पिनाकी परीमिता ने कैसे Value-Added Fish Products से अपने स्वरोज़गार को आगे बढ़ाया?

Fishlikes एक ऐसा ब्रांड है, जिसे ओडिशा की ग्रामीण महिलाओं ने अपने हौसले और हुनर से खड़ा किया। झींगा अचार और मछली चिप्स जैसे उत्पादों के ज़रिए अब ये ब्रांड समंदर के स्वाद को हाइजीनिक पैकिंग में शहरों और दूसरे राज्यों तक पहुंचा रहा है।

Value-added Fish Products

कहानी शुरू होती है ओडिशा के अस्तरंगा ब्लॉक के कनमना गांव की। उस साधारण-सी महिला से, जिसने समंदर की लहरों के बीच अपनी किस्मत गढ़नी शुरू की- नाम पिनाकी परीमिता। कभी जो सिर्फ़ मशरूम, केकड़ा और झींगा पालन में लगी थीं, आज वो Fishlikes नाम की एक मछली उत्पाद कंपनी की मुखिया बन चुकी हैं और दर्जनों ग्रामीण महिलाओं की प्रेरणा हैं। उन्होंने Value-added Fish Products यानी मछली से बने प्रोसेस्ड और इनोवेटिव उत्पादों के जरिए न केवल स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग किया, बल्कि गांव की कई महिलाओं को रोज़गार भी दिया।

Lockdown में जन्मा एक Women-Led Agri Startup

पिनाकी को वो दिन आज भी याद हैं, जब लॉकडाउन के कारण सब कुछ ठप था। काम-धंधा बंद था और गांव के लोग निराश थे। ऐसे मुश्किल वक्त में पिनाकी ने सोचा, क्यों न गांव के पास के समुद्र से मिलने वाली झींगा मछलियों का सही उपयोग किया जाए? हालांकि, न उनके पास अनुभव था, न टीम को मार्केटिंग की समझ, और सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि शुरुआत आखिर कहां से की जाए।

ICAR-CIWA से ली ट्रेनिंग

ICAR-CIWA, भुवनेश्वर से पिनाकी और उनकी 12 महिला साथियों को स्किल ट्रेनिंग और एंटरप्रेन्योरशिप मैनेजमेंट की ट्रेनिंग मिली। इस ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने सीखा कि Value-added Fish Products कैसे बनाए जाते हैं- जैसे सूखी मछली, मसालेदार झींगा, मछली अचार आदि, जो बाजार में अच्छी मांग रखते हैं।

“हमें पता ही नहीं था कि बिज़नेस कैसे चलता है। ICAR-CIWA से सीखा कि कैसे प्रोडक्ट बनाना है, कैसे पैक करना है, कैसे लाइसेंस लेना है। वही हमारी असली शुरुआत थी।” 

Fishlikes: लाइसेंस ने खोले मार्केट के दरवाज़े

जब पिनाकी परीमिता और उनके साथियों ने तय किया कि वो सिर्फ़ मशरूम, केकड़ा या झींगा पालकर नहीं बैठेंगे, बल्कि उनसे बने Value-added Fish Products- जैसे झींगा अचार, मछली चिप्स जैसी चीजें बनाकर बेचेंगे, तब उनके सामने सबसे पहली चुनौती थी कानूनी पहचान।

“हमें समझ ही नहीं आता था कि बिज़नेस शुरू करने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है। ICAR-CIWA की मदद से हमें FSSAI लाइसेंस और ट्रेड लाइसेंस दिलवाया गया। तभी जाकर हम ‘Fishlikes’ नाम से बाज़ार में उतर सके।”

दो लोकल दुकानों से शुरू किया सफ़र

‘Fishlikes’ नाम सिर्फ़ एक ब्रांड नहीं, उन महिलाओं का सपना है जो कभी रसोई तक सीमित थीं, लेकिन अब अपनी मेहनत को पैक कर, ब्रांड बनाकर बाज़ार में उतार रही हैं।

शुरुआत में उन्होंने सिर्फ़ दो लोकल दुकानों में अपने प्रोडक्ट रखे। पिनाकी हंसकर याद करती हैं-

“पहले दिन दुकान में अपना अचार, चिप्स रखा था तो मन में डर था पता नहीं बिकेगा या नहीं।  लेकिन पहले हफ़्ते में ही स्टॉक खत्म हो गया।”

Fishlikes का 4 महीने में 2 से 12 दुकानों तक का सफ़र

महिलाओं के हौसले को जैसे पंख लग गए। चार महीने के भीतर, उनके Value-added Fish Products जैसे मछली का अचार और झींगा चिप्स 12 दुकानों में बिकने लगे। ग्राहक पूछने लगे, “कहां से आता है ये मछली का अचार?” फिर उनकी पहचान सिर्फ़ गांव या ब्लॉक तक सीमित नहीं रही।

