क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) और कैसे होता है इसका निर्धारण जानिए MSP का पूरा इतिहास

देश की आज़ादी के बाद सरकार के सामने केवल खाद्यान्न अपूर्ति की परेशानी नहीं थी। देश में उत्पादित हो रहे […]

Minimum Support Price

देश की आज़ादी के बाद सरकार के सामने केवल खाद्यान्न अपूर्ति की परेशानी नहीं थी। देश में उत्पादित हो रहे अन्न के सही मूल्य का निर्धारण कैसे किया जाए ये भी एक प्रमुख परे समस्या थी। किसानों के फसल मूल्य निर्धारण के लिए साल 1966 में CACP का गठन किया गया जो किसानों के फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि Minimum Support Price (MSP)का निर्धारित करने की सिफारिश करती है।

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क्या है Minimum Support Price (MSP)

Minimum Support Price यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के हित के लिए भारत सरकार की ओर से बनाई गई व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत सरकारी एजेंसियां निर्धारित किये गये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से फसलों की ख़रीद करती हैं। इसके निर्धारण से किसान आश्वस्त रहता है कि उनकी फसल सरकार कम से कम MSP पर खरीद लेती है।

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इन फसलों पर मिलता है Minimum Support Price (MSP)

इस कृषि लागत और मूल्य आयोग में 5 सदस्य होते हैं जो वर्तमान में 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य या MSP की सिफारिश करती है जिसमें अनाज वाली फसलों में धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा,जौ और रागी। दलहन फसलों में चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर। तिलहन वाली फसलों में मूंगफली, रेपसीड, सोयाबीन, तिल , सूररजमुखी, कुसुम और नाइजर बीज साथ ही नकदी फसलों की बात करें तो खोपरा, जूट कपास और गन्ना शामिल हैं। यह आयोग इन फसलों की बुवाई से पहले इनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण कर देती हैं।

CACP में होते हैं इतने सदस्य

कृषि लागत और मूल्य आयोग में 5 सदस्य होते हैं। एक अध्यक्ष, एक सदस्य सचिव एक आधिकारिक सदस्य, दो गैर आधिकारिक सदस्यों सहित कुल 5 सदस्य होते हैं। गैर आधिकारिक सदस्य में ऐसे सदस्य का चुनाव किया जाता है जो कृषक समुदाय से जुडा हो और किसानों का प्रतिनिधित्व करता हो। वर्तमान में CACP के अध्यक्ष डॉ. विजय पाल शर्मा, सदस्य सचिव श्री अनुपम मित्रा और आधिकारिक सदस्य डॉ. नवीन प्रकाश सिंह है गैर आधिकारिक या कहें कि किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों सदस्यों की सीट खाली है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) का इतिहास

तारीख़ थी 14 मई, साल 1957 लोकसभा में खाद्य स्थिति पर समिति की नियुक्ति पर बात चल रही थी। सभी का मानना था कि खाद्य उत्पादन में वृद्धि के बावजूद कीमतों में हो रही बढ़ोत्तरी के कारणों की जांच हो और जमाखोरी और अनुचित वृद्धि को रोका जाए।

इन्हीं सब के चलते भारत सरकार के संकल्प संख्या 158(1)/57 PYI के तहत 24 जून 1957 को अशोक मेहता की अध्यक्षता में Food Grains Enquiry Committee का गठन किया गया। इस समिति ने सरकार को कई सुझाव दिए लेकिन उससे बहुत फायदा नहीं हुआ।

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1 अगस्त 1964 को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादूर शास्त्री के सचिव एलके झा की अध्यक्षता में खाद्य और कृषि मंत्रालय की ओर से खाद्य-अनाज मूल्य समिति या कहें Food-grain Price Committee का गठन किया गया। तत्कालीन कृषि मंत्री सी सुब्रमण्यम और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का मानना था कि किसानों को उनकी उपज के बदले कम से कम इतना पैसा मिलना चाहिए कि फसल उत्पादन में उनका नुकसान ना हो।

इस समिति में एलके झा के अलावा टीपी सिंह जो की उस समय योजना आयोग सदस्य थे जिसका नाम बदल कर साल 2015 में योजना आयोग की जगह निति आयोग कर दिया गया है। बीएम आधाकर, एमएल दंतवाला ऐर एससी चौधरी भी शामिल थे। साथ ही डॉ. बीवी दूतिया जो कि उप आर्थिक और सांख्यिकीय सलाहकार, खाद्य और कृषि मंत्रालय को इस कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया था।

क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) और कैसे होता है इसका निर्धारण जानिए MSP का पूरा इतिहास

एलके झा की अध्यक्षता वाली यह समिति 24 दिसंबर 1964 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपती है और कृषि उपज के मूल्य निर्धारण के लिए कृषि मूल्य आयोग या Agricultural Prices Commission बनाने की सिफारिश करती है। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री उसी दिन 24 दिसंबर 1964 को इस कमेटी की रिपोर्ट में मुहर लगा देते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह था कि किसी भी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण कैसे तय किया जाए और इसके दायरे में कौन-कौन सी फसलों को रखा जाए यह सब तय करना अभी बाकी था।

CACP करती है Minimum Support Price (MSP) का निर्धारण

फसल और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) के निर्धारण के लिए झा कमेटी की सिफारिश पर साल 1965 में कृषि मूल्य आयोग की स्थापना की गई। जिसका आगे चलकर साल 1985 में नाम बदल कर कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी कि CACP कर दिया गया। यही लागत और मूल्य आयोग है जो हर साल ख़रीफ और रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) यानी कि फसल बुवाई से पहले फसलों के मूल्य निर्धारण की सिफारिश करती है।

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CACP की सिफारिश के बाद भारत सरकार इसे लागू करती है। भारत सरकार अपने बफर स्टॉक या सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बनाए रखने के लिए लगभग 23 फसलों के उपज को MSP पर खरीद करती है। इस आयोग ने साल 1966 में सबसे पहले धान की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) की सिफारिश की थी।

 

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