खेती के लिए वरदान है ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक, जानिए किन फ़सलों के लिए है ये कारगर

पानी की कमी वाले क्षेत्रों में ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक (Drip and sprinkler irrigation techniques) से किसान कम पानी में बेहतर पैदावार ले रहे हैं।

Drip and sprinkler irrigation techniques ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक

खेती का दायरा जैसे-जैसे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे सिंचाई के लिए पानी की कमी होने लगी है और राजस्थान जैसे इलाके में तो पहले से ही पानी की कमी है, ऐसे में सिंचाई की पारपंरिक तकनीक से खेती करना संभव नहीं है। ऐसे में सिंचाई की आधुनिक किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक से कम पानी में ही किसान अच्छी पैदावार ले सकता है, इसलिए सरकार भी इन तकनीकों को सब्सिडी के ज़रिए बढ़ावा दे रही है। हरियाणा के हिसार में जैन इरिगेशन के डिस्ट्रिब्यूटर सुरेंद्र जैन ने किसान ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि आज के समय में आधुनिक सिंचाई तकनीकें बहुत उपयोगी और फ़ायदेमंद है।

कारगर सिंचाई तकनीक है मिनी स्प्रिंकलर (Mini sprinkler is an effective irrigation technique) 

जैन इरिगेशन के हिसार के डिस्ट्रीब्यूटर सुरेंद्र जी बताते हैं कि किसान अब जागरुक हो चुके हैं इसलिए आधुनिक सिंचाई तकनीकों को अपना रहे हैं। मिनि स्प्रिंकलर बहुत ही उपयोगी सिंचाई तकनीक है जिसे फ़सल उगाने से लेकर कटाई तक फिक्स किया जाता है। इसकी ख़ासियत ये है कि इसे बार-बार उखाड़ने या शिफ्ट करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। फ़सल कटने के बाद ही इसे हटाया जाता है। हर तरह की फ़सल की सिंचाई के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है जैसे सरसों, ज्वार, बाजरा, चारा, गेहूं आदि। इससे पानी की बचत होती है और एक एकड़ के अंदर 56 मिनी स्प्रिंकलर (Mini Sprinkler) लगाने होते हैं। एक स्प्रिंकलर 6 मीटर का एरिया एक कवर करता है।

ऊंची फ़सलों की सिंचाई के लिए उपकरण (Equipment for irrigation of tall crops)

गन्ना और ज्वार जैसी फ़सलों की ऊंचाई अधिक होती है तो मिनी स्प्रिंकलर (Mini Sprinkler) से सही तरीके से सिंचाई नहीं हो पाती है। सुरेंद्र बताते हैं कि ऐसी फ़सलों की सिंचाई के लिए ख़ास उपकरण बनाए गए हैं जिसे अटैच करके मिनी स्प्रिंकलर (Mini Sprinkler) की हाइट बढ़ाई जा सकती है और अधिक ऊंची फ़सलों की आसानी से सिंचाई की जा सकती है। इस एक उपकरण की कीमत 60-70 रुपए है।

बड़े इलाके की सिंचाई के लिए उपयुक्त है रेन गन (Rain gun is suitable for irrigation of large area) 

जो किसान बड़े क्षेत्र में सिंचाई करना चाहते हैं और जिनके पास उपयुक्त पैसे हैं तो रेन गन उनके लिए उपयुक्त है। सुरेंद्र बताते हैं कि रेन गन 100 फीट एरिया कवर करती है। बड़े इलाके में सिंचाई के लिए उपयुक्त है और ये गोलाई में घूमती है। मगर किसान यदि चाहता है कि पानी पड़ोस के खेत में न जाए तो इसे एक साइड भी कर सकते हैं, फिर ये चारों तरफ नहीं घूमेगा। रेन गन की हाइट भी ज़रूरत के हिसाब से एडजस्ट की जा सकती है। ये कम से कम 4 किलो प्रेशर पर ही चलती है। क्योंकि इसके ऊपर कोई सब्सिडी नहीं मिल रही है, तो थोड़ी महंगी पड़ती है।

रेन गन महंगी होती है इसलिए अधिकतर किसान इसकी जगह 56 नोज़ल यानी मिनी स्प्रिंकलर (Mini Sprinkler) ही लगाते हैं। मिनी स्प्रिंकलर (Mini Sprinkler) में विकल्प होता है कि एक वॉल खोले या तीन वॉल खोलें यानी कम पावर वाली मोटर पर भी इसे चलाया जा सकता है। तो जिन किसानों के पास पहले से बोरवेल है वो भी इसे इस्तेमाल कर सकते हैं, उन्हें अलग से कुछ सेटअप करवाने की ज़रूरत नहीं है।

