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राजस्थान के कोटा शहर से ताल्लुक रखने वाली रिंकुराज मीना की कहानी आज हजारों युवाओं और खासकर महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी है। जिस समाज में लड़की की पहचान सिर्फ एक अच्छी बहू या नौकरी करने वाली के रूप में देखी जाती है, वहां रिंकुराज ने अपनी एक अलग पहचान बनाई – वो भी खेती के ज़रिए। लेकिन ये कोई आम खेती नहीं थी, उन्होंने चुना मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) का रास्ता और उसी के दम पर “लाइफ ग्रो किसान” नाम से एक सफल ऑर्गेनिक कंपनी खड़ी की।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे एक साधारण परिवार से आई लड़की ने तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने सपनों को ज़िंदा रखा और मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) से एक नया मुकाम हासिल किया।
बचपन से संघर्ष की शुरुआत (Struggles started from childhood)
रिंकुराज मीना का जन्म कोटा के एक गरीब परिवार में हुआ था। घर में माता-पिता और एक भाई था। पिता अपनी बेटी को पढ़ाना चाहते थे, लेकिन आर्थिक स्थिति मज़बूत नहीं थी। फिर भी उन्होंने रिंकुराज को अच्छी शिक्षा देने की पूरी कोशिश की।
कक्षा 12वीं के बाद जब पिता की तबीयत बिगड़ गई, तो रिंकुराज ने राशन डीलर की दुकान चलानी शुरू की, ताकि घर का खर्च भी चले और पढ़ाई भी पूरी हो। उन्होंने कृषि विज्ञान में बीएससी की डिग्री ली, लेकिन तभी उनके पिता का निधन हो गया। इस दुख की घड़ी में उनकी माँ ने उन्हें हिम्मत दी और आगे एमबीए (एग्रीकल्चर) की पढ़ाई भी पूरी करवाई।
शादी के बाद मिला जीवनसाथी का साथ (After marriage, I got the support of my life partner)
रिंकुराज की शादी उनके दोस्त राज सिकंदर मीना से हुई, जो पेशे से मनोवैज्ञानिक हैं। उन्होंने रिंकुराज के सपनों को समझा और उनका पूरा साथ दिया। ये बात बहुत मायने रखती है, क्योंकि कई बार लड़कियों को शादी के बाद अपने करियर से समझौता करना पड़ता है, लेकिन रिंकुराज के साथ ऐसा नहीं हुआ। राज के साथ मिलकर उन्होंने “लाइफ ग्रो किसान” नाम की एक ऑर्गेनिक कंपनी शुरू की। शुरुआत सासू माँ द्वारा बनाए गए नींबू के अचार से हुई। इस अचार को ‘किसान साहिब’ नाम से बाज़ार में उतारा गया।
अचार से बनाया खुद का ब्रांड (Created own brand of pickles)
अचार तो बन गया, ब्रांड भी तैयार था, लेकिन सबसे मुश्किल था बाज़ार बनाना। बड़ी-बड़ी कंपनियों के बीच खुद को खड़ा करना आसान नहीं था। रिंकुराज खुद घर-घर जाकर लोगों को अचार का स्वाद चखवाती थीं, प्रोडक्ट की जानकारी देती थीं। धीरे-धीरे उनका ऑर्गेनिक अचार लोगों को पसंद आने लगा, खासतौर पर नींबू का अचार जो साल भर उपलब्ध रहता है। इंदौर, दिल्ली, शिमला, केरल और राजस्थान जैसे शहरों में अचार की डिमांड बढ़ने लगी, लेकिन रिंकुराज सिर्फ यहीं नहीं रुकना चाहती थीं।
क्यों चुनी मशरूम की खेती? (Why choose Mushroom farming?)
