Setup Of Biogas Plant: पशुधन के गोबर से बायोगैस प्लांट, खाना पकाने से लेकर बिजली उत्पादन तक में उपयोग

पशुधन के गोबर से बायोगैस प्लांट अब गांवों में रसोई गैस से लेकर बिजली उत्पादन तक का समाधान बन रहे हैं। जानिए इस टिकाऊ तकनीक के फायदे, उपयोग और ग्रामीण विकास में इसकी भूमिका।

गोबर से बायोगैस प्लांट dung biogas plant (3)

भारत के गांवों में एक नई और सशक्त क्रांति चल रही है “गोबर से ऊर्जा” यानी Dung to Energy। जिस गोबर को अब तक बेकार समझा जाता था, वही आज ग्रामीण भारत के लिए ऊर्जा का नया स्रोत बन चुका है। ये सिर्फ़ तकनीकी नवाचार नहीं है, बल्कि परंपरा में रचा-बसा एक सतत जलवायु समाधान है, जो स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

गोबर: कचरा नहीं, एक कीमती संसाधन (Dung = Resource, Not Waste)

गाय, भैंस जैसे पालतू पशुओं का गोबर वर्षों से भारत के गांवों में खाद और कच्चे ईंधन के रूप में उपयोग होता रहा है। लेकिन अब इसी गोबर से बायोगैस प्लांट लगाए जा रहे हैं, जिनसे गैस बनती है, जो खाना पकाने से लेकर बिजली उत्पादन तक में उपयोग हो रही है। इसका मतलब ये है कि अब गांवों की महिलाएं लकड़ी या कोयले पर खाना नहीं पकातीं बल्कि बायोगैस से खाना बनता है, और धुएं से भी राहत मिलती है।

बायोगैस प्लांट कैसे करता है काम? (Biogas Plant: How It Works)

बायोगैस प्लांट में गोबर और पानी को एक साथ मिलाकर टैंक में डाला जाता है। इस मिश्रण में प्राकृतिक रूप से गैस बनती है, जिसमें मुख्य रूप से मीथेन होती है। ये गैस पाइप के ज़रिए रसोई तक पहुंचाई जाती है। बचा हुआ तरल पदार्थ खेतों के लिए जैविक खाद का काम करता है। इस प्रकार एक छोटा सा प्लांट तीन फ़ायदे देता है:

  • रसोई गैस का विकल्प
  • जैविक खाद
  • पर्यावरण की रक्षा
  • पर्यावरण के लिए वरदान

इस तकनीक से ग्रीनहाउस गैसों (GHG) के उत्सर्जन में कमी आती है। जब लकड़ी या कोयला जलाया जाता है, तो कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें निकलती हैं। वहीं बायोगैस एक साफ़-सुथरा ईंधन है, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता। इसके साथ ही, जंगलों की कटाई पर भी रोक लगती है क्योंकि अब ईंधन के लिए पेड़ नहीं काटने पड़ते।

क्या-क्या काम कर सकते हैं बायोगैस प्लांट से? (Uses of a Biogas Plant)

“गोबर से ऊर्जा” न सिर्फ़ स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत करता है। इससे रोज़गार के नए अवसर पैदा होते हैं। कोई बायोगैस प्लांट चलाता है, कोई खाद बनाता है और कोई गैस की सप्लाई करता है। महिलाओं को खाना पकाने के लिए धुएं से छुटकारा मिलता है और समय की भी बचत होती है। बच्चे पढ़ाई पर ध्यान दे सकते हैं क्योंकि अब घरों में बिजली और रौशनी है।

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सरकार और स्थानीय प्रयास (Government and Local Efforts)

भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन ग्रामीण इलाकों में बायोगैस प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी और तकनीकी मदद दे रही हैं। स्वच्छ भारत अभियान, गोबर्धन योजना और नेशनल बायो-एनर्जी मिशन जैसी योजनाएं इस क्रांति को और गति दे रही हैं।

बायोगैस प्लांट की कार्यप्रणाली का तरीका (How a Biogas Plant Operates?)

1. कच्चा माल एकत्र करना (Raw Material Collection)

  • मुख्य रूप से गाय, भैंस या अन्य पशुओं का गोबर लिया जाता है।

  • कभी-कभी इसमें रसोई का जैविक कचरा, फसल के अवशेष और ग्रीन वेस्ट भी मिलाया जाता है।

2. स्लरी बनाना (Slurry Preparation)

  • गोबर को पानी के साथ मिलाकर एक स्लरी (slurry) तैयार की जाती है।

  • यह स्लरी एक विशेष टंकी (input chamber या mixing tank) में डाली जाती है।

3. डाइजेस्टर में विघटन (Decomposition in Digester)

  • स्लरी को एक बड़े डाइजेस्टर टैंक में भेजा जाता है।

  • यह टैंक हवा से पूरी तरह बंद रहता है, जिससे अंदर ऐनारोबिक बैक्टीरिया (बिना ऑक्सीजन वाले बैक्टीरिया) स्लरी को धीरे-धीरे तोड़ते हैं।

