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भारत में दुनिया की 18% आबादी रहती है, लेकिन हमारे पास केवल 2.4% ज़मीन है। खेती करने लायक ज़मीन पर अब शहरों का फैलाव, मौसम में बदलाव और फैक्ट्री जैसी चीज़ों का दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में खेती के नए और अनोखे तरीकों पर ध्यान दिया जा रहा है।
इन्हीं में से एक तरीका है – रात में खेती (Farming at night)। यानी रात के समय कृत्रिम (बिजली की) रोशनी और वैज्ञानिक तकनीक की मदद से फ़सल उगाना। इसमें फोटोपीरियड (प्रकाश अवधि) को बदलकर, एलईडी लाइट से खेत को रोशन करके और चाँदनी से जुड़ी तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
लेकिन क्या रात में खेती (Farming at night) भारत में ज़मीन की कमी को हल कर सकता है? आइए इस लेख में इसका वैज्ञानिक विश्लेषण करते हैं।
भारत में खेती की ज़मीन की समस्या (The problem of agricultural land in India)
भारत में लगभग 156 मिलियन हेक्टेयर ज़मीन खेती लायक है, लेकिन 80% से ज़्यादा किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम ज़मीन है। ज़मीन का बंटवारा, एक ही फ़सल बार-बार उगाना और सिर्फ़़ दिन के समय खेती करने की निर्भरता – ये सभी चीज़ें उत्पादन को सीमित करती हैं।
ऐसे में अगर रात में खेती (Farming at night) के समय का भी इस्तेमाल किया जाए, तो उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। सवाल ये है कि क्या विज्ञान की मदद से हम फ़सलों को रात में भी बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं?
फोटोपीरियडिज़्म: फ़सलों पर रोशनी का असर (Photoperiodism: Effect of light on crops)
फोटोपीरियडिज़्म यानी पौधों की दिन और रात की लंबाई पर प्रतिक्रिया।
- शॉर्ट-डेपौधे (जैसेचावल, सोयाबीन): लंबी रातों में फूल देते हैं।
- लॉन्ग-डेपौधे (जैसेगेहूं, पालक): छोटी रातों में फूलते हैं।
- डे-न्यूट्रलपौधे (जैसेटमाटर, खीरा): दिन-रात की लंबाई से कोई फर्क नहीं पड़ता।
अगर हम कृत्रिम रोशनी (जैसे LED लाइट्स) से दिन का समय बढ़ा दें, तो पौधों को ऐसा लगेगा कि दिन लंबा है और वो जल्दी फल-फूल देने लगेंगे।
रोशनी से रात में खेती: कैसे काम करती है? (Farming at night with lights: How does it work?)
किस तरह की रोशनी इस्तेमाल होती है?
- HPS लाइट्स: पुराने समय की गर्म पीली रोशनी, ज़्यादा बिजली खपत।
- LED लाइट्स: कम बिजली, ज़्यादा रोशनी, ख़ास रंगों (लाल-नीले) से पौधों की ग्रोथ बढ़ाते हैं।
- फार-रेड/यूवी लाइट्स: कुछ पौधों में फूल और कीट नियंत्रण के लिए।
रिसर्च क्या कहती है? (What does the research say?)
- 2020 की एक स्टडी में पाया गया कि रात में लाल-नीली LED लाइट से लेट्यूस (सलाद पत्ता) का उत्पादन 33% तक बढ़ गया।
- पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के ट्रायल में ग्रीनहाउस में लाइट देने से सब्जियों का उत्पादन बढ़ा।
पर ध्यान रहे – यह तकनीक ज़्यादातर ग्रीनहाउस या शहरी सेटअप में उपयोगी है, खुले खेतों में बड़े पैमाने पर इसे लागू करना महंगा और कठिन है।
चाँद की रोशनी में रात में खेती: क्या चाँद की रोशनी से फ़सल बढ़ सकती है? (Farming at Night in Moonlight: Can Crops Grow Using Moonlight?)
चाँद की रोशनी असल में सूरज की रोशनी का ही एक बहुत हल्का रूप है – लगभग 400,000 गुना कमज़ोर।
- कुछ पौधे चाँद की रोशनी में पत्ते खोलते हैं या फूलते हैं – जैसे चमेली या रातरानी।
- लेकिन फोटोसिंथेसिस (सूरज की रोशनी से खाना बनाना) चाँदनी से नहीं होता।
अभी तक कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं है जिससे केवल चाँद की रोशनी से खेती की जा सके। यह ज़्यादा लोक मान्यताओं पर आधारित है।
रात में खेती के दुनिया के प्रयोग (The world’s experiments in farming at night)
जापान
- जापान में वर्टिकल फार्म (मल्टी-लेयर वाली खेती) 24 घंटे चलती है।
- इसमें केवल LED लाइट से सलाद पत्ता और हर्ब्स उगाए जाते हैं।
- Mirai Company हर दिन 10,000 लेट्यूस उगाती है।
नीदरलैंड
- ग्रीनहाउस में रात में लाइट का उपयोग कर टमाटर, खीरे साल भर उगते हैं।
- Wageningen University इन प्रयोगों की अगुवाई करती है।
NASA
- नासा ने स्पेस मिशन के लिए 24 घंटे artificial light में फ़सल उगाने के प्रयोग किए हैं।
- Veggie Project के तहत अंतरिक्ष में लेट्यूस और गेहूं उगाए गए।
ये सभी प्रयोग मुख्यतः ग्रीनहाउस या कंट्रोल्ड सेटअप में होते हैं, न कि खुले खेतों में।
भारत में क्या हो रहा है? (What is happening in India?)
