Mango Blossom Blight रोग से कम हो सकता है आम का उत्पादन, ऐसे करें बचाव

सबसे पहले आम के फूलों और डंठलों पर छोटे भूरे या काले धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। अगर सही समय पर किसान इस रोग का उपचार नहीं करते हैं तो ये फूल धीरे-धीरे मुरझानें लगते हैं और सूख कर गिर जाते हैं। इस कारण फसल का उत्पादन कम हो जाता है। ये रोग ज्यादा पानी भरने, नमी और आद्र मौसम में सबसे तेजी से फैलता है, खासकर जब तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच हो।

Mango Blossom Blight

आम के पेड़ में फूल आते ही सबसे ज़्यादा खतरा होता है आम के फूल में लगने वाले रोग मैंगो ब्लॉसम ब्लाइट(Mango Blossom Blight) रोग का। इसकी वजह से आम के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। अगर किसान समय रहते इस रोग की रोकथाम कर लेता है तो शानदार उत्पादन ले सकते हैं।

Mango Blossom Blight के लक्षण

सबसे पहले आम के फूलों और डंठलों पर छोटे भूरे या काले धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। अगर सही समय पर किसान इस रोग का उपचार नहीं करते हैं तो ये फूल धीरे-धीरे मुरझानें लगते हैं और सूख कर गिर जाते हैं। इस कारण फसल का उत्पादन कम हो जाता है। ये रोग ज्यादा पानी भरने, नमी और आद्र मौसम में सबसे तेजी से फैलता है, खासकर जब तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच हो।

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कैसे करें Mango Blossom Blight से बचाव

आम के पेड़ के आस-पास या आम के बाग में वक्त से पहले साफ-सफाई करके काफी हद तक Mango Blossom Blight रोग से बचा जा सकता है। अगर बीते साल आम के बाग में इस रोग के लक्षण दिखाई दिये थे या फिर ये रोग लगा था तो किसान साथियों को रोग से ग्रसित टहनियों को काट कर अलग कर देना चाहिए, ज़मीन पर गिरे फूलों को हटा देना चाहिए।

इसके अलावा किसी भी फसल को रोग या कीट से बचाने के लिए मुख्य रूप से 4 तरीके होते हैं। सबसे पहले बात करते हैं कृषि एवं यांत्रिक प्रबंधन की। यानी, सालभर जो खेती से जुड़ी ज़रूरी क्रियाएं की जाती हैं, उन्हें सही तरीके से करना ज़रूरी है।

Mango Blossom Blight रोग से कम हो सकता है आम का उत्पादन, ऐसे करें बचाव

कृषि एवं यांत्रिक प्रबंधन

किसी भी फसल के उत्पादन के लिए फसल बुवाई से लेकर कटाई तक विभिन्न प्रकार की शस्य क्रियाएं जैसे निराई-गुड़ाई करना, पेड़ को खाद-पानी देने जैसी क्रियाएं होती हैं जिनको सही समय पर करना जरूरी होता है। आम के बागान में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश को संतुलित मात्रा देनी चाहिए। जिससे पौधों की रोगों से लड़ने की क्षमता बनी रहे। अगर किसान पेड़ों को सही अनुपात में उर्वरक नहीं देता है तो पौधे कमजोर हो जाते हैं और रोगों से लडने की क्षमता कम हो जाती है।

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Mango Blossom Blight का जैविक प्रबंधन

इस रोग को प्राकृतिक तरीके से भी नियंत्रित कर सकते हैं। इसके लिए ट्राइकोडर्मा आधारित कवकनाशी जैसे – ट्राइकोडर्मा हरज़िनम या ट्राइकोडर्मा विरीडी का इस्तेमाल किसान साथी कर सकते हैं। इसे 5 से 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर आम के पेड़ों पर छिड़काव करने से ये रोग नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, किसान 5 प्रतिशत नीम तेल का छिड़काव भी कर सकते हैं, जो इस रोग को फैलने से रोकने में मदद करता है। नीम तेल एक प्राकृतिक उपाय है, जो न सिर्फ़ इस रोग को नियंत्रित करता है, बल्कि पेड़ों को भी स्वस्थ बनाए रखता है।

Mango Blossom Blight का रासायनिक प्रबंधन

रासायनिक प्रबंधन को सबसे तेज असर करने वाला तरीका माना जाता है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि रासायनिक छिड़काव हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए इसका उपयोग सोच-समझकर और सही तरीके से करना चाहिए।

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अगर किसान रासायनिक छिड़काव करना चाहते हैं, तो कार्बेन्डाजिम 50% WP की 1 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके अलावा, मैनकोज़ेब 75% WP की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं।

कब और कैसे करें दवा का छिड़काव

दवा का छिड़काव किसान साथी स्प्रेयर मशीन की सहायता से कर सकते हैं, आम के पेड़ की लम्बाई और चौड़ाई अधिक होने पर हाई प्रेशर वाली स्प्रेयर मशीन का प्रयोग करना चाहिए। पहला छिड़काव फूल आने से पहले यानी कि बौर आने की शुरूआत में करना चाहिए। दूसरा छिड़काव 50 प्रतिशत बौर आने के बाद और तीसरा फल बनने के शुरूआती समय में छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। हां..इस बात का ध्यान रखें कि दवा का छिड़काव तेज़ हवा चलते समय न करें और कपड़ों से पूरे शरीर को ढककर, मास्क पहन कर ही दवा का छिड़काव करें।

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Mango Blossom Blight का भौतिक प्रबंधन

किसान साथी अगर आम के पेड़ लागने या उसके बाद कुछ बातों पर ध्यान दे तो इस रोग के प्रकोप से आम के पेड़ को बचाया जा सकता है. भौतिक प्रबंधन के तहत इन बातों का ध्यान रखाना बेहद जरूरी है.

  • किसान साथी ऐसे खेत में आम का पेड़ न लगाएं जहां पर जल निकास की व्यवस्था न हो, पेड़ लगाते समय ऐसे खेत का चुनाव करें जहां पर सिंचाई का पानी या बरसात का पानी बहुत दिनों तक भरा न रहता हो क्योंकि ज़्यादा पानी भरने से ये रोग तेज़ी से फैल सकता है।
  • पेड़ में फूल आते समय आम के बागान में या पेड़ में सिंचाई करने से बचें, क्योंकि बौर आते समय ज़्यादा नमी से रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
  • सबसे ज़रूरी बात कि जब किसान आम के पौधे लगाएं, तो रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही चुनाव करें। इससे आम के पेड़ मजबूत रहेंगे और रोग से बचाव हो सकेगा।

अगर किसान इन सभी उपायों जैसे जैविक, रासायनिक, कृषि, और भौतिक तरीकों को अपनाएंगे तो वो अपने आम के बागान को स्वस्थ और सुरक्षित रख सकते हैं और अच्छा उत्पादन ले सकते हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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