Ear Tagging In Livestock: अब न कोई पशु खोएगा, न बीमारी छुपेगी क्योंकि हर मवेशी को मिलेगी यूनिक आईडी

ईयर टैगिंग (Ear Tagging In Livestock ) नाम की ये टेक्नोलॉजी पशुओं को एक ख़ास पहचान दे रही है, जिससे उनका हर रिकॉर्ड डिजिटल हो रहा है। ये ठीक वैसा ही है, जैसे इंसानों के लिए आधार कार्ड। तो आइए, जानते हैं कि ये टैग कैसे काम करता है और किस तरह ये पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

Ear Tagging In Livestock: अब न कोई पशु खोएगा, न बीमारी छुपेगी क्योंकि हर मवेशी को मिलेगी यूनिक आईडी

भारत में पशुपालन (Ear Tagging In Livestock ) सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की आजीविका और भावनाओं से जुड़ा हुआ है। गांवों में गाय, भैंस, बकरी या भेड़ के बिना किसान की अर्थव्यवस्था अधूरी है। लेकिन क्या हो जब कोई पशु बीमार पड़ जाए, खो जाए या चोरी हो जाए? पशुपालकों के लिए ये सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि एक भावनात्मक आघात भी होता है।

लेकिन अब तकनीक ने इस समस्या का हल निकाल लिया है। Ear Tagging नाम की ये टेक्नोलॉजी पशुओं को एक ख़ास पहचान दे रही है, जिससे उनका हर रिकॉर्ड डिजिटल हो रहा है। ये ठीक वैसा ही है, जैसे इंसानों के लिए आधार कार्ड। तो आइए, जानते हैं कि ये टैग कैसे काम करता है और किस तरह ये पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

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क्या है ईयर टैगिंग? (What Is Ear Tagging?)

 12 अंकों की खास पहचान ये जो पशु का पूरा इतिहास बताएगी। ईयर टैगिंग (Ear Tagging In Livestock) एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पशु के कान में एक छोटा सा प्लास्टिक या मेटल का टैग लगाया जाता है। इस टैग पर 12 अंकों का एक यूनिक नंबर लिखा होता है, जो उस पशु की विशेष पहचान होती है। ये नंबर सरकार की ओर जारी किया जाता है और इससे जुड़ी सभी जानकारी एक डिजिटल डेटाबेस में सेव होती है।

इस टैग में क्या-क्या जानकारी होती है? (What Information Does This Tag Contain?)

  • पशु की नस्ल और उम्र
  • मालिक का नाम और पता
  • टीकाकरण का रिकॉर्ड
  • बीमारियों का इतिहास
  • सरकारी योजनाओं का लाभ

यानी, अगर कोई पशु बीमार पड़ता है, तो डॉक्टर इस टैग को स्कैन करके तुरंत उसका पूरा मेडिकल रिकॉर्ड देख सकते हैं।

30 करोड़ पशुओं को मिल चुका है ये टैग (30 Crore Animals Have Received This Tag)

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक देशभर में 30 करोड़ से अधिक पशुओं को यह टैग लगाया जा चुका है।  

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टैग के बिना नहीं मिलेगा बीमा या योजनाओं का लाभ (Without The Tag You Will Not Get The Benefits Of Insurance Or Schemes)

सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी पशु के पास यह टैग नहीं है, तो उसे बीमा क्लेम, सब्सिडी या अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। इसलिए अब पशुपालकों को अपने पशुओं का टैगिंग कराना अनिवार्य हो गया है।

 

ईयर टैगिंग के फायदे: पशुपालकों के लिए क्यों है ज़रूरी? (Benefits of Ear Tagging: Why Is It Important For Livestock Farmers?)

1. पशु चोरी और खोने की समस्या पर रोक

कितनी बार ऐसा हुआ है कि कोई पशु खो जाता है या चोरी हो जाता है और उसे ढूंढना मुश्किल हो जाता है? लेकिन अब इस टैग की मदद से पशु की लोकेशन और मालिक की जानकारी तुरंत मिल जाएगी।

2. बीमारियों का सही इलाज

अगर पशु बीमार पड़ता है, तो डॉक्टर टैग देखकर उसका पूरा मेडिकल हिस्ट्री जान सकते हैं। कौन सा टीका लगा है, कौन सी दवा देनी है – सबकुछ डिजिटल रिकॉर्ड में मौजूद होगा।

3. सरकारी योजनाओं का सीधा फायदा

कई बार पशुपालकों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता क्योंकि उनके पशुओं का कोई रिकॉर्ड नहीं होता। लेकिन अब टैग के जरिए सीधे बैंक खाते में सब्सिडी और बीमा राशि मिलेगी।

4. पशुधन का सही डेटा और योजना बनाने में मदद

सरकार को अब पता चलेगा कि देश में कितने पशु हैं, किस नस्ल के हैं और कहां स्वास्थ्य सुविधाओं की ज़रूरत है। इससे बेहतर पशु चिकित्सा और पोषण योजनाएं बनाई जा सकेंगी।

Ear Tagging In Livestock: अब न कोई पशु खोएगा, न बीमारी छुपेगी क्योंकि हर मवेशी को मिलेगी यूनिक आईडी

कैसे कराएं अपने पशु की ईयर टैगिंग? (How To Get Ear Tagging Done For Your Animal?)

पशुपालन विभाग या पंचायत से संपर्क करें : टैगिंग की प्रक्रिया सरकारी अधिकारियों द्वारा की जाती है।

पशु की जानकारी दर्ज कराएं : नस्ल, उम्र, मालिक का विवरण वगैरह।

कान में लगाया जाएगा टैग : ये प्रक्रिया दर्द रहित और सुरक्षित है।

डिजिटल डेटाबेस में अपडेट होगा रिकॉर्ड : अब आपके पशु का सारा डेटा ऑनलाइन उपलब्ध होगा।

डिजिटल इंडिया की ओर एक और कदम (One More Step Towards Digital India)

Ear Tagging न सिर्फ पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है, बल्कि पशुपालकों को भी एक नई पहचान दे रही है। अब कोई पशु बेघर नहीं होगा, कोई इलाज अधूरा नहीं रहेगा और न ही कोई योजना का लाभ छूटेगा। यह तकनीक Digital India की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।

 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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