  • इस प्रक्रिया में लगभग 30-40 दिन लगते हैं और इसमें मुख्य रूप से मीथेन गैस बनती है।

4. बायोगैस का संग्रहण (Biogas Storage)

  • बनने वाली गैस एक गैस होल्डर या गैस टैंक में इकट्ठा होती है।

  • यही गैस खाना पकाने, लाइटिंग, जनरेटर से बिजली उत्पादन आदि कार्यों में उपयोग की जाती है।

5. स्लरी का निकास- जैविक खाद (Slurry as Organic Manure)

  • गैस बनने के बाद जो बचा हुआ स्लरी निकलता है, वह बहुत ही पोषक जैविक खाद होती है।

  • इसे खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

बायोगैस प्लांट के मुख्य भाग (Key Components of Biogas Plant)

  1. इनलेट चैंबर (गोबर और पानी डालने के लिए)

  2. डाइजेस्टर टैंक (जहाँ गैस बनती है)

  3. गैस होल्डर (गैस संग्रह के लिए)

  4. आउटलेट टैंक (खाद निकलने के लिए)

  5. पाइप लाइन (गैस पहुँचाने के लिए)

बायोगैस सप्लाई इन बातों पर निर्भर करती है (Factors Affecting Biogas Supply)

  • गोबर की मात्रा (कितने पशु हैं?)

  • प्लांट का आकार (1 घनमीटर, 2 घनमीटर आदि)

  • गोबर की गुणवत्ता और ताज़गी

  • प्लांट की देखरेख और तापमान (ठंडी या गर्म जगह)

उदाहरण के साथ समझें:

1 गाय या भैंस का ताज़ा गोबर

  • औसतन एक गाय रोज़ 10-15 किलो गोबर देती है।

  • इससे लगभग 0.4 – 0.6 घनमीटर बायोगैस बनता है।

2 पशु (गाय/भैंस) का गोबर

  • 25-30 किलो गोबर से लगभग 1 घनमीटर बायोगैस तैयार होता है।

  • यह 3-4 लोगों के परिवार के लिए रोज़ाना खाना पकाने के लिए पर्याप्त है।

बायोगैस प्लांट में ध्यान देने योग्य बात (Biogas Plant Precautions)

  • सर्दियों में उत्पादन थोड़ा कम हो सकता है।

  • ताज़ा गोबर और नियमित सफ़ाई से गैस सप्लाई अच्छी बनी रहती है।

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मध्य प्रदेश से बायोगैस प्लांट से जुड़ी किसान की सफ़लता की कहानी (Biogas Plant Success Story from Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश के बैतूल ज़िले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले किसान जयराम गायकवाड़ आज ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग का प्रेरणादायक उदाहरण बन चुके हैं। उन्होंने अपने फार्म पर गाय और भैंस के गोबर से बायोगैस तैयार करने की पहल की है।

जयराम जी के फार्म पर एक घरेलू बायोगैस प्लांट लगाया गया है, जो प्रतिदिन उनके पशुओं से प्राप्त गोबर का उपयोग कर गैस उत्पन्न करता है। इस गैस का इस्तेमाल वे रसोई में खाना पकाने के लिए करते हैं, जिससे लकड़ी या कोयले जैसे पारंपरिक और प्रदूषणकारी ईंधनों पर निर्भरता समाप्त हो गई है।

कैसे काम करता है उनका बायोगैस प्लांट? (How Does His Biogas Plant Work?)

जयराम अपने फार्म पर प्रतिदिन गोबर इकट्ठा करते हैं और उसे पानी के साथ मिलाकर एक स्लरी तैयार करते हैं। यह मिश्रण प्लांट के इनलेट चैंबर में डाला जाता है, जहां यह धीरे-धीरे विघटित होता है और मीथेन गैस बनती है। यह गैस फिर पाइप के ज़रिए सीधे उनके घर के चूल्हे तक पहुँचती है।

पशुधन के गोबर से बायोगैस प्लांट ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा के एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में उपयोग किए जा रहे हैं। बायोगैस प्लांट के उपयोग से पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है और पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम होती है। ग्रामीण समुदायों में स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की तकनीकों पर ध्यान दिया जा रहा है।

बायोगैस प्लांट से मिल रहे फ़ायदे (Benefits of the Biogas Plant)

रसोई गैस की बचत: बायोगैस का इस्तेमाल वो खाना बनाने में करते हैं।

जैविक खाद का निर्माण: गैस बनने के बाद बची हुई स्लरी को वे अपने खेतों में जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इससे उनकी मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है।

कृषि उपकरण बायोगैस ईंधन से संचालित: कई तरह के कृषि उपकरण जैसे चारा काटने वाली मशीन और दूध से खोया बनाने वाली मशीन, वो बायोगैस से तैयार ईंधन से चलाते हैं।

पर्यावरण संरक्षण: लकड़ी जलाने से पैदा होने वाले धुएं से छुटकारा मिला है, जिससे स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ा है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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