Marigold Farming: गेंदे की खेती ने बदली इस महिला किसान की क़िस्मत, पूरे साल करती हैं उत्पादन

गेंदे की खेती (Marigold Farming) कर बुलंदशहर की हेमलता बनीं प्रगतिशील किसान, सालभर फूल और मशरूम की खेती से कमा रहीं हैं अच्छी आमदनी।

Marigold Farming गेंदे की खेती

बात सजावट की हो या पूजा-पाठ की सबसे आसानी से और सबसे ज़्यादा जो फूल मिलता है वो है गेंदा। इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है और बाकी फूलों की तुलना में ये ज़्यादा समय तक ताज़ा रहता है इसलिए पूजा-पाठ में भी इसका इस्तेमाल ज़्यादा होता है। इसी गेंदे की खेती (Marigold Farming) करके बुलंदशहर की महिला किसान हेमलता अपने जिले की प्रगतिशील किसान बन गई हैं। एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हेमलता अपने गांव में गेंदे की खेती (Marigold Farming) करने वाली पहली महिला किसान हैं।

यही नहीं वह मशरूम का भी उत्पादन करती हैं और सालभर मशरूम और गेंदे की खेती (Marigold Farming) से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाली हेमलता उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं, मगर समाज और लोगों के तानों के डर से आगे नहीं बढ़ पातीं। हेमलता कैसे करती हैं पूरे साल गेंदे का उत्पादन और कैसे करती हैं पौधों की देखभाल इन तमाम मुद्दों पर उन्होंने बात की किसान ऑफ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुंदेली से।

गेंदे की खेती की 1 बीघा ज़मीन से की शुरुआत (Marigold Farming started with 1 bigha of land)

छोटी शुरुआत ही आगे जाकर बड़ी सफलता बनती है और हेमलता इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। बुलंदशहर जिले की महिला किसान हेमलता एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं, मगर वो हमेशा से कुछ अलग करना चाहती थी, तो उन्होंने 2017 में मशरूम का उत्पादन शुरू किया।

मशरूम का उत्पादन तो वो सिर्फ 4 महीने ही कर पाती थी, तो उससे जो कमाई होती वो अगले 8 महीनों में ख़र्च हो जाती थी, तो मुनाफ़ा तो कुछ हुआ नहीं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में भी उन्हें बहुत कम पैसे मिलते थे। हेमलता बताती हैं कि 2022 में एक दिन वो जिले के कृषि विज्ञान केंद्र गईं और वहां मौजूद महिला अधिकारी से पूछा की मैडम 4 महीने मशरूम की खेती करने के बाद पूरे साल तो वो खाली रहती हैं, ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए।

तो उस महिला अधिकारी ने उन्हें गेंदे की खेती (Marigold Farming) करने की सलाह दी। यही नहीं उन्होंने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण भी दिलवाया। हेमलता ने वहीं सीखा कि गेंदे की नर्सरी कैसे बनाते हैं, पौधों की देखभाल कैसे करते हैं, कौन सी खाद डालनी चाहिए आदि। फिर कृषि विज्ञान केंद्र से ही उन्हें 150 ग्राम गेंदे का बीज मिला और उन्होंने दिसंबर में नर्सरी तैयार की और पति से 1 बीघा खेत मांगकर उसी पर गेंदे की खेती (Marigold Farming) शुरू की।

गेंदे की खेती का सफल रहा एक्सपेरिमेंट (Experiment of marigold Farming was successful)

हेमलता ने पहली बार गेंदे की खेती (Marigold Farming) की और फ़सल बहुत अच्छी रही। वो बताती हैं कि 1 बीघा में खेती करने में 3500 रुपे की लागत आई और 24 हजार रुपए का मुनाफ़ा हुआ। जिसे देकखर उनके पति भी काफी खुश हुए और उन्हें हेमलता का फूलों की खेती का आइडिया पसंद आया। जिसके बाद हेमलता ने पति से 2.5 बीघा और ज़मीन लेकर गेंदे की खेती (Marigold Farming) की और जब तक ये तैयार हो रहे थे, तो उन्होंने 1.5 बीघा ज़मीन में और गेंदे लगाएं।

इससे एक खेत की फ़सल खत्म होते ही दूसरी तैयार हो गई और इससे उन्हें लगातार आमदनी होने लगी। हेमलता कहती हैं कि खेती का पैसा वो खेती में ही लगाती हैं और इसके लिए घर से पैसा नहीं ख़र्च करतीं। इसी से उनकी मशरूम की खेती के लिए भी पैसे जमा हो जाते हैं।

गांव वालों ने सुनाएं ताने (The villagers taunted him)

