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केसर (Saffron), दुनिया का सबसे महंगा मसाला है, जो अपने कई स्वास्थ्य लाभों और कपड़ा और कॉस्मेटिक उद्योग में इस्तेमाल के लिए जाना जाता है। हालांकि, केसर की मांग इसकी उत्पादन क्षमता से ज़्यादा हो रही है, जिससे बाज़ार में एक अंतर पैदा हो गया है। इससे जुड़ी बैंगनी क्रांति ने देश भर को बड़ी उम्मीद दी है। जानिए क्या है केसर की खेती से जुड़ी ‘बैंगनी क्रांति’ और कैसे मिशन केसर से किसानों को लाभ मिल रहा है।
केसर की खेती: ‘मिशन केसर’ परियोजना
इस अंतर को पाटने के लिए, भारत में केसर उत्पादन को बढ़ाने की ज़रूरत महसूस की गई। इसके लिए वैकल्पिक रणनीतियों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। ऐसी ही एक पहल विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology, DST) के तहत एक स्वायत्त संगठन, नॉर्थईस्ट सेंटर फ़ॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (NECTAR) के नेतृत्व में ‘मिशन केसर’ परियोजना है।
पूर्वोत्तर में केसर की खेती
NECTAR ने राज्य सरकार विभागों के सहयोग से पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिज़ोरम और सिक्किम में केसर की खेती के लिए उपयुक्त जगहों की पहचान की है। इन जगहों का चयन कश्मीर के पंपोर क्षेत्र के भौगोलिक और जलवायु मापदंडों की समानता के आधार पर किया गया। ये इलाके अपने उच्च गुणवत्ता वाले केसर उत्पादन के लिए जाना जाते हैं। सही जगह चुनने के लिए भू-स्थानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया, जिसके परिणामस्वरूप इन चार राज्यों में केसर के फूलों की सफल खेती हुई।
2021-22 में पायलट खेती के दौरान, NECTAR ने चार पूर्वोत्तर राज्यों में 15 जगहों का केसर की खेती के लिए आकलन किया। मूल्यांकन में फूलों की उपज, कॉर्म जीवित रहने की दर, डॉटर कॉर्म के गुण और मिट्टी की रूपरेखा जैसे कारक शामिल थे। परिणाम के आधार पर, खेती की जगहों को तीन समूहों में बांटा गया: उच्च क्षमता, मध्यम क्षमता और कम क्षमता। उच्च क्षमता वाली साइटों पर 50% से अधिक की फूल दर के साथ-साथ संतोषजनक कॉर्म अस्तित्व दर मिला। मध्यम क्षमता वाली साइटों पर मध्यम परिणाम दिखे, जबकि कम क्षमता वाली साइटों पर फूल आने की दर कम थी।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत केसर की खेती
पायलट खेती के सकारात्मक परिणामों ने NECTAR को 2023-24 के लिए बड़े पैमाने पर परियोजना का विस्तार करने के लिए प्रेरित किया। वर्तमान में, मेनचुखा (अरुणाचल प्रदेश) और युकसोम (सिक्किम) में बड़े पैमाने पर खेती चल रही है, जिसमें हर साइट पर लगभग 10 क्विंटल केसर के पौधे लगाए जाते हैं। इसके अलावा, केसर की खेती के लिए उनकी उपयुक्तता को और ज़्यादा प्रमाणित करने के लिए मध्यम संभावित जगहों पर पायलट खेती जारी रखी जा रही है। NECTAR ने किसानों को केसर के महत्व और खेती के तरीकों के बारे में जानकारी देने के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।
NECTAR की केसर खेती परियोजना के परिणामस्वरूप, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के कुल 64 किसान अब इस परियोजना से लाभान्वित हो रहे हैं। खेती की हर जगह पर जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी के प्रकार के अनुसार खेती के चरणों को संशोधित किया गया है। सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के पहले सप्ताह के बीच केसर के पौधे बोए गए और कुछ ही समय बाद सभी खेतों में सुंदर बैंगनी फूल खिलने लगे। नवंबर के पहले सप्ताह तक 37,000 से अधिक फूल खिले और उम्मीद है कि इस मौसम में क्षेत्र से कम से कम 200 ग्राम सूखे केसर की कटाई की जाएगी।
पूर्वोत्तर में बैंगनी क्रांति (Purple Revolution)
केसर की खेती परियोजना की सफलता NECTAR और राज्य सरकार के विभागों, ग्रामीण आजीविका मिशन और बागवानी निदेशालयों सहित दूसरे भागीदारों के बीच सहयोग का नतीजा है। इसी वजह से पूर्वोत्तर में किसानों के लिए आजीविका के अवसर लाए गए हैं। साथ ही क्षेत्र से केसर के एक नए ब्रांड की स्थापना का रास्ता भी साफ़ हुआ है।
कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती है। इस सफलता के बाद अब NECTAR केसर की खेती के लिए सही जगह ढूँढने से लेकर मौसम आदि के अलावा मिट्टी के भौतिक-रासायनिक और माइक्रोबियल गुणों का आकलन करके पूर्वोत्तर में केसर की खेती का विस्तार करने की योजना बना रहा है। संगठन केसर और इसके उत्पादों से जुड़े अनुसंधान और विकास के अवसर भी तलाश रहा है।
