Laser Land Leveler: पानी की बचत और बेहतर उत्पादन का मित्र
खेती की बढ़ती लागत और पानी का बढ़ता संकट किसानों के लिए बड़ी चुनौती है। इस स्थिति में लेजर लैंड लेवलर(Laser Land Leveler) किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है।
खेती की बढ़ती लागत और पानी का बढ़ता संकट किसानों के लिए बड़ी चुनौती है। इस स्थिति में लेजर लैंड लेवलर(Laser Land Leveler) किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है।
भारत की खाद्य सुरक्षा में धान का विशेष महत्व है. इसी को ध्यान में रखते हुए ICAR ने कम पानी में अधिक उपज देने वाली और जलवायु के अनुकूल दो Genome-edited किस्में
सबसे पहले आम के फूलों और डंठलों पर छोटे भूरे या काले धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। अगर सही समय पर किसान इस रोग का उपचार नहीं करते हैं तो ये फूल धीरे-धीरे मुरझानें लगते हैं और सूख कर गिर जाते हैं। इस कारण फसल का उत्पादन कम हो जाता है। ये रोग ज्यादा पानी भरने, नमी और आद्र मौसम में सबसे तेजी से फैलता है, खासकर जब तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच हो।
देश की आज़ादी के बाद सरकार के सामने केवल खाद्यान्न अपूर्ति की परेशानी नहीं थी। देश में उत्पादित हो रहे
सब्जी उत्पादन में नर्सरी का विशेष योगदान होता है क्योंकि ज़्यादातार सब्जियों की बीज बुवाई सीधे खेत में नहीं होती
गेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
देश के अलग-अलग कृषि संस्थाओं ने अपने आस पास के कृषि मौसम के मिज़ाज को देखते हुए किसान मेले (Kisan
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया है कि सरकार किसानों पर 14 हजार करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।
भारत सरकार अपने बफ़र स्टॉक या सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बनाए रखने के लिए लगभग 23 फसलों के उपज को MSP पर खरीद करती है।
Agriculture Drone की खरीद के लिए महिला समूह को ड्रोन की कीमत का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपये तक की मदद दी जा रही है। योजना के तहत SC-ST, छोटे व सीमांत, महिलाओं और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को ड्रोन का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है।
कृषि विज्ञान केन्द्र (Krishi Vigyan Kendra, KVK) भारत में कृषि और कृषि से जुड़े अन्य आयामों के टेक्नोलॉजी विस्तार का एक केन्द्र है। जहां पर किसानों को खेती-किसानी की नई तकनीकों से लेकर किस्मों की ट्रेनिंग या फ़ार्म विज़िट के माध्यम से नई-नई जानकारियां दी जाती हैं।
एकीकृत कृषि प्रणाली उन स्थानों के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है जहां पर एक फसल होती है, सिंचाई की कमी और कम बारिश का क्षेत्र हो। इस पद्धति से कृषि को पशुधन के साथ जोड़ कर लाभ कमा सकते हैं। मुर्गीपालन और मछली पालन को एक ही जगह पर रखा जा सकता है ताकि साल भर रोज़गार पैदा हो सके।
ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit) दक्षिणी मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका का स्वादिष्ट फल है। इसकी खेती दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरेबियन द्वीप समूह, ऑस्ट्रेलिया में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में की जाती है।
फसल अवशेष जलाने से हमारी ज़मीन में उपलब्ध पोषक तत्वों को हानि होती है। धीरे-धीरे ज़मीन की उर्वरक शक्ति कम होती चली जाती है। साथ ही वायु प्रदूषण बढ़ने जैसी कई घटनाएं हम देख भी चुके हैं।
1964 में जवाहर लाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री ने पद भार संभाला। उनके सामने देश की आंतरिक सुरक्षा और बाहरी सुरक्षा के साथ-साथ देश की खाद्यान्न आपूर्ति की समस्या से कैसे निपटा जाए, इसकी चुनौती थी।
डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन ने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के स्थापना दिवस के अवसर पर आईसीएआर और उसके संस्थानों के प्रकाशनों के साथ-साथ वैज्ञानिकों के सहयोग से तैयार उत्पादों का लोकार्पण किया गया। जिसमें बागवानी विभाग द्धारा एवोकाडो की प्रजाति अर्का कुर्ग रवि, आम की प्रजाति पूसा दीपशिखा, भिंडी की प्रजाति काशी लालिमा, आलू की प्रजाति कुफरी फ्राईओम, मशरूम की प्रजाति DMRNBS-559 और फोम मैट विधि द्धारा तैयार सूखे पके केले के पाउडर लोकार्पण किया गया।
कृषि विज्ञान कांग्रेस का लक्ष्य दुनिया भर के प्रमुख शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, छात्रों, किसानों, उद्यमियों जैसे वर्गों को एक साथ लाना है। ताकि वो कृषि-खाद्य प्रणालियों के सभी विषयों पर अपने शोध निष्कर्षों, विचारों और अनुभवों का एक दूसरे के साथ साझा कर सकें।
भारत बागवानी फसलों और फलों के सकल उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल बागवानी उत्पादन में शीर्ष राज्य हैं।
खरीफ़ फसलों की MSP में बढ़ोतरी की गई है। सबसे ज़्यादा MSP में बढ़ोतरी मूंग की फसल में हुई है। देखिए कौन सी फसल पर बढ़ी कितनी एमएसपी।