रिंकुराज का मानना था कि सिर्फ अचार से बात नहीं बनेगी, उन्हें कुछ ऐसा करना था जो सेहतमंद भी हो और जिसका मार्केट भी बड़ा हो। तब उन्होंने मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) के बारे में रिसर्च करना शुरू किया। उन्हें समझ में आया कि आज की दौड़ती-भागती ज़िंदगी में लोग हेल्दी खाने की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं, और मशरूम एक हेल्दी, प्रोटीन से भरपूर सुपरफूड है।
उन्होंने बटन मशरूम और ऑयस्टर मशरूम की ऑर्गेनिक खेती शुरू की। शुरुआत में थोड़ी दिक्कतें आईं, लेकिन जब परिणाम मिलने लगे, तो उन्होंने ड्राई मशरूम, मशरूम से बने अचार, बिस्किट्स और नमकीन जैसे प्रोडक्ट्स भी लॉन्च कर दिए। आज उनकी कंपनी “लाइफ ग्रो किसान” ना सिर्फ मशरूम उगाती है, बल्कि उससे जुड़े कई तरह के प्रोडक्ट्स भी मार्केट में बेचती है।
मशरूम की खेती से कम लागत, ज़्यादा मुनाफ़ा (Low cost, high profit from mushroom cultivation)
रिंकुराज कहती हैं कि मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो कम जगह और कम बजट में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं। इसे छत या किसी छोटे से कमरे में भी शुरू किया जा सकता है। ऑर्गेनिक तरीके से की गई मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) ना सिर्फ स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि इससे प्रोसेस्ड फूड बनाकर भी अच्छा व्यवसाय किया जा सकता है। खास बात यह है कि मशरूम की डिमांड साल भर बनी रहती है, जिससे बिक्री में उतार-चढ़ाव नहीं आता।
कंपनी का विस्तार और नए क्षेत्रों में कदम (Expansion of the company and foray into new areas)
आज “लाइफ ग्रो किसान” केवल अचार या मशरूम तक सीमित नहीं है। उन्होंने ऑर्गेनिक किचन गार्डनिंग, रूफ टॉप फार्मिंग, वर्मीकम्पोस्ट और लीज फार्मिंग जैसे कई क्षेत्रों में भी काम शुरू कर दिया है। उनका उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोग रसायन-मुक्त, हेल्दी भोजन को अपनाएं और गांव के किसान भी आत्मनिर्भर बनें।
रिंकुराज की टीम गाँव की महिलाओं को ट्रेनिंग देती है और उन्हें मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) जैसे छोटे लेकिन लाभकारी बिज़नेस से जोड़ती है। इससे महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है और आत्मनिर्भरता भी।
युवा से ले सकते हैं उनकी कहानी से प्रेरणा (Youth can take inspiration from her story)
रिंकुराज का कहना है कि आज के कई युवा सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं, बिना ये जाने कि उनकी खुद की रुचि किसमें है। अगर हम वही काम करें जिसमें हमें खुशी मिलती है, तो हम उसमें अपना 100% दे सकते हैं। मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) जैसे विकल्प आज रोजगार के साथ-साथ हेल्दी समाज भी बना रहे हैं। पढ़े-लिखे युवाओं को चाहिए कि वो कृषि को भी एक करियर के रूप में देखें। यहां भी अपार संभावनाएं हैं, बस नज़रिया बदलने की ज़रूरत है।
एक प्रेरणा, एक मिसाल (An inspiration, an example)
रिंकुराज मीना की कहानी सिर्फ एक महिला की सफलता की कहानी नहीं है, ये उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो सोचती हैं कि साधन नहीं हैं, समाज साथ नहीं देगा या जिम्मेदारियाँ ज़्यादा हैं। उन्होंने दिखा दिया कि मेहनत, लगन और सही दिशा में सोच हो तो मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) जैसे विकल्प से भी एक बड़ा मुकाम पाया जा सकता है। उनका सफर बताता है कि महिलाएं भी खेती के क्षेत्र में न सिर्फ कदम रख सकती हैं बल्कि लीडर बनकर उभर सकती हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
रिंकुराज मीना का जीवन एक जीता-जागता उदाहरण है कि बदलती सोच और आधुनिक खेती के मेल से कैसे ग्रामीण भारत की तस्वीर बदली जा सकती है। उन्होंने न सिर्फ मशरूम की खेती (Mushroom Cultivation) को अपनाया बल्कि उससे जुड़ी पूरी वैल्यू चेन खड़ी कर दी।
अगर आप भी खेती से कुछ नया करना चाहते हैं, तो मशरूम की खेती आपके लिए एक बढ़िया शुरुआत हो सकती है – कम लागत, ज्यादा मुनाफा और हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ।
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