“डिमांड इतनी बढ़ी कि हमने पश्चिम बंगाल तक प्रोडक्ट भेजना शुरू किया। हम सोचते थे कि गांव से बाहर कौन हमारा सामान लेगा, लेकिन आज हमारे प्रोडक्ट्स दूसरे राज्यों में पहुंच रहे हैं।”

ऑनलाइन मार्केटिंग शुरू की

यहां तक कि जब कोविड-19 महामारी ने बाज़ारों को ठप कर दिया, तब भी पिनाकी और उनकी टीम रुकी नहीं। उन्होंने अपने Value-added Fish Products को लेकर ऑनलाइन मार्केटिंग शुरू की और सोशल मीडिया, वॉट्सऐप के ज़रिए ग्राहकों तक पहुंचना शुरू किया।

“हमें मार्केटिंग नहीं आती थी, लेकिन जब सामने चुनौतियां आईं, तब हमने सीखा और यही असली ताकत बन गई।”

आज ‘Fishlikes’ का हर पैकेट सिर्फ़ प्रोडक्ट नहीं, एक कहानी है। गांव की उन महिलाओं की, जिन्होंने समंदर किनारे अपनी मेहनत और सीखने की लगन से अपने परिवारों, अपने गांव और खुद की तकदीर बदल डाली। 

kisan of india facebook

महिलाओं की टीम: सिर्फ़ मेहनत नहीं, अब मास्टर ट्रेनर भी

पिनाकी आज सिर्फ़ खुद की नहीं, पूरे ग्रुप की लीडर हैं। वो बताती हैं-

“हम अब दूसरी गांव की महिलाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं। कैसे वैल्यू एडेड फिश प्रोडक्ट तैयार करना है। अब हम सिर्फ़ बनाने वाले नहीं, सिखाने वाले भी बन गए हैं।”

कमाई और बाज़ार की चुनौतियां

ग्रुप को झींगा अचार से हर किलो पर ₹130-150 का मुनाफ़ा हो रहा है। पिनाकी बताती हैं-

“मार्केटिंग सबसे बड़ी दिक्कत थी। लोकल मार्केट में ज़्यादा बिकता नहीं, बाहर भेजो तो लागत बढ़ती है। लेकिन ऑनलाइन मार्केटिंग में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया है।”

सोलर ड्रायर और हाइजीनिक पैकेजिंग की ताकत

ICAR-CIWA ने उन्हें सोलर कैबिनेट ड्रायर, पैकिंग मशीन और ज़रूरी उपकरण दिए, जिससे वो प्रोडक्ट्स को साफ़-सुथरे तरीके से बना और पैक कर सकें।

“हाइजीन का नाम सुनते ही ग्राहक खुश हो जाते हैं। ओडिशा में इस तरह की पैकिंग आम नहीं, इसलिए हमारा प्रोडक्ट अलग दिखता है।”

गांव में बदलाव का असर

इस उद्यम ने कनमना गांव की महिलाओं को न केवल रोज़गार दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी दिया। Value-added Fish Products बनाकर न सिर्फ़ उन्होंने आमदनी बढ़ाई, बल्कि यह साबित कर दिया कि ग्रामीण महिलाएं भी सफल बिज़नेस चला सकती हैं।

“पहले लोग कहते थे- अरे, गांव की औरतें क्या बिज़नेस करेंगी। अब वही लोग कहते हैं- अरे, इनसे सीखो।”

kisan of india instagram

दूसरी महिलाओं के लिए पिनाकी की बातें

  • मार्केटिंग की दिक्कत आएगी, लेकिन हार मत मानो।
  • सरकारी संस्थाओं से मदद लो, पूछो और सीखो।
  • हमारे जैसे लोगों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, ICAR-CIWA जैसी जगहें हैं, उनसे जुड़ो।
  • अगर एक बार सीखा कि बिज़नेस कैसे चलता है, तो गांव की औरतें किसी से कम नहीं।

पिनाकी परीमिता का संदेश

“हमने जब शुरू किया, तो हमें कुछ नहीं आता था। लेकिन हमने ठान लिया था सीखेंगे और आगे बढ़ेंगे। और आज, हम सिर्फ़ अपने लिए नहीं, दूसरी महिलाओं के लिए भी उम्मीद की किरण हैं।”

पिनाकी परीमिता की कहानी दिखाती है कि अगर आप सीखना चाहते हैं, अगर आप में बदलाव की भूख है, तो संसाधनों की कमी आपको रोक नहीं सकती। सरकारी संस्थाओं की मदद, खुद की मेहनत, और टीम की ताकत से वो वहां पहुंची हैं, जहां से अब औरतों की एक नई पीढ़ी आगे बढ़ रही है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top