बदलते वक़्त के साथ खेती करने के तौर-तरीके भी आधुनिक हो रहे हैं। पारंपरिक खेती के अलावा आय के स्रोतों को बढ़ाने के उद्देश्य से किसान अब नई प्रणाली का भी रूख कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है एक्वापोनिक्स खेती (Aquaponics Farming)। एक्वापोनिक्स एक उभरती हुई तकनीक है, जिसमें एक साथ मछली पालन और सब्जियों की खेती की जा सकती है। इस तकनीक में पानी की सतह पर सब्जियां तथा निचली सतह पर मछली पालन करना संभव है। एक्वापोनिक्स खेती को भविष्य की खेती के रूप में भी देखा जा रहा है।
कैसे की जाती है एक्वापोनिक्स फ़ार्मिंग?
एक्वापोनिक्स फ़ार्मिंग जैसा कि नाम में ही है, एक्वा मतलब पानी और पोनिक्स मतलब हरी सब्जियां। एक्वापोनिक्स तकनीक में खेती के लिए मिट्टी की सतह नहीं होती बल्कि पानी की सतह होती है। पानी की सतह पर फ्लोटिंग कार्डबोर्ड होता है, जिसमें सब्जियां उगाई जाती हैं। इस तकनीक में सब्जी में खाद या कीटनाशक की ज़रूरत भी नहीं पड़ती। पौधे खुद पानी से अपने ज़रूरत के हिसाब से पोषक तत्व ले लेते हैं। पौधों को पानी की सतह पर रखने से पहले छोटे ट्रे में तैयार किया जाता है। इसके बाद इसे तैरते हुए बोर्ड पर रख दिया जाता है।
एक्वापोनिक्स खेती प्रक्रिया में एक गोलाकार टैंक या तालाब में मछलियां पाली जाती हैं। मछली पालन से उत्पन्न अपशिष्ट का उपयोग पौधों की वृद्धि के लिये आवश्यक उर्वरक के रूप में किया जाता है। इससे पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ती है। इस पानी को सब्जियों के टैंक में डाला जाता है, जिससे पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है। पौधों के द्वारा पोषक तत्व ग्रहण करने के बाद पानी को फिर से मछलियों के टैंक में डाल दिया जाता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है। इस तकनीक से पानी की बचत के साथ पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति भी होती है।
एक्वापोनिक्स खेती कैसे हैं फ़ायदेमंद?
एक्वापोनिक्स खेती किसानों को कम लागत में बड़ा मुनाफ़ा देती है। इस तकनीक में पारंपरिक खेती के मुकाबले 95 फ़ीसदी तक पानी की बचत होती ह। इस तकनीक के उपयोग से फसल को मरुस्थल, रेतीली, बर्फीली जैसी जगहों पर आसानी से उगाया जा सकता है। इस तकनीक का सबसे बड़ा फ़ायदा है कि जहां पानी की कमी हो या ज़मीन बंजर हो, वहां भी इस नई कृषि तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। यहीं नहीं एक्वापोनिक्स खेती में मिट्टी की फसल की तुलना में फसल तीन गुना ज़्यादा तेजी से बढ़ती है। कम क्षेत्र में अधिक पैदावार देने वाली ये तकनीक दोहरी कमाई का अच्छा विकल्प है।
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