नींबू की खेती से आर्थिक सशक्तिकरण की राह पर बढ़े किसान राजेश, मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना से मिली उड़ान

मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना से राजेश रंजन ने नींबू की खेती में पाई सफलता, अब कई किसानों को बन रहे हैं आत्मनिर्भरता की प्रेरणा।

नींबू की खेती lemon farming

बिहार के बेगूसराय ज़िले के किसान राजेश रंजन ने यह साबित कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग किया जाए, तो खेती भी एक लाभकारी व्यवसाय बन सकती है। उन्होंने मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना का लाभ उठाकर नींबू की खेती को अपनाया और अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं।

15 साल से कर रहे नींबू की खेती (Lemon cultivation for the last 15 years)

बेगूसराय ज़िले के नावकोठी प्रखंड स्थित वृंदावन गांव के निवासी राजेश रंजन पिछले 15 वर्षों से नींबू की खेती कर रहे हैं। हालांकि 2024 में जब उन्हें मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना की जानकारी मिली, तो उन्होंने इस योजना का लाभ उठाकर 5 एकड़ भूमि पर “कागजी नींबू” की उन्नत क़िस्म की खेती शुरू की। इस योजना के तहत उन्हें ₹3.25 लाख की आर्थिक सहायता प्राप्त हुई।

एक साल में दिखा असर, बागों में फलों की बहार (The effect was visible in one year, there was abundance of fruits in the orchards)

राजेश रंजन द्वारा लगाए गए नींबू के पौधों ने एक साल के भीतर ही फल देना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि गर्मियों के मौसम में नींबू की मांग सबसे अधिक रहती है, ऐसे में नींबू की खेती से होने वाली आमदनी काफी लाभदायक साबित होती है। उनकी सफलता से प्रेरित होकर अब कई और किसान भी नींबू की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना कैसे दे रही है किसानों को मज़बूती? (How is the Chief Minister’s Cluster Scheme giving strength to the farmers?)

मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना बिहार सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य किसानों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें उन्नत बागवानी की ओर प्रेरित करना है। बेगूसराय के ज़िला उद्यान पदाधिकारी अनिल कुमार के अनुसार, ज़िले में 50 हेक्टेयर भूमि पर नींबू की खेती की जा रही है। अकेले नावकोठी प्रखंड में ही इस योजना के तहत 25 एकड़ में नींबू उगाया जा रहा है।

इस योजना के तहत किसानों को ₹50,000 की सब्सिडी दी जाती है — ₹30,000 पहली किस्त में और शेष राशि बाद में। नींबू की खेती की खासियत यह है कि एक बार पौधा लगाने के बाद कई वर्षों तक फल और आमदनी मिलती रहती है। इसलिए मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना किसानों के लिए दीर्घकालिक लाभ का ज़रिया बन रही है।

नींबू की खेती क्यों है फ़ायदेमंद? (Why is lemon cultivation beneficial?)

नींबू एक बहुवर्षीय फलदार पौधा है जिसकी बाजार में सालभर मांग बनी रहती है। गर्मी के मौसम में इसकी मांग और भी बढ़ जाती है, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिलता है। राजेश रंजन बताते हैं कि नींबू की खेती में शुरुआत में थोड़ी मेहनत जरूर होती है, लेकिन एक बार पौधे तैयार हो जाएं तो साल दर साल बिना अधिक लागत के उत्पादन और मुनाफ़ा मिलता रहता है।

इसके अलावा, इस खेती में कीट और रोगों का प्रकोप अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे किसानों को रासायनिक दवाओं और कीटनाशकों पर खर्च नहीं करना पड़ता। यही वजह है कि छोटे और मध्यम किसान भी अब नींबू की खेती को व्यवसायिक स्तर पर अपना रहे हैं।

नींबू की खेती से आर्थिक सशक्तिकरण की राह पर बढ़े किसान राजेश, मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना से मिली उड़ान

किसानों के लिए प्रेरणा बना राजेश का मॉडल (Rajesh’s model became an inspiration for farmers)

राजेश रंजन ने सिर्फ़ अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने का ही काम नहीं किया है, बल्कि वे अब अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं। वे अपने गांव और आसपास के इलाकों के किसानों को नींबू की खेती के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वे बताते हैं कि सरकार की योजनाएं तभी सफल होती हैं जब किसान उनसे सही तरीके से जुड़ते हैं।

उनकी पहल से प्रेरित होकर अब आसपास के दर्जनों किसान नींबू की खेती शुरू करने की योजना बना रहे हैं। कृषि विभाग भी उन्हें मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है।

नींबू की खेती और सरकारी योजनाओं का मेल (Combination of lemon farming and government schemes) 

नींबू की खेती जैसी स्थायी और लाभदायक फ़सलें अगर मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना जैसी योजनाओं के साथ मिल जाएं, तो किसानों की आमदनी में कई गुना इजाफा किया जा सकता है। राजेश रंजन जैसे किसान इस बात के उदाहरण हैं कि यदि योजना की जानकारी हो, तकनीकी मार्गदर्शन मिले और थोड़ी मेहनत की जाए, तो खेती को एक सशक्त व्यवसाय में बदला जा सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

राजेश रंजन की कहानी यह बताती है कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो खेती भी आज के दौर में आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बन सकती है। नींबू की खेती ने राजेश को नई पहचान दी और मुख्यमंत्री क्लस्टर योजना ने उनके सपनों को पंख दिए। अब ज़रूरत है कि और भी किसान इस राह पर आगे बढ़ें और खेती को आत्मनिर्भरता और समृद्धि का ज़रिया बनाएं।

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