पानी की गंदगी साफ करने के लिए फिल्टर (Filters for cleaning impurities in water) 

स्प्रिंकलर में छोटे छिद्र बने होते हैं जिससे पानी आता है, कई बार इससे बालू और मिट्टी भी आने है जिससे बचाव के लिए ख़ास फिल्टर भी बनाया गया है। सुरेंद्र बताते हैं कि इस समस्या से बचने के लिए एक hydrocyclone filter है जिसे बोरवेल से अटैच करने पर रेत/मिट्टी साफ हो जाती है। अगर स्प्रिंकलर के लिए टैंक है तो इसे साफ करने के लिए लिए दूसरा सेटअप है जो काई और पत्ते को हटाकर साफ पानी पहुंचाता है।

ड्रिप और स्प्रिंकलर के फ़ायदे (Advantages of drip and sprinkler)

ड्रिप और स्प्रिंकलर दोनों ही विधियां पानी की बर्बादी को कम करती है, इसलिए कम पानी वाले इलाकों के लिए दोनों ही तकनीक उपयुक्त है। ड्रिप में पौधों की जड़ों में सीधे पानी पहुंचता है इससे वाष्पीकरण भी नहीं होता है यानी पानी का पूरी सही इस्तेमाल होता है। जबकि स्प्रिंकलर सिंचाई बड़े क्षेत्र या बागानों में सिंचाई के लिए उपयुक्त होती है, इसमें क्योंकि पानी फव्वारे की तरह उड़ता है तो थोड़ा वाष्पीकरण होता है, मगर बड़े क्षेत्र की सिंचाई के लिए ये उपयुक्त है।

सिंचाई की पारंपरिक विधि जिसे फ्लड इरिगेशन कहते हैं वो सिंचाई का एक परमानेंट तरीका है, मगर आज के समय में पानी की कमी है इसलिए ये विधि उपयुक्त नहीं है। ड्रिप और स्प्रिंकलर से पानी की बचत होती है और पैदावार अच्छी होती है, इसलिए पानी बचाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को इसी तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए।

किन फ़सलों के लिए है कारगर (For which crops is it effective) 

सुरेंद्र कहते हैं कि स्प्रिंकलर का इस्तेमाल हर तरह की फ़सल की सिंचाई के लिए किया जा सकता है। हिसार में धान, कपास, दाल, सरसों, गेहूं हर तरह की फ़सल के लिए किसान इसका उपयोग कर रहे हैं।

सब्सिडी कितनी मिलती है (How much subsidy do you get) 

सुरेंद्र बताते हैं कि मिनी स्प्रिंकलर (Mini Sprinkler) की खरीद पर सरकार 85 फीसदी सब्सिडी देती है, तो इस तरह किसानों को एक एकड़ के लिए 14-15 हजार रुपए ही खर्च करने होते हैं। आगे वो कहते हैं कि सब्सिडी का लाभ लेने के लिए किसानों के पास खुद की ज़मीन होना ज़रूरी है और कम से कम उनके पास एक एकड़ ज़मीन होनी चाहिए। शुरुआत में भले ही किसानों को जेब से थोड़ा खर्च करना पड़ता है, मगर ये निवेश एक बार का ही होता है और ये लागत पहली फ़सल से ही वसूल हो जाती है।

किसान कैसे लगवाएं मिनी स्प्रिंकलर (How can farmers install mini sprinklers)

छोटे किसानों के लिए भी ये बहुत कारगर है। यदि कोई किसान अपने खेतों में इसे लगवाना चाहता है तो वो जैन इरिगेशन के डीलर से संपर्क कर सकता है। सुरेंद्र बताते हैं कि हर जिले और तहसील में जैन इरिगेशन के डीलर हैं किसान उनसे संपर्क करके इसे लगवा सकते हैं। एक बार लगवाने पर ये 15 से 20 साल तक चलते हैं।

आजकल किसान जागरुक हो चुके हैं और वो खेती को एक मुनाफे वाला व्यवसाय बनाना चाहते हैं,  इसलिए आधुनिक उपकरणों से लेकर सिंचाई की आधुनिक तकनीकों तक सबका इस्तेमाल करने में आगे हैं। सिंचाई के आधुनिक तरीके पानी की बचत तो करते ही हैं, साथ ही इनके इस्तेमाल से पैदावार भी अच्छी होती है।

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