पूर्वोत्तर में केसर की खेती परियोजना की सफलता कृषि नवाचार में भारत की बेहतर स्थिति का प्रमाण है। ‘मिशन केसर’ जैसी पहल की वजह से, देश न केवल केसर की बढ़ती मांग को पूरा कर रहा है, बल्कि क्षेत्र के किसानों को इस आकर्षक फसल से लाभ उठाने के लिए सशक्त भी बना रहा है। केसर की खेती में बैंगनी क्रांति पूर्वोत्तर राज्यों में नए अवसर और आर्थिक विकास ला रही है, साथ ही भारतीय कृषि क्षेत्र के समग्र विकास में भी योगदान दे रही है।
पूर्वोत्तर में केसर की खेती परियोजना की सफलता इस क्षेत्र में एक बड़ी “बैंगनी क्रांति” की शुरुआत है। NECTAR, अपने साझेदारों के साथ, अधिक क्षेत्रों और किसानों को केसर की खेती के अंतर्गत लाने के लिए प्रतिबद्ध है। खेती की हर जगह की मिट्टी की अनूठी विशेषताओं को समझकर, NECTAR का लक्ष्य केसर उत्पादन को अनुकूलित करना और पूर्वोत्तर से केसर का एक अलग ब्रांड स्थापित करना है।
केसर की खेती का विस्तार करने के अलावा, NECTAR केसर और इसके उत्पादों से संबंधित अनुसंधान और विकास के लिए भी अवसर तलाश रहा है। इसमें क्रोसिन, पिक्रोक्रोसिन और सेफ्रानल जैसे केसर यौगिकों के चिकित्सीय गुणों और चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल में उनके संभावित अनुप्रयोगों का अध्ययन शामिल है। NECTAR का लक्ष्य केसर की पूरी क्षमता को उजागर करना है, न केवल एक उच्च मूल्य वाले मसाले के रूप में बल्कि कई स्वास्थ्य लाभों के स्रोत के रूप में भी।
पूर्वोत्तर में केसर की खेती के लाभ
भू-स्थानिक तकनीकों का इस्तेमाल करके और राज्य सरकारों और स्थानीय संगठनों के साथ सहयोग करके, NECTAR क्षेत्र के कृषि परिदृश्य में ज़बरदस्त परिवर्तन लेकर आया है। केसर की खेती न केवल किसानों के लिए एक आकर्षक अवसर प्रदान करती है बल्कि भारतीय कृषि क्षेत्र के समग्र विकास में भी योगदान देती है।
केसर की खेती में ‘बैंगनी क्रांति’ सिर्फ़ आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है। इसके पर्यावरण और सामाजिक लाभ भी हैं। केसर की खेती के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट भी कम होता है, जो इसे पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ फसल बनाता है। इसके अलावा, परियोजना ने स्थानीय समुदायों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं और इसमें क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को ऊपर उठाने की क्षमता है।
जैसे-जैसे पूर्वोत्तर में केसर उद्योग बढ़ता जा रहा है, उम्मीद है कि ये घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाज़ारों का ध्यान आकर्षित करेगा। क्षेत्र की अनूठी जलवायु परिस्थितियां और मिट्टी की संरचना उच्च गुणवत्ता वाले केसर के उत्पादन के लिए एक आदर्श वातावरण बनाती है। उचित ब्रांडिंग और विपणन रणनीतियों के साथ, पूर्वोत्तर में खुद को एक केसर उत्पादक क्षेत्र के रूप में स्थापित करने की क्षमता है, जिससे वैश्विक मसाला बाजार में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ जाएगी।
NECTAR की भूमिका
‘बैंगनी क्रांति’ (Purple Revolution) केवल केसर की खेती के बारे में नहीं है, ये पूर्वोत्तर के कृषि परिदृश्य को बदलने, किसानों को सशक्त बनाने और स्थायी आजीविका बनाने के बारे में है। केसर की खेती में NECTAR, कृषि विकास के लिए वैकल्पिक फसलों और रणनीतियों का पता लगाने के लिए, भारत के दूसरे क्षेत्रों के लिए एक मॉडल के रूप में काम करता है। इस परियोजना की सफलता पारंपरिक कृषि पद्धतियों में क्रांति लाने और आर्थिक विकास के नए रास्ते खोलने के लिए मददगार साबित होगी।
जैसे-जैसे ‘बैंगनी क्रांति’ गति पकड़ रही है, ये उम्मीद की जा रही है कि पूर्वोत्तर में अधिक किसान केसर की खेती को एक विकल्प के रूप में अपनाएंगे। इससे न केवल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोज़गार और कौशल विकास के अवसर भी मिलेंगे। इसके अलावा, केसर की खेती मौजूदा भूमि के उपयोग को बढ़ावा देने और देशी वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करके जैव विविधता संरक्षण में योगदान दे सकती है।
सरकार और हितधारकों को पूर्वोत्तर में केसर की खेती की सफलता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ‘मिशन केसर’ जैसी पहल का समर्थन जारी रखने की ज़रूरत है। इसमें किसानों को तकनीकी सहायता देना, सतही जानकारियों तक उनकी पहुंच बनाना और बाज़ार से संपर्क स्थापित करना शामिल है।
कुल मिलाकर, केसर की खेती को अपनाकर और वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके, भारत खुद को केसर उत्पादन (Saffron Production) में वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित कर सकता है, साथ ही किसानों को लाभ पहुंचा सकता है और कृषि क्षेत्र के समग्र विकास को भी लाभ पहुंचा सकता है।
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