इस साल पद्मश्री से सम्मानित सुंडाराम वर्मा की एक तकनीक ने बदल दी कई किसानों की तकदीर

सुंडाराम वर्मा अब तक इस तकनीक से 50 हज़ार से ऊपर पौधे लगा चुके हैं। कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए ये तकनीक एक वरदान की तरह है। 

सुंडाराम वर्मा पद्मश्री किसान

क्या एक लीटर पानी से पूरा का पूरा पेड़ उगाया जा सकता है? ऐसा कुछ सालों पहले तक किसी ने सोचा भी नहीं था, लेकिन इसे हकीकत में लाने का काम किया राजस्थान के सीकर के रहने वाले प्रगतिशील किसान सुंडाराम वर्मा ने। आइये जानते हैं उन्होंने ये तकनीक कैसे विकसित की और कैसे उनके इलाके के पेड़ों को अब एक नया जीवन मिला है।

सुंडाराम वर्मा
पद्मश्री से सम्मानित सुंडाराम वर्मा

सरकारी नौकरी छोड़कर किया खेती का रुख 

सुंडाराम वर्मा ने 1972 में साइंस फ़ील्ड से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्हें शिक्षक की नौकरी के कई ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने देखा कि उनके क्षेत्र के किसान पानी की समस्या से बेहद परेशान रहते हैं ऐसे में उनकी परेशानी को दूर करने को ही उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।

कैसे हुई ये तकनीक विकसित

‘द बेटर इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे पहले सुंडाराम वर्मा ने  अपनी 17 एकड़ की पुश्तैनी ज़मीन के चारों ओर कई पौधे लगाए। उन्हें समय-समय पर पानी दिया, लेकिन साल भर में सारे पौधे नष्ट हो गए। कोई दूसरा विकल्प न होने पर, उन्होंने मॉनसून के दौरान फिर से गड्ढा खोदा और नीम, मिर्च और धनिया के पौधे लगाए।

पद्मश्री से सम्मानित सुंडाराम वर्मा
तस्वीर साभार: The Better India

इस साल पद्मश्री से सम्मानित सुंडाराम वर्मा की एक तकनीक ने बदल दी कई किसानों की तकदीर

इसके बाद वो दूसरी फसलों के लिए अपने खेत को समतल करने के काम पर लग गए। इस बीच वो नीम, मिर्च और धनिया के पौधों को नियमित पानी  नहीं दे पाए, लेकिन उनके लिए हैरानी की बात रही कि ये सभी पौधे पानी की एक भी बूंद के बिना एकदम सही थे।

उन्होंने गौर किया कि खेत को समतल करने के दौरान पानी का बहाव रुक जाने के कारण पौधों को नुकसान नहीं हुआ। वो इस नतीजे पर पहुंचे कि बारिश के समय अंडरग्राउंड पानी, घास फूस की मदद से भाप बनकर उड़ जाता है, जिससे ऊपरी सतह सूख जाती है। इस तरह से सुंडाराम वर्मा ने एक ऐसी विधि पर काम करना शुरू किया, जो पानी को मिट्टी में लंबे वक़्त के लिए जकड़कर रख सके।

सुंडाराम वर्मा ने सिर्फ़ एक लीटर पानी से पेड़ उगाने के लिए इस तरह पूरी प्रक्रिया अपनाई:   

  • बारिश के पानी को बहने से रोकने के लिए खेत को समतल करें।
  • पहली बारिश के बाद 5 से 6 दिनों के लिए खेत की एक फ़ीट गहरी जुताई करें। इससे खेत में अतिरिक्त घास-फूस नहीं रहेगी। बारिश का पानी ज़मीन में रुका रहेगा।
  • बारिश का सीज़न खत्म होने के तुरन्त बाद दूसरी बार गहरी जुताई करें। इससे मिट्टी में पानी रोकने की क्षमता बढ़ेगी।
  • दूसरी जुताई के कुछ दिन बाद एक फ़ीट गहरे और 4 से 5 इंच चौड़े गड्ढे खोदें।
  • गड्ढों में पौधे लगाएं और ध्यान रखें कि जड़ें ज़मीन से कम से कम 20 सेंटीमीटर नीचे हों। नमी को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए पौधे को गीली मिट्टी से ढक दें।
  • आखिर में गड्ढे में एक लीटर पानी डालें और पौधे को बढ़ने दें।
पद्मश्री से सम्मानित सुंडाराम वर्मा
तस्वीर सबहर : PIB ( Press Information Bureau

इस साल पद्मश्री से सम्मानित सुंडाराम वर्मा की एक तकनीक ने बदल दी कई किसानों की तकदीर

अब तक लगा चुके हैं 50 हज़ार से ज़्यादा पौधे 

ये प्रक्रिया सितंबर के अंत तक पौधे लगाने में मदद करती है। राजस्थान में साल के इस महीने में तापमान कम होता है, जो जड़ों को जितना संभव हो उतना गहराई तक आने देता है। जैसे ही गर्मियां आती हैं, मिट्टी की ऊपरी सतह सूखने लगती है और पौधे की नमी की मात्रा नीचे की ओर बढ़ जाती है। इससे नमी जड़ों को पानी की ओर नीचे धकेल देती हैं। इस तरह पौधों को अलग से पानी की ज़रूरत नहीं पड़ती।

इस तकनीक के इस्तेमाल से वो अब तक 50 हज़ार पौधे लगा चुके हैं। साथ ही उन्होंने एक हेक्टेयर में 20 लाख लीटर बारिश के पानी और 15 फसलों की 700 से अधिक प्रजातियों का संरक्षण भी किया है।

कई पुरस्कारों से हुए सम्मानित 

राज्य सरकार ने उन्हें ‘वन पंडित’ पुरस्कार से सम्मानित किया हुआ है। इसके अलावा सुंडाराम 1997 में कनाडा में ‘एग्रो बायोडायवर्सिटी अवॉर्ड’ से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से ‛जगजीवनराम अभिनव किसान पुरस्कार’ भी मिल चुका है।

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