सब्जी उत्पादन में नर्सरी का विशेष योगदान होता है क्योंकि ज़्यादातार सब्जियों की बीज बुवाई सीधे खेत में नहीं होती है बल्कि पहले नर्सरी तैयार की जाती है उसके बाद खेत में पौध रोपित किया जाता है। सब्जियों की नर्सरी (Vegetables Nursery) का पौध जितना स्वस्थ होगा, जितनी अच्छी तरीके से तैयार किया गया होगा, उतना अच्छा उत्पादन मिलने की संभावना होती है। इसीलिए वैज्ञानिक तरीके से सब्जियों की नर्सरी (Vegetables Nursery) तैयार करने का विशेष महत्व है।
सब्जियों की नर्सरी (Vegetables Nursery) बनाने की वैज्ञानिक विधि
किसी भी फसल की बुवाई का एक वैज्ञानिक तरीका होता है, अगर किसान उस विधि का पालन करता है और उस वैज्ञानिक तकनीक को अपनाते हुए खेती करता है तो फसल से अच्छा उत्पादन मिलने की संभावना बढ़ जाती है। सब्जी वाली फसलों का उत्पादन भी इस बात पर निर्भर करता है कि उस फसल की नर्सरी कितने अच्छे तरीके से तैयार की गई है और पौध कितना अच्छा तैयार होता है।
सब्जियों की खेती के लिए नर्सरी डालते समय अगर ध्यान नहीं दिया जाता हो जड़ गलन जैसी बीमारी का खतरा बड़ जाता है जिससे 70 से 80 प्रतिशत पौध नष्ट हो जाते हैं। इससे निज़ात पाने के लिए हमें वैज्ञानिक विधि से पौध तैयार करना बहुत ज़रूरी है।
नर्सरी के लिए खेत और खेत की तैयारी
सब्जियों की नर्सरी (Vegetables Nursery) के लिए अच्छे जलनिकास वाली हल्की बलुई दोमट या दोमट मिट्टी का चुनाव करना चाहिए। पीएच मान 6.5 – 7.5 के मध्य हो। खेत की एक से दो बार गहरी जुताई कर देनी चाहिए, जिससे की मिट्टी भूर-भूरी हो जाए और खेत में रहने वाले हानिकारक कीट नष्ट हो जाएं।
खेत में 2 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से गोबर की सड़ी हुई खाद या 500 ग्राम केचुएं की खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देनी चाहिए। अगर नर्सरी की मिट्टी कठोर हो तो 2-3 किलोग्राम बालू प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिट्टी में मिला देना चाहिए। इस बात का ध्यान देना चाहिए कि नर्सरी की ज़मीन में खरपतवार न हो।
नर्सरी की क्यारियों को ज़मीन से 15-30 सेमी. की ऊचाई पर 5-6 मीटर लम्बी और 1 मीटर चौड़ी बनाते हैं, जिससे कि निराई-गुड़ाई आसानी से की जा सके। साथ ही जैविक दवा जैसे- स्यूडोमोनास फ्लोरोसेन्स व एस्परजिलस नाइजर 10 से 25 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से या रासायिक दवा कैप्टान या थिरम 5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से क्यारियों की मिट्टी में डालकर अच्छी तरह से मिलाकर बीज की बुआई करनी चाहिए।
सब्जियों की नर्सरी (Vegetables Nursery) में बीज बुवाई का तरीका
नर्सरी में बीज बोने से पहले, उन्हें दवाई से उपचारित करना जरूरी है। इसके लिए:
- बॉविस्टिन – 1 किलो बीज में 2.5 ग्राम मिलाएं।
- कैप्टान या थिरम – 1 किलो बीज में 3 ग्राम मिलाएं।
बीज को अच्छी तरह मिलाने के बाद ही नर्सरी में बोना चाहिए।
किसान साथी छिटकवा विधि या कतारों में दोनों तरह से बुआई करते हैं। छिटकवा विधि से बुआई करने पर एक जगह पर कई बीज गिर जाते हैं। इससे पौध पतले और हल्के तैयार होते हैं और उत्पादन में कमी आ सकती है। इसीलिए छिटकवा विधि से बुआई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक जगह पर एक से अधिक बीज न गिरें। बीज की बुआई 1-1 सेमी. की दूरी पर करें।
सब्जियों की नर्सरी में कतारों में बीज बोना सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इसके लिए:
- क्यारी तैयार करें – क्यारी की चौड़ाई के अनुसार 5 सेमी की दूरी पर 0.5 सेमी गहरी लाइन बनाएं।
- बीज डालें – इन लाइनों में 1-1 सेमी की दूरी पर बीज बोएं।
- बीज को ढकें – कम्पोस्ट, मिट्टी और रेत (2:1:1) के मिश्रण से बीजों को हल्के से ढक दें।
- सुरक्षा के लिए ढकाव करें – क्यारी को पुआल, घास या सरपत से ढक दें, जिससे नमी बनी रहे और पौधे रोगमुक्त व मजबूत बनें।
बीज बुआई के बाद अंकुरण निकलने का समय
बीज बोने के बाद फुहारे की सहायता से हल्की सिंचाई करनी चाहिए। जब अँखुआ (बीज से निकलने वाली पहली छोटी अंकुरित पौध) निकल आए, तो सरपत, पुआल या अन्य ढकने वाली चीजों को हटा देना चाहिए।
सिंचाई करते समय ध्यान रखें कि क्यारी में पानी ज़्यादा देर तक जमा न रहे, ताकि पौधे सही तरीके से विकसित हो सकें।भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्धारा कुछ बीजों के अँखुआ निकलने का समय बताया गया है-
सब्जी का नाम | अंखुआ निकलने का समय (DAS) |
गोभीवर्गीय सब्जियाँ | 3-4 |
बैंगन | 5-6 |
टमाटर | 6-7 |
मिर्च | 7-8 |
प्याज | 7-10 |
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