जब कोई महिला खासतौर पर गांव-देहात की कोई महिला लीक से हटकर कुछ करती हैं, तो उसे लोगों के ताने भी सुनने पड़ते हैं। हेमलता के साथ भी वही हुआ। वो बताती हैं कि खेती का सारा काम वो खुद ही करती हैं, क्योंकि फूल के पौधे बहुत नाज़ुक होते हैं तो उनकी ज़्यादा देखभाल करनी पड़ती है, तो जब गांव वाले उन्हें खेत में काम करते देखतें तो ताने मारते थे कि पैसे बचाने के लिए सारा काम खुद ही कर रही है, या तुम्हारे घर में कोई मर्द नहीं है क्या काम करने के लिए… मगर हेमलता इन सबकी परवाह किए बिना आगे बढ़ती रहीं।

वो कहती हैं कि अपना काम करने में कैसी शर्म। दरअसल, खेती में महिलाओं की भूमिका बहुत अहम है, मगर आज भी ज़्यादातर महिलाएं वर्कर के रूप में ही इससे जुड़ी हैं। हालांकि धीरे-धीरे ही सही अब तस्वीर बदल रही है और अब वो खेती में मुख्य भूमिका निभा रही हैं।

सफ़ेद जरबेरा की भी करती हैं खेती (White gerbera is also cultivated)

गेंदे के साथ ही हेमलता दूसरे फूल भी उगाती हैं। वो बताती हैं कि एक बार उन्होंने सफ़ेद जरबेरा की खेती की थी, जो बहुत ही अच्छी हुई और इस फूल की बहुत मांग रही। लोग उनके खेद में आकर फोटों खींच-खींचकर ले जाते थे। गांव वाले पूछते थे कि कहां से लाया ये पौधा और उनका खेत सेल्फी पॉइंट बन गया था।

मोबाइल से जुटाती हैं जानकारी (Gather information from mobile phone)

हेमलता कहती हैं कि रात को 9 बजे काम खत्म करने के बाद वो 2-3 घंटे फोन पर खेती से जुड़ी चीज़ें देखती हैं। जैसे मशरूम उत्पादन को और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है, किस महीने में कौन सा फूल लगाना चाहिए, गेंदे की कितनी वैरायटी है, फूल की उम्र कितनी है, वो कितने दिनों तक चलेगा आदि। यानी वो इंटरनेट और मोबाइल का पूरा सदुपयोग कर रही हैं। 

Marigold Farming: गेंदे की खेती ने बदली इस महिला किसान की क़िस्मत, पूरे साल करती हैं उत्पादन

गेंदे की वैरायटी (Marigold Varieties)

हेमलता गेंदे की कई वैरायटी उगाती हैं। मगर वो कहती हैं कि सबसे ज़्यादा पूसा गोल्ड की डिमांड रहती हैं, ये गर्मी का पौधा है। उन्होंने इसे कलकता से मंगावाया। इस किस्म की बाज़ार में कीमत भी अच्छी मिलती है, इसलिए ज़्यादा यही उगाती हैं। इसके अलावा उद्यान विभाग से भी गेंदे की कई किस्में लाकर उन्होंने लगाई हैं। वो कहती हैं कि जनवरी में नर्सरी तैयार करती हैं और फरवरी के आखिर में खेतों में रोपाई कर देती हैं।

पौधों की देखभाल (Plant Care)

जहां तक गेंदे के पौधों की रोपाई का सवाल है तो हेमलता कहती हैं कि पौध से पौध की दूरी 4 इंच रखी जाती है। उनका कहना है कि बहुत ज़्यादा केमिकल का इस्तेमाल नहीं करती हैं, जब पौधों में 4 पत्ते आते हैं, तो Dhanzyme gold और यूरिया डालती हैं। इसके अलावा वो 50 लीटर पानी में 1 किलो गुड़, 1 किलो चावल का माड़ और 500 ग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाकर स्प्रे बनाती हैं और इसे हर हफ्ते  स्प्रे करती हैं।

इसके साथ ही दो बार डाई लगाती हैं और उनके पास जो मशरूम का खाद रहता है उसे भी डालती हैं। मशरूम उगाने के बाद जो अपशिष्ट बचता है उसे गन्ना, धान, गेंदे और जरबेरा के पौधों में खाद की तरह इस्तेमाल किया जाता है।

गेंदे की खेती में कितना होता है उत्पादन (How much is the production in marigold Farming)

हेमलता बताती हैं कि पूसा गोल्ड किस्म का पौधा 7 महीने तक फूल देता है। एक पौधे से क़रीब 5 किलो फूल निकलता है और बाज़ार में ये 10 से 250 रुपए किलो तक बिकता है। बरसात वाले गेंदे के पौधे 45 दिनों में तैयार हो जाते हैं। वो कहती हैं कि सावन के महीने से दीवाली तक फूलों की बाज़ार में बहुत अच्छी कीमत मिलती है।

कभी खुद ट्रेनिंग लेकर फूलों की खेती शुरू करने वाली हेमलता अब दूसरों को ट्रेनिंग दे रही हैं। अगर कोई गेंदे की खेती (Marigold Farming) करने का इच्छुक है और हेमलता के पास नहीं आ सकता तो वो उन्हें ऑनलाइन प्रशिक्षण भी देती हैं। अपनी हिम्मत और मेहनत के बल पर आज वो अपने जिले की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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