- रात में सिंचाई
राजस्थान, गुजरात जैसे इलाकों में किसान रात में सिंचाई करते हैं ताकि पानी की बर्बादी कम हो।
- ग्रीनहाउस में रोशनी
IARI और IIHR जैसे संस्थानों ने ग्रीनहाउस में कैप्सिकम, स्ट्रॉबेरी जैसी फ़सलों पर LED लाइट के प्रयोग किए हैं।
- शहरी फ़ार्मिंग
Urban Kisaan और अन्य स्टार्टअप्स LED लाइट की मदद से कंटेनर या छतों पर सब्ज़ियां उगा रहे हैं।
रात में खेती के फ़ायदे (Benefits of farming at night)
- ज्यादा उत्पादन – ज़मीन वही, पर समय दोगुना।
- मौसम से स्वतंत्रता – ऑफ सीजन में भी फ़सल मिल सकती है।
- काम करने में सुविधा – दिन की गर्मी से बचाव।
- पानी की बचत – रात में सिंचाई से 30-50% पानी की बचत।
- शहरों में खेती – घरों की छत पर LED से खेती संभव।
लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं (But there are some challenges too)
- बिजली की लागत – खेतों में रात में रोशनी चलाना महंगा है।
- गाँवों में बिजली की कमी – हर जगह 24×7 बिजली नहीं है।
- हर फ़सल पर असर नहीं – कुछ फ़सलें artificial light में नहीं बढ़तीं।
- प्राकृतिक प्रभाव – लाइट से कीट-पतंगे और पक्षी प्रभावित हो सकते हैं।
- सरकारी समर्थन नहीं – अभी तक रात की खेती के लिए कोई नीति या सब्सिडी नहीं है।
क्या रात में खेती भारत की ज़मीन की कमी को दूर कर सकती है? (Can night farming solve India’s land shortage?)
सीधा जवाब है: अकेले नहीं
रात में खेती (Farming at night), ख़ासकर फोटोपीरियड मैनिपुलेशन या कंट्रोल्ड-एनवायरनमेंट खेती के ज़रिए, कुछ ख़ास क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ा सकती है, जैसे:
- उच्च मूल्य वाली सब्ज़ियां
- शहरी क्षेत्रों की खेती
- संरक्षित खेती (ग्रीनहाउस)
- फूलों और बीजों का उत्पादन
लेकिन ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर अनाज उत्पादन के लिए यह तरीका फिलहाल कारगर और किफायती नहीं है, क्योंकि इसमें बिजली की ज़्यादा जरूरत, ढांचा (इंफ्रास्ट्रक्चर) और फ़सल की सीमाएं आड़े आती हैं।
भविष्य का रास्ता (The way of the future)
नीतिगत समर्थन
- ग्रीनहाउस में रात की रोशनी के लिए सौर ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज जैसी नवीन ऊर्जा तकनीकों को प्रोत्साहन मिले।
- कंट्रोल्ड-एनवायरनमेंट खेती को खेती की सब्सिडी और जलवायु नीति में शामिल किया जाए।
शोध की प्राथमिकताएं
- भारतीय फ़सलों पर फोटोपीरियड मैनिपुलेशन के विशेष ट्रायल किए जाएं।
- ग्रामीण भारत के लिए कम बिजली खपत वाली रोशनी तकनीक विकसित की जाए।
- कृत्रिम रोशनी के प्रभावों पर पर्यावरण और परागण से जुड़े अध्ययन किए जाएं।
कौशल और जागरूकता
- किसानों को रात में सिंचाई और ग्रीनहाउस लाइटिंग जैसे व्यावहारिक उपयोगों की जानकारी दी जाए।
- शहरों की छतों पर LED से खेती को बढ़ावा दिया जाए।
रात में खेती (Farming at night) एक नया और दिलचस्प उपाय है, लेकिन सीमित दायरे में ही कामयाब हो सकती है। यह पारंपरिक खेती की जगह नहीं ले सकती, लेकिन:
- संरक्षित खेती,
- शहरी फ़ार्मिंग,
- और मूल्यवान फ़सलों के उत्पादन में
एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
अगर शोध, नीति और स्मार्ट ऊर्जा तकनीक को सही दिशा दी जाए, तो भारत अंधेरे में भी एक नई रोशनी की खेती शुरू कर सकता है।
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