मधुमक्खी पालन से मुकेश पाठक को मिली नई पहचान, बनाया शुद्ध शहद का ब्रांड ‘Faba Honey’

मधुमक्खी पालन ने मुकेश पाठक को बना दिया ब्रांड फेस, जानिए उनकी Faba Honey कहानी और कैसे शुद्ध शहद की शुरुआत हुई।

मधुमक्खी पालन beekeeping

आज हम जिस किसान की कहानी साझा कर रहे हैं, उन्होंने मधुमक्खी पालन को केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि एक आंदोलन बना दिया है। ये हैं उत्तर भारत के मुकेश पाठक, जो मधुमक्खी पालन के माध्यम से न केवल शुद्ध शहद का उत्पादन कर रहे हैं, बल्कि इस क्षेत्र में एक नई मिसाल भी कायम कर चुके हैं।

मुकेश पाठक कहते हैं, “शुरुआत में किसी को भी नया काम करते हुए झिझक होती है। लेकिन मुझे मधुमक्खी पालन की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की ‘स्वीट क्रांति’ वाली बात से मिली। उन्होंने किसानों से कहा था कि खेती के साथ 10–20 मधुमक्खी के बक्से रखें और अपने घर में शुद्ध शहद का उपयोग करें।”

जमीन की नहीं, ज़रूरत थी सोच की (We needed ideas, not land)

कई लोग सोचते हैं कि खेती या बागवानी के लिए जमीन होना ज़रूरी है। लेकिन मुकेश पाठक ने साबित किया कि बिना ज़मीन के भी कृषि क्षेत्र में नाम कमाया जा सकता है। मधुमक्खी पालन ऐसा क्षेत्र है, जिसमें बहुत बड़ी जमीन की जरूरत नहीं होती। इसके लिए ज़रूरत होती है – जानकारी, समर्पण और मेहनत की।

उन्होंने 2016 में यूट्यूब, गूगल और किसानों से सीखकर इस क्षेत्र में कदम रखा। शुरुआती वर्षों में कुछ कठिनाइयां भी आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मधुमक्खी पालन की बारीकियां सीखी।

शहद का व्यापार और चुनौतियां (Honey trade and challenges)

जब शहद का उत्पादन अच्छा होने लगा, तो मुकेश पाठक को समझ आया कि असली चुनौती उत्पादन नहीं, बल्कि विपणन यानी मार्केटिंग है। “शुद्ध शहद बिक नहीं रहा था, लेकिन सिरप मिला नकली शहद आसानी से बिक रहा था,” वे कहते हैं।

यहीं से उन्होंने तय किया कि वे शुद्ध शहद को आम लोगों तक पहुंचाएंगे, बिना किसी आलोचना के। “मैं किसी और के शहद को बुरा नहीं कहूंगा, बस अपना शुद्ध शहद लोगों तक पहुंचाऊंगा और निर्णय उन पर छोड़ दूंगा।”

मधुमक्खी पालन के फ़ायदे (Benefits of Beekeeping)

मधुमक्खी पालन न केवल शहद का उत्पादन करता है, बल्कि यह पर्यावरण संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह परागण (pollination) की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है, जिससे अन्य फ़सलों की उपज भी बेहतर होती है। यही कारण है कि आज मधुमक्खी पालन को ‘स्वीट क्रांति’ का हिस्सा माना जाता है।

मुकेश पाठक ने इस क्षेत्र को गंभीरता से लिया और खुद का ब्रांड ‘Faba Honey’ खड़ा किया, जो शुद्धता और गुणवत्ता का प्रतीक बन गया है।

15 से अधिक प्रकार का शुद्ध शहद (More than 15 types of Pure Honey)

बहुत से लोग यह नहीं जानते कि शहद एक जैसा नहीं होता। मुकेश पाठक बताते हैं कि अलग-अलग फूलों से मिलने वाले अमृत से बने शहद का स्वाद, रंग और सुगंध अलग होती है। इसे ‘फ्लोरा आधारित शहद’ कहा जाता है।

कुछ प्रमुख शहद के प्रकार इस प्रकार हैं:

  • अजवाइन फ्लोरा शहद
  • जामुन फ्लोरा शहद
  • यूकेलिप्टिस फ्लोरा शहद
  • बेरी और बबूल फ्लोरा शहद
  • मल्टी-फ्लोरा शहद (जंगल क्षेत्र से)

हर क्षेत्र का फ्लोरा अलग होता है और उसी के अनुसार शहद का स्वाद और गुण भी। इस जानकारी के जरिए उपभोक्ता शहद की शुद्धता की पहचान कर सकते हैं।

Faba Honey की खासियत (Features of Faba Honey)

मुकेश पाठक के नेतृत्व में ‘Faba Honey’ एक ऐसा ब्रांड बन गया है जो मिलावटी शहद के खिलाफ एक आंदोलन की तरह खड़ा है। उनकी टीम सिर्फ़ 15 लोगों की है, लेकिन हर सदस्य समर्पित है।

डिजिटल युग में मधुमक्खी पालन (Beekeeping in the Digital Age)

सोशल मीडिया और WhatsApp का इस्तेमाल कर के मुकेश पाठक ने शहद बेचने का नया तरीका अपनाया है। ग्राहक उनसे संपर्क करते हैं, और वे पूरे भारत में शुद्ध शहद कूरियर से भेजते हैं। “हम टनों में नहीं, भरोसे में शहद बेचते हैं,” वे मुस्कुराते हुए कहते हैं।

उनका मानना है कि असली शहद सिर्फ़ मधुमक्खी बना सकती है, और उनकी भी अपनी सीमा होती है। इसलिए साल दर साल बक्सों की संख्या बढ़ाई जाती है और उसी अनुसार ग्राहकों की संख्या भी।

युवा किसानों को सलाह (Advice to young farmers)

जो युवा मधुमक्खी पालन में करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए मुकेश पाठक की सलाह है:

  • शुरुआत में किसी अनुभवी मधुमक्खी पालक से जुड़ें।
  • 15–20 बक्सों से शुरुआत करें।
  • पहले शहद उत्पादन सीखें, फिर मार्केटिंग पर फोकस करें।
  • शुद्धता से कभी समझौता न करें।

सामाजिक पहल और आगे का लक्ष्य (Social initiatives and future goals)

मुकेश पाठक ने ‘मधुमक्खी पालक कल्याण समाज’ भी बनाया है, जो अन्य पालकों को तकनीकी सहायता और जागरूकता देता है। वे चाहते हैं कि FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण) शहद पर सख्त नियम बनाए, जिसमें शहद की वनस्पति पहचान अनिवार्य हो। उनका मानना है कि इससे मिलावट बंद होगी और उपभोक्ताओं को शुद्ध उत्पाद मिलेगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

मुकेश पाठक की यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो मधुमक्खी पालन से जुड़ना चाहता है। उन्होंने दिखाया है कि अगर लगन, तकनीक और सही दिशा हो, तो मधुमक्खी पालन एक सशक्त और सम्मानजनक पेशा बन सकता है।

आज ‘Faba Honey’ एक भरोसेमंद नाम बन चुका है और मुकेश पाठक मधुमक्खी पालन को आत्मनिर्भर भारत का मजबूत आधार बना रहे हैं।

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