदर एक झुका हुआ ग्रिड लगाता है, जिससे छोटी मछलियां तो अंदर रह जाती हैं, लेकिन बड़े जीव बाहर निकल जाते हैं।

क्यों है ये जरूरी?

  • हर साल हजारों कछुए मछली पकड़ने वाले जालों में फंसकर मर जाते हैं।
  • भारत में ओलिव रिडले कछुए (Olive Ridley Turtle), जो विश्व की सबसे छोटी और संकटग्रस्त प्रजातियों में से एक हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
  • TED के इस्तेमाल से कछुओं की मृत्यु दर में 97 फीसदी तक कमी आ सकती है।

किन राज्यों में लागू होगा ये नियम?

भारत सरकार ने 9 तटीय राज्यों में TED को अनिवार्य किया है:

  1. गुजरात
  2. महाराष्ट्र
  3. गोवा
  4. कर्नाटक
  5. केरल
  6. तमिलनाडु
  7. आंध्र प्रदेश
  8. ओडिशा (जहां दुनिया का सबसे बड़ा ओलिव रिडले कछुओं का आवास है)
  9. पश्चिम बंगाल

केरल और आंध्र प्रदेश में पहले से ही कई ट्रॉलरों में TED लगाए जा चुके हैं।

kisan of india youtube

मछुआरों को कैसे मिलेगा फायदा?

1. सरकार दे रही है पूरी सब्सिडी

TED डिवाइस की कीमत लगभग 23,485 रूपये है, लेकिन प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इसकी पूरी लागत वहन करेंगी। यानी, मछुआरों को एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़ेगा।

2. मछली पकड़ने की क्षमता बढ़ेगी

  • TED से जाल में सिर्फ मछलियां ही रहेंगी, बड़े जीव बाहर निकल जाएंगे।
  • इससे जाल कम फटेगा और मछुआरों का समय व पैसा बचेगा।

3. इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ेगी मांग

अमेरिका और यूरोप जैसे देश TED वाली मछलियों को प्राथमिकता देते हैं। इससे भारतीय मछुआरों को निर्यात के नए अवसर मिलेंगे।

क्या होगा अगर TED नहीं लगाया गया?

सरकार ने साफ़ कर दिया है कि TED न लगाने वाले ट्रॉलरों को मछली पकड़ने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसके अलावा, जुर्माना या जहाज़ ज़ब्ती तक का प्रावधान है।

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

इसे भी पढ़िए:  Ayurveda Diet: भारत की पुरातन खाद्य संस्कृति को मिली नई पहचान, आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद आहार की लिस्ट जारी की

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top